अमर उजाला, 31 दिसम्बर 2011
तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने लोगों से जिम्मेदार इंसान बनने की अपील करते हुए कहा है कि संकटों से निजात पाने के लिए सभी को व्यक्तिगत हित की धारणा की सोच से ऊपर उठकर पूरी दुनिया के बारे में सोचना होगा।
दीर्घकालिक परिणामों के बारे में नहीं सोचा
समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के साथ एक विशेष बातचीत के दौरान दलाई लामा ने कहा कि कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर हुए सम्मेलन में कई प्रतिभागी देशों ने यह दिखाया कि उनके स्वयं के हित पूरी दुनिया के हितों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं।’ लालच और दूरदर्शिता की कमी को दोषी ठहराते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को भावनाओं द्वारा मार्ग दर्शित किया गया और दीर्घकालिक परिणामों के बारे में नहीं सोचा गया।
पारिस्थितिकी और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं की कोई अंतरराज्यीय सीमाएं नहीं होतीं और ये पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय होती हैं।’ हाल ही में दलाई लामा ने भारत में हिमाचल प्रदेश के शहर धर्मशाला में स्थित अपने निवास पर रूस, भारत, चीन, मंगोलिया, जापान, अमेरिका और अन्य देशों के 7000 से ज्यादा तीर्थयात्रियों से मुलाकात की थी। रूस के बौद्ध क्षेत्रों के तिब्बत के साथ घनिष्ठ संबंध है, जो इन क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के विकास के लिए अच्छी चीज है।
मार्च 2011 में तिब्बती समुदाय के राजनीतिक नेता के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद दलाई लामा ने रूसी तीर्थ यात्रियों के साथ दिसंबर में पहली बैठक की थी। अपने राजनीतिक जीवन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने बचपन से इस बात को समझा है कि तिब्बत सरकार की व्यवस्था में खासी कमियां हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 400 साल से दलाई लामा हमेशा से तिब्बत में सरकार के प्रमुख होते हैं। यह व्यवस्था अब पुरानी हो चुकी है। हमें इसे बदलना होगा ताकि जनता देश की मालिक बन सके।