
धर्मशाला। आरएसएस के वरिष्ठ नेता डॉ. इंद्रेश कुमार और डॉ. रामलाल ने आज १२ सितंबर को धर्मशाला स्थित परम पावन दलाई लामा के आवास पर उनसे भेंट की। इस भेंट में सद्भावना व्यक्त की गई और वैश्विक शांति, सद्भाव और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व पर चर्चा हुई।
भेंट के बाद मीडिया से बात करते हुए, डॉ. इंद्रेश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से परम पावन को उनकी ९०वीं जयंती के उपलक्ष्य में हार्दिक बधाई दी। परम पावन के इस वर्षगांठ को मील का पत्थर मानते हुए, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने इस वर्ष को ‘करुणा वर्ष’ घोषित किया है। उन्होंने कहा, ‘आरएसएस की ओर से परम पावन को हार्दिक बधाई देना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। हमारे परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के आशीर्वाद से हमने उनके निरंतर स्वास्थ्य, प्रसन्नता और विश्व शांति एवं मानव कल्याण के प्रति उनके अटूट समर्पण की कामना के साथ उन्हें एक गुलदस्ता भेंट किया। हमने उनके प्रति गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता का भाव व्यक्त किया गया है।’ डॉ. इंद्रेश कुमार ने आरएसएस की आगामी पहलों पर भी प्रकाश डाला, जो इस अक्तूबर में अपनी शताब्दी वर्ष मनाने की तैयारी में लगा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हम देश और दुनिया में शांति, सद्भाव और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यक्रमों की शृंखला आयोजित करने जा रहे हैं। ये प्रयास संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देकर जाति, पंथ और समुदाय के बीच की खाई को पाटने पर केंद्रित होगा। विद्वानों, विचारकों और सामाजिक नेताओं को एकता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने के लिए हजारों सम्मेलन भी इस दौरान आयोजित किए जाएंगे।’
उन्होंने पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के प्रयासों पर जोर देते हुए कहा, ‘इस दौरान हम १२ से १५ करोड़ परिवारों तक पहुंचेंगे और उन्हें पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेने और भारत को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। हमारा लक्ष्य भेदभाव और असमानता से मुक्त समाज का निर्माण करना है, जो सहानुभूति, सद्भावना और साझा जिम्मेदारी से एकजुट हो।’
प्रतिनिधिमंडल में आए संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक श्री रामलाल के समर्थन की सराहना करते हुए डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘हम आपके संगठन द्वारा प्रदान की गई दीर्घकालिक मित्रता और सहयोग के लिए आभारी हैं, जिसने वर्षों से हमारे प्रयासों को मजबूत किया है।’
वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए डॉ. इंद्रेश कुमार ने भू-राजनीतिक तनावों, विशेष रूप से चीन की विस्तारवादी नीतियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘ये घटनाक्रम न केवल हमारी सीमाओं पर, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं। पड़ोसी देशों को शांति, सहयोग और अहस्तक्षेप को प्राथमिकता देनी चाहिए। लंबे समय तक तनाव सुरक्षा, आर्थिक प्रगति और सामाजिक सद्भाव में बाधा डालता है। हम सभी देशों से आपसी सम्मान और साझा प्रगति की भावना से मिलकर काम करने का आग्रह करते हैं।’
उन्होंने परम पावन दलाई लामा के करुणा के संदेश को याद करते हुए अपने संबोधन का समापन किया। उन्होंने कहा, ‘परम पावन का करुणा पर जोर हमारी जिम्मेदारियों की समयोचित याद दिलाता है। हम सभी देशों से शांति अपनाने, संघर्ष को त्यागने और सद्भावना एवं मानवीय गरिमा पर आधारित विश्व के निर्माण का आह्वान करते हैं। हमें विश्वास है कि सामूहिक प्रयास से एक नया और सामंजस्यपूर्ण युग उभरेगा।’
डॉ. रामलाल ने भी अपने सहयोगी की भावनाओं को दोहराते हुए मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘परम पावन का संदेश हमें प्रेरित करता रहता है और स्वास्थ्य, प्रसन्नता और आध्यात्मिक शक्ति की भूमि के रूप में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालता है। इन आदर्शों के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता के माध्यम से, भारत विश्व को शांति और समृद्धि की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आइए, हम एक बेहतर कल के लिए काम करने के अपने संकल्प की पुनः पुष्टि करें, जो करुणा, एकता और सतत विकास पर आधारित हो।’
बैठक के बाद डॉ. इंद्रेश कुमार और डॉ. रामलाल ने निर्वासित तिब्बती संसद के चल रहे सत्र में पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल हुए। इन दोनों अतिथियों को इसके बाद तिब्बत संग्रहालय का भ्रमण कराया गया, जहां उन्हें तिब्बत संग्रहालय के निदेशक तेनजिन तोपधेन द्वारा वहां की चीजों के बारे में गहन जानकारी दी गई।
इस दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल के साथ सुरक्षा विभाग की कालोन (मंत्री) डोल्मा ग्यारी और सूचना एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग की कालोन नोरजिन डोल्मा भी थीं।
इस दौरे के दौरान, सुरक्षा विभाग के सेटलमेंट ऑफिसर कुंचोक मिग्मार और चेमी ताशी ने उनकी सहायता की और पूरे कार्यक्रम में उनके साथ रहे।















