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जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ( यूएनएचआरसी) के 47वें सत्र के दौरान कनाडा समेत 44 देशों की ओर से एक क्रॉस-रीजनल संयुक्त बयान जारी किया गया है, जिसमें तिब्बत, पूर्वी तुर्केस्तान (चीनी: झिंझियांग) और हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई और चीन से संयुक्त राष्ट्र को झिंझियांग तक जाने की अनुमति देने का आह्वान किया गया।
आज, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट पर संवादात्मक संवाद के दौरान, जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में कनाडा के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि लेस्ली ई. नॉर्टन ने क्रॉस-रीजनल संयुक्त वक्तव्य दिया। संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने 21 जून को वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए उम्मीद जताई कि चीन इस साल झिंझियांग तक उनकी सार्थक पहुंच की अनुमति देगा। जिनेवा में चीनी मिशन ने कल उल्लेख किया कि उच्चायुक्त की यात्रा को ‘दोस्ताना’ माना जाएगा, न कि किसी ‘जांच’ के लिए की गई यात्रा। मिशन ने फिर से हांगकांग और झिंझियांग के मुद्दों को ‘आंतरिक मामला’ कहा और अपील की कि उसकी ‘संप्रभुता’ में हस्तक्षेप करने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
झिंझियांग तक सार्थक पहुंचने की अनुमति देने के आह्वान का समर्थन करते हुए संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘हम चीन से आग्रह करते हैं कि वह उच्चायुक्त सहित स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को झिंझियांग तक तत्काल, सार्थक और बाधारहित पहुंच की अनुमति दे और नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर समिति की सिफारिशों को तत्काल लागू करे। झिंझियांग से संबंधित सिफारिशों में उग्यूरों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की मनमानी नजरबंदी को समाप्त करना शामिल है। संयुक्त बयान में झिंझियांग में दस लाख से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने की विश्वसनीय रिपोर्ट पर प्रकाश डाला गया। इसने यातना, जबरन नसबंदी, यौन नसबंदी, यौन और लिंग आधारित हिंसा आदि की रिपोर्टों का भी उल्लेख किया गया है।
बयान देनेवाले देशों ने तिब्बत और हांगकांग में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में भी गहरी चिंता व्यक्त की और चीन से मानवाधिकार दायित्वों का पालन करने का आह्वान किया। बयान देनेवाले 44 देशों में संयुक्त राष्ट्र के चार क्षेत्रीय समूहों से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक गणराज्य, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा, पूर्वी यूरोपीय, पश्चिमी यूरोपीय, लैटिन अमेरिकी, कैरिबियाई और एशिया और प्रशांत समूह के देश शामिल हैं। जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो ने कनाडा के नेतृत्व में 44 देशों के क्रॉस-रीजनल संयुक्त बयान का स्वागत किया और संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त से तिब्बत में गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी और रिपोर्ट करने का भी आग्रह किया है।