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बौद्ध केंद्र से निष्कासित तिब्बती भिक्षुणी ने नजरबंदी शिविर में आत्महत्या कर ली

February 14, 2020

याचेन गार बौद्ध केंद्र की तस्वीर।

rfa.org

सिचुआन प्रांत के तिब्बती क्षेत्र में एक बौद्ध केंद्र से निष्कासित कर दी गई एक तिब्बती भिक्षुणी ने नजरबंदी शिविर में आत्महत्या कर ली। क्षेत्र के अंदर से एक स्रोत के अनुसार, वह नजरबंदी जीवन की कठिनाइयों को सहन नहीं कर पर रही थी ।

भिक्षुणी का नाम उजागर नहीं किया गया है। इस केंद्र में रहनेवाले एक स्रोत ने प्रतिशोध के डर का हवाला देते हुए अपना नाम न छापने की शर्त पर आरएफए  की तिब्बती सेवा को बताया कि यह भिक्षुणी उन हजारों भिक्षुणियों में शामिल थीं जो यचेन गार बौद्ध अध्ययन केंद्र में रहती थीं और जिन्हें अधिकारियों ने अगस्त 2019 में वहां के सामुदायिक आवासों में रहनेवाले 13,000 सदस्यों के लगभग आधे लोगों के साथ निकाल बाहर कर दिया था।

सूत्र ने कहा कि यह तिब्बती भिक्षुणी भी उन्हीं लोगों में शामिल थीं, जिन्हें पिछले साल याचेन गार से निकाले जाने के बाद एक नजरबंदी शिविर में रखा गया था।  सूत्र ने इस नजरबंदी शिविर का दौरा किया था। उसने यह भी बताया कि यह भिक्षुणी मूल रूप से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के चमडो (चांगडू) प्रिफेक्चर के जोम्दा (चीनी, जियांगडा) काउंटी की रहनेवाली थी।

वह शिविर में राजनीतिक पुनर्शिक्षा का विरोध करतीथी और हमेशा चीनी अधिकारियों के निर्देशों और उनके द्वारा दी जा रही शिक्षाओं के खिलाफ आवाज उठाती रहती थी। इस कारण से उसे अक्सर पीटा जाता था। शिविर के प्रबंधक और पुनः शिक्षा प्रशिक्षक उसके रवैये से नफरत करने लगा था।

स्रोत के अनुसार, भिक्षुणी को पिछले साल बिना किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के अस्पताल में ले जाया गया था। लेकिन उसने वहां मेडिकल स्टाफ द्वारा दी गई दवा लेने से इनकार कर दिया और अपना विरोध जारी रखा।

सूत्र ने कहा कि इसके बाद यहां के डॉक्टरों ने भी उसे पीटा था।

इस घटना के बाद भिक्षुणी को को वापस नजरबंदी शिविर में लाया गया। शिविर में असहनीय कठिनाईयों को झेलते हुए उसने अपना जीवन समाप्त करने का फैसला कर लिया।

सूत्र ने कहा कि आरएफए से बात करते हुए उसे अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका हो रही है। वह यह बताने ही जा रहा था कि भिक्षुणी ने कब और कैसे आत्महत्या कर ली, कि इससे पहले ही उसका फोन हैंग हो गया।

भिक्षु अधिकारियों को निष्कासित

इस बीच एक दूसरे सूत्र ने आरएफए को बताया कि याचेन गर के तीन भिक्षु अधिकारियों को पिछले साल उस समय चीनी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, जब सामुदायिक अवासों का विध्वंस का काम चल रहा था। 

इस सूत्र ने भी नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पिछले साल याचेन गार में विध्वंस के बाद चीनी सार्वजनिक सुरक्षा अधिकारियों ने गुप्त रूप से आधी को केंद्र पर छापा मारा और उच्च पद पर तैनात चार भिक्षु अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया जिन्हें मठ से निकाल दिया गया।

