हिंदुस्तान
राष्ट्रपिता की पौत्री इला गांधी ने दलाई को कालचक्र मैदान में इस पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2003 से शुरू किये गये पुरस्कार को गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की अध्यक्ष इला ने प्रदान किया।
पुरस्कार पाकर प्रसन्न दलाई ने कहा कि गांधी जी ने भी सदियों से चली आ रही अहिंसा की परंपरा को अपनाया और अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने में इस अस्त्र प्रयोग किया।
उन्होंने कहा कि मैं भी अहिंसा के रास्ते पर चलता हूं और गांधी के अहिंसा के दर्शन का अनुयायी हूं। गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की अध्यक्ष इला गांधी स्वयं इस पुरस्कार को प्रदान करने के लिए दक्षिण अफ्रीका से बोधगया आयी थी। राष्ट्रपिता द्वारा प्रारंभ किये गये पत्र इंडियन ओपनियन के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर महात्मा गांधी के नाम पर इस पुरस्कार की शुरुआत 2003 में की गयी थी। दलाई लामा को यह पुरस्कार नवंबर 2011 में डरबन में प्रदान किया जाना था, लेकिन वीजा संबंधी दिक्कतों के कारण यह सम्मान उन्हें नहीं दिया जा सका।