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स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समता के नायक जॉर्ज फर्नांडीस और लोदी ग्यारी रिनपोछे के जीवन और विरासत को याद किया गया

April 9, 2019

तिब्बत.नेट, 8 अप्रैल, 2019

नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित कंस्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हॉल एनेक्सी में 6 अप्रैल की शाम को स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समता के दो जांबाज नायकों- जॉर्ज फर्नांडीस और लोदी ग्यारी रिनपोछे को याद किया गया।

कार्यक्रम में कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल माननीय टीएन चतुर्वेदी, सीटीए के पूर्व कालोन ट्रिपा समदोंग रिनपोछे, सीटीए के स्वास्थ्य कालोन चोएकोंग वांगचुक, निर्वासित तिब्बती संसद के डिप्टी स्पीकर आचार्य येशी फुंटसोक, आरएसएस के प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार, इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत के अध्यक्ष श्री मत्तेओ मेकाक्सी, भारतीय राजनीतिज्ञ श्रीमती जया जेटली, अशोका मिशन के लामा लोबसांग समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

समारोह के संचालक डॉ आनंद कुमार ने कार्यक्रम के बारे में परिचयात्मक भाषण दिया। उन्होंने गणमान्य व्यक्तियों से अपने विचारों को रखने और जॉर्ज फर्नांडीस और ग्यारी लोदी रिनपोछे को श्रद्धांजलि देने के लिए आमंत्रित किया।

अपने संबोधन में मुख्य अतिथि माननीय टी. एन. चतुर्वेदी ने कहा, ‘जॉर्ज फर्नांडीस और ग्यारी लोदी रिनपोछे लोगों के चैंपियन थे। वे अपने मिशन – मानवता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए जीते थे।’ उन्होंने कहा कि वह रिनपोछे को एक ज्ञानी व्यक्ति, अच्छे राजनयिक और लोगों के साथ संबंध बनाने के विशेषज्ञ के तौर पर जानते थे। जॉर्ज फर्नांडिस को याद करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि जॉर्ज साहब जनता के नेता थे। श्री चतुर्वेदी ने दिवंगत आत्माओं के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और अपने मित्रों और समर्थकों को अपने अच्छे कामों का पालन करने और उनकी विरासत को जीवित रखने का आह्वान किया।

परम सम्मानीय प्रो. समदोंग रिनपोछे ने दिवंगत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा ‘जॉर्ज साब और ग्यारी रिनपोछे मेरे करीबी दोस्त थे। मेरे लिए उनके बारे में बोलना बहुत ही मुश्किल काम है। उनके जीवन पर प्रकाश डालना कठिन है। वे ऐसे नायक थे जो सपने देखते थे और दिखाते थे। पर सम्मानीय रिनपोछे ने जोर देकर कहा कि जॉर्ज साहब पहले भारतीय नेता थे जिन्होंने भारत का तिब्बत समर्थक सर्वदलीय संसदीय मंच (एपीपीएफटी) के गठन की पहल की थी। उन्होंने कहा कि भारत में कई नेता हैं और होंगे लेकिन उन्हें नहीं लगता कि कोई भी जॉर्ज साहब के कद से मेल खा सकता है जो तिब्बत और तिब्बतियों के सच्चे मित्र थे। परम सम्माननीय रिनपोछे ने कहा कि मंत्री रहें या न रहें, जॉर्ज साहब ने विभिन्न प्लेटफार्मों पर हमेशा तिब्बत का समर्थन किया।

उन्होंने कहा ‘ग्यारी रिनपोछे मेरे सहयोगी थे। तिब्बत ने उससे बहुत लाभ उठाया है। ग्यारी रिनपोछे जैसे व्यक्ति को ढूंढना मुश्किल है। परमपावन दलाई लामा के विशेष दूत के लिए वे सबसे अच्छे प्रतिनिधि थे। उन्होंने नौ दौर की बातचीत के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इस दौरान कई बार उम्मीदें जगीं तो कई बार झटके भी लगे।’ भावुक होते हुए परम सम्माननीय ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ग्यारी रिनपोछे जल्दी उनका साथ छोड़ देंगे। यह तिब्बत के लिए बहुत नुकसानदायक है। रिनपोछे ने एक बार फिर दोनों दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी और आयोजकों को उन्हें अपनी भावनाओं का व्यक्त करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया।