सूत्र के अनुसार चीनी अधिकारियों ने तब से उन भिक्षु अधिकारियों को निष्कासित कर रखा है। उन्होंन बताया कि यचेन गार पर पिछले साल तब से ही कठोर प्रतिबंध लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि याचेन गार से आवागमन पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

इसके साथ ही वीचैट (ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म) पर इस क्षेत्र से गुजरने वाले यात्रियों को केंद्र के फोटो या वीडियो साझा करने से सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है।

सूत्र ने पहले की इन रिपोर्टों की पुष्टि की है कि याचेन गार में घरों को ध्वस्त करने से पहले इस  केंद्र में कम से कम 10,000 भिक्षु और भिक्षुणियां रहती थीं, लेकिन बाद में उनमें से 7,000 को हटा दिया गया था, जिनमें से ज्यादातर तिब्बती स्वाय्त्त क्षेत्रों के थे।

व्यापक विध्वंस

सूत्र ने आरएफए को बताया कि पिछले साल अक्टूबर में याचेन गर में चीन द्वारा किए गए विध्वंस में पांच से छह हजार घरों को ढहा दिया गया था और इस कारण से लगभग इतनी ही संख्या में भिक्षुओं और भिक्षुणियों को वहां से निष्कासित कर दिया गया।

सुदूरवर्ती और कड़ी चीनी निगरानी में रहनेवाले इस क्षेत्र का विवरण ‘फ्री तिब्बत’ नामक एक तिब्बत समर्थक समूह द्वारा लिए गए उपग्रह चित्रों के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट में जारी किया गया है। इसमें इस बात को सत्यापित किया गया है कि वहां बड़े पैमाने पर विध्वंस किया गया है जिससे वहां के परिसर का लगभग आधा हिस्सा ध्वस्त हो चुका है।

एक तिब्बत समर्थक समूह द्वारा मार्च 2017 में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बती बौद्ध अध्ययन और साधना के इस महत्वपूर्ण केंद्र के विकास और इसके प्रभाव को नियंत्रित करने के ष्एक अनौपचारिक राजनीतिक रणनीतिष् के हिस्से के तौर पर सिचुआन के सेथार (सेडा) काउंटी में स्थित याचेन गार पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस केंद्र का प्रचलित नाम लारुंग गार परिसर भी हैं।

2017 और 2018 के दौरान कम से कम 4,820 तिब्बती और हान चीनी भिक्षुओं और भिक्षुणियों को लारुंग गार से हटा दिया गया था। इसके पहले ही 2001 की शुरुआत में ही यहां की 7,000 से अधिक आवास और अन्य इमारतें ध्वस्त कर दी गईं थीं।

कोरोना वायरस संकट पर “अफवाहें फैलाने” के तथाकथित आरोप में सात तिब्बती गिरफ्तार

रेडियो फ्री एशिया, 10 फरवरी 2020

चीन में कोरोना वायरस से संक्रमण की बढ़ती संख्या के बारे में तिब्बत में चल रही ऑनलाइन चर्चाओं पर चीनी अधिकारियों ने रोक लगा दी है। सरकारी मीडिया और अन्य स्रोतों के अनुसार, लोगों द्वारा ऐसा करने पर अधिकारियों ने अफवाहें फैलाने और गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाकर तिब्बत के चमडो प्रांत में सात लोगों को हिरासत में लिया है।

हिरासत में लिए गए लोगों में से एक चमडो के गोनजो (चीन में गोंगजे) का निवासी है। उसका नाम चेन है, ऐसा पता चला है। पीपुल्स डेली में प्रकाशित 5 फरवरी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चेन ने 29 जनवरी को एक टिप्पणी ऑनलाइन पोस्ट की थी, जिसमें कहा गया था कि ‘मुख्य भूमि चीन के लोग इस काउंटी में गुप्त रूप से आ रहे थे, जिससे चमडो के लोगों में घबराहट व्याप्त हो रही है।‘

