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निर्वासित तिब्बीती सरकार का कहना है कि चीनी नीतियां पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रही हैं

January 2, 2019

हिन्दुस्तान टाइम्स, 2 जनवरी 2019

निर्वासित तिब्बत सरकार ने चीन के इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि तिब्बत में पारिस्थितिकी  संरक्षण चीन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, कहा कि ‘जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है’। इसने चीन की ‘कमजोर पर्यावरण नीतियों’ और ‘ईमानदार प्रयासों की कमी’ की ओर इशारा करते हुए कहा कि इससे तिब्बत के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को और तेजी से कमजोर करना शुरू कर दिया है।

चीन ने जुलाई में प्रकाशित एक श्वेत पत्र में यह दावा किया था। श्वेत पत्र में दावा किया गया था कि बीजिंग ने चीन के अस्तित्व और विकास के लिए तिब्बती पठार के संरक्षण की जरूरत को स्वीकार किया है।

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के नाम से जाने जानेवाली निर्वासित तिब्बती सरकार ने श्वेत पत्र पर 21 पृष्ठ की प्रतिक्रिया जारी की। सीटीए के राष्ट्रपति लोबसांग सांगेय ने चीन को अपनी सरकार की ओर से दी गई प्रतिक्रिया की भूमिका में कहा, ‘श्वे्त पत्र उस व्यक्ति के लिए वहुत ही अच्छा  है जो तिब्बत के बारे में बहुत कम जानता होगा। लेकिन जो एक नियमित पर्यवेक्षक हैं, उन्हें इसमें कई झूठ,  तथ्यात्मक त्रुटियां और नीतियों और कार्यान्वयन में अनेक विरोधाभास देखने को मिलेंगे।’

सीटीए ने इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, खनन, गैर जिम्मेदाराना तोड़फोड़, तिब्बती खानाबदोशों को बलपूर्वक हटाने और तिब्बत के पर्यावरण को नाश करने का हवाला दिया। इसने चीन से पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिए पवित्र पहाड़ों, झीलों और नदियों की पवित्रता जैसी तिब्बती सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान करने का आग्रह किया।

सीटीए ने कहा, ‘चीन सरकार को तिब्बत में किसी भी बड़ी विकास परियोजनाओं के लिए स्थानीय तिब्बती आबादी को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल करना चाहिए।’

सीटीए के आधिकारिक प्रवक्ता सोनम नोरबू ने पर्यावरणीय चिंताओं को राजनीतिक और सार्वभौमिक प्रभाव बताया। ‘तिब्बती पठार का पारिस्थितिकीय स्वास्थ्य, जो दुनिया की छत के रूप में भी कार्य करता है, चीन सहित पूरी दुनिया की भलाई और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।’

शोधकर्ता तेम्पा ग्यालत्सेन ने कहा कि चीन तिब्बत में खतरनाक जलवायु परिस्थितियों को कम करने में विफल रहा है और संसाधन के दोहन और बांध निर्माण के पैमाने को बढ़ाकर पर्यावरण संकट को और बढ़ा दिया है। उन्होंने 2015 के नए पर्यावरण संरक्षण कानून की शुरुआत सहित पर्यावरण संरक्षण में चीन की पिछली पहल का स्वागत किया।


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