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अंतरराष्ट्रीय तिब्बत समर्थक समूह की विशेष बैठक को परम पावन दलाई लामा जी का संदेश

November 24, 2008

मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले तिब्बत समर्थक समूहों की भारत में एक खास बैठक हो रही है। मैं बैठक में शामिल सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा, जो इतनी दूर-दूर से यह चर्चा करने के लिए आए हैं कि तिब्बत आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाया जाए ताकि तिब्बती जनता का उत्पीड़न बंद हो।

तिब्बत का मुद्दा एक नैतिक और न्यायोचित मुद्दा है और जैसा कि मै हमेशा कहता रहा हूं हम यह नहीं सोचते कि आप सभी तिब्बत समर्थक हों। इसकी जगह आप सबको न्याय का समर्थक कहना चाहिए। इसी प्रकार तिब्बत का मुद्दा भी सिर्फ तिब्बती जनता के अधिकार का मामला नहीं है, बल्कि इसका एक अंतरराष्ट्रीय पहलू भी है। तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत बौद्ध धर्म के अहिंसा और करूणा के सिद्घांत पर आधारित है। इस प्रकार इसका जुड़ाव सिर्फ 60 लाख तिब्बतियों से ही नहीं, बल्कि 1 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों से है जो इस सांस्कृति से जुड़े हैं और जिनंमें यह क्षमता है कि एक शांतिपूर्ण और समरस समाज के निर्माण में योगदान कर सकें । दूसरी बात यह है कि तिब्बत का मसला तिब्बत के नाजुक पर्यावरण से भी जुड़ा है जिसके बारे में वेझानिकों का कहना है कि इसका प्रभाव एक व्यापक क्षेत्र पर पड़ेगा जिससे अरबों लोग प्रभावित होंगे।

तीसरी बात यह है कि तिब्बत मसले का जुड़ाव भारत और चीन जैसे दो विशाल देशों पर पड़ता है। तिब्बत मसले का सार्थक हल निकालने से इन दो देशों के बीच शांति कायम करने में मदद मिलेगी जिनमें दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा जनसंख्या निवास करती है। लोकतांत्रिक ढंग से चुना गया हमारा राजनीतिक नेतृत्व आपको इस बारे में बताएगा कि हाल में हुई तिब्बती लोगों की खास बैठक का परिणाम क्या रहा। मैंने इस प्रकार की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था ताकि हमारे चुने हुए नेतृत्व को पूरी तरह यह जानकारी मिल सके कि तिब्बती जनता की सोच में कितनी विविधता है (खासकर तिब्बत की खराब होती स्थिति और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय हालत को देखते हुए) और उन विविध रास्तों की भी जानकारी हो सके जिनसे तिब्बती जनता के जीवन में तरक्की आ सके। मुझे उम्मीद है कि तिब्बती लोगों की विशेष आमसभा से निकले सुझावों के आधार पर आप तिब्बत आंदोलन की भविष्य की कार्य योजना के बारे में खुलकर और खरी-खरी चर्चा करेंगे।

मैं अपने जनप्रतिनिधियों को इस बारे में सुझाव देना चाहूंगा कि तिब्बती जनता की बुनियादी आकांक्षओं को पूरा करने के लिए सबसे संभावित कार्य़ योजना क्या हो सकती है। आपकी बैठक ऐसे समय में हो रही है जब तिब्बत में रहने वाली तिब्बती जनता और वहां का समाज बहुत चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। इस साल मार्च से ही तिब्बती जनता चीन जनवादी गणतंत्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना असंतोष जाहिर कर रही है और लंबे समय से उबल रहा रोष प्रकट हो रहा है। जो भी सरकार अपने सभी लोगों के हितों को सर्वोपरि रखती है उसे यह समझना चाहिए मसला कितना गंभीर है और तिब्बत में जमीनी स्थिति में सुधार के लिए उपाय किए जाने चाहिए थे। लेकिन इस प्रकार का कदम उठाने की जगह चीन सरकार ने न्याय और समानता की तिब्बती जनता की गुहार को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और तिब्बती जनता पर पूरी तरह पिल पड़ी । तिब्बत में स्थिति अभी भी भयानक बनी हुई है क्योंकि शहरों एवं कस्बों में पुलिस और सैनिकों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी है। वास्तविकता तो यह है कि तिब्बत के कई हिस्सों में वास्तव में सैनिक शासन थोप दिया गया है औऱ तिब्बती जनता घेरेबंदी में जी रही है। इस प्रकार आज तिब्बत में तिब्बती जनता का जीवन बहुत गंभीर दशा में है और उनको हर तरह की उस सहयोग की जरूरत है जो हमारे समर्थक कर सकते हैं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं मैंने इस बात के लिए हार्दिक प्रयास किया कि चीनी नेतृत्व के साथ मिलकर तिब्बत मसले का कोई परस्पर संतोषजनक हल निकाला जा सके। मेरे दूतों ने उस मध्यम मार्ग नीति के बारे में मेरी प्रतिबद्घता का संदेश साफ तौर पर चीनी नेतृत्व को दिया था, जिसमें तिब्बती जनता की आकांक्षाओं और चीन जनवादी गणतंत्र की एकता एवं स्थिरता की चिंताओं का भी ध्यान रखा गया है। मुझे यह उम्मीद थी कि साल 2002 के बाद चीनी नेतृत्व के साथ हमारे जो नए संपर्क बने हैं उससे किसी हल तक पहुंचा जा सकेगा। मेरे दूत इस माह होने वाली आठवें दौर की वार्ता में चीनी नेतृत्व से मिले और उन्होंने तिब्बती जनता की बुनियादी जरूरतों, चीन के अधिराज और संविधान के भीतर उन्हें मिल सकने वाले अधिकारो की एक साफ रूपरेखा पेश की । लेकिन दुर्भाग्य से मेरे दूतों को साफ तौर पर यह देखकर वापस आना पड़ा कि किसी भी संभावित तार्किक बातचीत के लिए दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। चीन सरकार सिर्फ मेरी सेहत के बारे में बात करना चाहती थी।

तिब्बत मसले में समूची तिब्बती जनता के कल्याण की चिंता है और किसी भी तरह से साझी भलाई के बारे में नहीं है। इसलिए तिब्बती जनता को सामूहिक रूप से तिब्बत की साझी भलाई के बारे में सोचना चाहिए और इसके आधार पर कोई निर्णय लेना चाहिए। लेकिन यह बात भी साफ हो चुकी है कि सिर्फ तिब्बती जनता की अकेली आवाज ही चीनी नेतृत्व को कठोर रवैए एवं नीतियों में बदलाव के लिए मनाने में पर्याप्त नहीं है। मैं यह चाहता हूं कि तिब्बती जनता के कष्टों को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार प्रयास करे । दुनिया भर में फैले हमारे तिब्बत समर्थक समूहों की इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

मैं अपनी बात तिब्बत समर्थक समूहों के सभी सदस्यों के प्रति गहरी कृतझता व्यक्त करते हुए समाप्त करना चाहता हूं जो हमारी जरूरत के समय तिब्बती जनता के साथ अडिग रूप से खड़े हुए हैं। आप सब लोग हमारे लिए एक महत्वपूर्ण ताकत हैं और मुझे इसमें लेश मात्र भी संदेह नहीं है कि आपका यह समर्थन न केवल जारी रहेगा, बल्कि अगले महीनों में आपका प्रयास और सघन हो जाएगा।

24 नवंबर, 2008


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