काशाग की ओर से कालोन चोएकांग वांगचुक ने दिवंगत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा ‘जॉर्ज साहबअपने जीवन में हर समय तिब्बत के सच्चे दोस्त और समर्थक थे। वह तिब्बतियों के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले पहले भारतीय नेता थे।

उन्होंने याद किया कि तिब्बती लोग जार्ज साहब को कितना प्रेम करते हैं और आदर देते हैं। उन्होंने गांव का एक उदाहरण देते हुए कहा कि, कैसे तिब्बती लोग गर्व से कहते हैं कि वह  मैदान है जहाँ जॉर्ज फर्नांडीस का हेलीकॉप्टर अपने गांव में उतरा। कालोन वांगचुक ने कहा कि वह जॉर्ज साहब और ग्यारी रिनपोछे के जीवनकाल में जन्म लेने के लिए खुद को भाग्यशाली मानते हैं लेकिन इस बात के लिए दुखी महसूस करते हैं कि उनके साथ काम करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने प्रार्थना की कि जार्ज साहब फिर से जन्म लेकर वापस आएं और विश्वास करते हैं कि वे तिब्बत के लिए पुनर्जन्म लेंगे।

निर्वासित तिब्बती संसद की ओर से आचार्य येशी फुंटशोक ने जॉर्ज फर्नांडीस और ग्यारी लोदी रिनपोछे को श्रद्धांजलि दी। श्री इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘जार्ज साहब और ग्यारी रिनपोछे दो महान आत्माएं थीं जिन्होंने अपने जीवन को अपने देशों के लिए समर्पित कर दिया था। वे मिशन वाले व्यक्ति थे। वे हमेशा महान बने रहेंगे क्योंकि महान व्यक्ति हमेशा महान व्यक्ति होते हैं।’ उन्होंने इन दिवंगत आत्माओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया और अपने मित्रों और समर्थकों को उनकी विरासत को जारी रखने की अपील की।

इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत के अध्यक्ष श्री मत्तेओ मेकाक्सी ने भी इस अवसर पर जॉर्ज फर्नांडीस और लोदी ग्यारी रिनपोछे को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

उपरोक्त गणमान्य व्यक्तियों के अलावा, जॉर्ज साहब और ग्यारी रिनपोछे के कई दोस्त और प्रशंसक थे जिन्होंने इन दिवंगत आत्माओं के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कीं।

इससे पहले, परमपावन दलाई लामा के ब्यूरो, नई दिल्ली के प्रतिनिधि कसूर न्गोदप डोंगचुंग ने इस अवसर पर परमपावन दलाई लामा के संदेश को पढ़ा और बाद में ग्यारी रिनपोछे की छोटी बहन कसूर ग्यारी डोलमा को संदेश सौंप दिया।

इस कार्यक्रम में जॉर्ज फर्नांडीस और ग्यारी लोदी रिनपोछे के कई दोस्त, प्रशंसक और समर्थक भी उपस्थित रहे। वक्ताओं को सुनने के लिए मजनूं का टीला तिब्बती बस्ती के बुजुर्ग और युवा, भारतीय और तिब्बती भिक्षु और स्कूल के बच्चे भी पहुंचे थे। उन्होंने दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और अंत में उनके चित्रों में तिब्बती शुभ दुपट्टा (खटा) भेंट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। शाक्य केंद्र, दिल्ली के भिक्षुओं ने दोनों दिवंगत आत्माओं के लिए बौद्ध प्रार्थना की।

इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन भारत तिब्बत मैत्री संघ, भारत तिब्बत सहयोग मंच, हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिब्बत, हिमालयन बौद्ध सांस्कृतिक संस्था, लोक शक्ति अभियान, जय प्रकाश फाउंडेशन, साउथ एशियन फोरम फॉर पीपुल्स इनिशिएटिव, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च, अशोका मिशन, सामाजिक विज्ञान संस्थान, विश्व युवा केंद्र, भारत तिब्बत सामान्य केंद्र, फाउंडेशन फॉर नन वायलेंस अल्टरनेटिव, सरदार वल्लभभाई पटेल ट्रस्ट, आचार्य कृपलानी ट्रस्ट और इंटरनेशनल मैत्रीय फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।


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