tibet.net / देवरिया, यूपी। अगर आज अनुभवी राजनेता या सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोकप्रिय शख्सियतों में से एक ऐसी हस्ती का नाम लेने के लिए कहा जाए जो पिछले कई दशकों और खासकर ८० और ९० के दशक में तिब्बत के लिए अडिग होकर खड़ा रहा और तिब्बत के पक्ष में आवाज उठाते रहे हों, तो उस सूची में दिवंगत श्री मोहन सिंह का नाम न होने से वह सूची अधूरी रहेगी।
श्री मोहन सिंह समाजवादी नेता और एक राजनीतिज्ञ थे जो उत्तर प्रदेश के देवरिया से तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने श्री जॉर्ज फर्नांडीस की अध्यक्षता में गठित ‘ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (एपीआईपीएफटी)’ के संयोजक के रूप में कार्य किया, जिसके परिणामस्वरूप ११९४ में नई दिल्ली में तिब्बत पर प्रथम विश्व सांसद सम्मेलन (डब्ल्यूपीसीटी) का सफल आयोजन हुआ।
२३ से २८ नवंबर २०२१ तक क्रमशः पडरौना के उदित नारायण पीजी कॉलेज और कुशीनगर के बुद्ध पीजी कॉलेज में आयोजित किए जा रहे ‘ए डे फॉर तिब्बत’ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आए आईटीसीओ समन्वयक ने अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान दिवंगत मोहन सिंह के आवासीय और निर्वाचन क्षेत्र देवरिया जिले का दौरा करने का प्रयास किया गया। समन्वयक का यह प्रयास बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के महज संयोग था जो तिब्बत मुक्ति साधना के लिए मोहन सिंह द्वारा किए गए कार्यों के प्रति तिब्बतियों की कृतज्ञता को फिर से उजागर करना था।
श्री मोहन सिंह की पुत्री श्रीमती कनक लता सिंह देवरिया में नहीं, लखनऊ में रहती हैं। लेकिन वहां पर श्री विनोद जायसवाल ने न केवल श्री मोहन सिंह के मार्गदर्शन में काम करने के अपने अनुभव को साझा किया, बल्कि उनके आशीर्वाद और प्रेरणा को भी याद किया। उनको भरोसा है कि मोहन सिंह से मिली सहायता और मिले मार्गदर्शन उनके जीवन के बचे दिनों में उनको राह दिखा सकते हैं।
इसके अलावा, गांधी शांति प्रतिष्ठान और अवार्ड के पूर्व सचिव और वर्तमान में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री सुरेंद्र कुमार ने कुछ अन्य विशिष्ट सदस्यों से मिलने का सुझाव दिया, जिनके योगदान और विचारधाराओं ने तिब्बत के आत्मनिर्णय की यात्रा में और अधिक ऊर्जा प्रदान की हैं।
इस यात्रा के दौरान आईटीसीओ के समन्वयक न केवल स्वर्गीय श्री मोहन सिंह के आवास पर गए, बल्कि पूर्व एमएलसी श्री रामाशीष राय; प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक श्री हरदानंद जायसवाल; इलाहाबाद छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री अवनीश यादव और अन्य लोगों से भी मिले, जिन्होंने तिब्बत मुक्ति साधना के साथ जुड़ाव के अपने अनुभव साझा किए। इन लोगों ने तिब्बत मुद्दे को लेकर भारत और भारतीयों की अपेक्षाओं के बारे में अपने अनुभव बयां किए कि किस तरह से तिब्बतियों की पहचान को बचाए रखने के लिए तिब्बत मुद्दे के प्रति अपनी आवाज को बुलंद कर सकते हैं और करना चाहिए और चीनी कम्युनिस्ट विस्तारवादी नीति के खिलाफ तिब्बती की दुर्दशा को दर्शाते हुए आवाज को और अधिक बुलंद करना चाहिए।