पीपुल्स डेली ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत ‘स्थिति को स्पष्ट किया’ और चेन को हिरासत में ले लिया। उसे 10 दिनों हिरासत में रहने और 500 युआन (लगभग 72 अमेरिकी डॉलर) के जुर्माने की सजा सुनाई गई। हालांकि इस रिपोर्ट में यह नहीं खुलासा किया गया है कि चेन तिब्बती मूल का है या चीनी हान मूल का।

इस बीच त्से नाम से पहचाने जाने वाले एक शख्स को लोकप्रिय वीचैट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक संदेश पोस्ट करने के लिए चमडो के टेंगचेन (डिंगकिंग) काउंटी में हिरासत में लिया गया। इसमें त्ये ने संक्रमण के खिलाफ पाठकों से 10 बार एक विशेष प्रार्थना का जाप करने और इसे 10 अन्य लोगों को इस भेजने का अनुरोध किया था।

पीपल्स डेली मे कहा गया है, टेंगचेन काउंटी पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो ने कानून के अनुसार इस व्यक्त िको सात दिनों की प्रशासनिक हिरासत की सजा दी है।ष्

काउंटी के पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो के एक नोटिस के हवाले से सरकार नियंत्रित इस अखबार ने कहा कि लोगों से कहा गया है कि नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे किसी भी तरह की अफवाह न बनाएं, न ही अफवाहों पर ध्यान दें और न ही उसे फैलाएं। साथ ही साइबर स्पेस को हमेशा स्वच्छ और सदभावपूर्ण बनाए रखें।

आरएफए की तिब्बती सेवा से बात करते हुए  एक चामडो निवासी ने अखबार की रिपोर्ट सच बताया और कहा कि “कथित गलत सूचना फैलाने के आरोप में कुल सात लोगों को हिरासत में लिया गया है।”

संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है

इस बीच, चीन के तिब्बती-आबादी वाले क्षेत्रों में कोरोना वायरस संक्रमणों की संख्या सप्ताहांत में बढ़ने की पुष्ट िहुई है। सरकारी मीडिया ने कहा है कि सिचुआन के कार्देज तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में कुल 23 मामले  और गांसु के कनल्हो तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में छह नए मामले दर्ज किए गए हैं।

सिचुआन के न्गाबा तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में संक्रमण का एक मामला आया है। वहीं, पड़ोसी किंग्हाई प्रीफेक्चर के त्संगज तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में तीन नए मामले और और किंग्हाई की प्रांतीय राजधानी शीनिंग संक्रमण का एक मामला पुष्ट हुआ है।

तिब्बत की क्षेत्रीय राजधानी ल्हासा में एक सूत्र ने आएफए को बताया कि ल्हासा में 5 फरवरी को  एक चाय की दुकान के मालिक ने 28 जनवरी के सरकारी आदेश की अवहेलना करते हुए अपनी दुकान खोली तो उसपर सरकारी प्रतिबंधका उल्लंघन करने के जुर्म में कानून के अनुसार जुर्माना लगाया गया था।ष् सरकार ने 28 जनवरी को आदेश दिया था कि सभी डिस्को, साइबर कैफे, चाय की दुकानों और फिल्म थिएटरों को बंद रखा जाएगा।

उधर, इस बीच पहले से ही संक्रमण से आक्रांत हो रहे तिब्बती भिक्षु वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वे गांसु के सांगचू (जेहे) काउंटी में लाबरंग मठ में दान इकट्ठा कर रहे हैं और कार्देज के तावु (डूफू) काउंटी में हजारों फेस मास्क वितरित किया है।

बीजिंग स्थित तिब्बती लेखक वोएसर ने अपने फेसबुक पेज पर  शेड्रुप तेम्फेल चोएलिंग मठ के एक भिक्षु को यह कहते हुए बताया है कि ‘हम कम से कम तावु में रहने वाले लोगों की यह सेवा तो कर ही सकते हैं।‘

भिक्षु ने कहा, ‘हम केवल आशा कर सकते हैं कि हम इस महामारी के (आगे प्रसार) को रोकने में कुछ मदद कर सकेंगे।‘


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