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अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के अन्य क्षेत्रों की तुलना में तिब्बत में प्रतिबंध “अधिक कठोर” है

March 12, 2020

अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट

tibet.net

धर्मशाला। अमेरिकी विदेश विभाग ने मानव अधिकार गतिविधियों पर अपनी नवीनतम कंट्री रिपोर्ट जारी की जो 2019 में दुनिया भर में मानवाधिकारों की स्थिति का आकलन करती है। इस वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) और अन्य तिब्बती क्षेत्रों में तिब्बतियों को अभिव्यक्ति, धर्म, आवागमन, सहयोग और सभा करने की स्वतंत्रताष् चीन के ही अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक कठोर है।

विदेश विभाग की इस रिपोर्ट में तिब्ब्ती स्वायत्त परिषद और चीन के अन्य तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों में भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी), सरकार, पुलिस और सेना के शीर्ष पदों पर तिब्बतियों की नगण्य स्थिति को भी उजागर किया गया है। तिब्बती आबादी वाले इलाकों में भी उक्त पदों पर कम्युनिस्ट पार्टी के “हान चीनी सदस्यों का ही भारी बहुमत से आधिपत्य” स्थापित है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष के सचिव पद पर तो लगातार हान चीनी मूल के सदस्य का ही कब्जा रहा है। चीनी कब्जे के बाद नौ तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर (टीएपी) में विभाजित तिब्बती क्षेत्र में से आठ प्रिफेक्चर में पार्टी सचिव हान मूल के चीनी हैं। केवल एक किन्हाई प्रिफेक्चर में तिब्बती मूल का पार्टी सचिव रखा गया है। जबकि, चीनी कानून के अनुसार जातीय अल्पसंख्यक स्वायत्त प्रान्तों और क्षेत्रों में सीसीपी सचिव और गर्वनर उसी जातीय अल्पसंख्यक वर्ग से होने का विधान किया गया है।

रिपोर्ट के तिब्बती खंड में मानवाधिकारों के उल्लंघनों, जिसमें पिछले वर्ष जबरन गायब कर देने, यातना, मनमानी हिरासत, इंटरनेट पर सेंसरशिप, धार्मिक स्वतंत्रता, आवागमन की स्वतंत्रता और राजनीतिक भागीदारी पर कठोर प्रतिबंधों के बारे में बताया गया है।

उल्लेखनीय है कि चीनी सरकार तिब्बतियों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखने और गायब करने की नीतियों को जारी रखे हुए है। इनमें 2018 की जनवरी में पोटाला पैलेस के बाहर से गिरफ्तार किए गए लोदी ग्यात्सो और 2017 के अंत में हिरासत में लिए गए न्गाबा कीर्ति मठ के भिक्षु थुबपा का मामला शामिल है। थुबपा के मामले में तो यह भी पता नहीं है कि उन्हें कहां और किस हालत में रखा गया है। इस रिपोर्ट में 1995 से ही गायब कर दिए गए 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्की न्यिमा के बारे में भी उल्लेख है।

29 अप्रैल, 2019 को कार्देज सेरशूल काउंटी से वांगचेन, लोबसांग और योटेन के मनमाने ढंग से हिरासत में रखने और गिरफ्तारी के कुछ मामले हैं। इसी तरह 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्की न्यिमा और 2018 में कीर्ति मठ के भिक्षु लोबसांग थम्खे (थपके) और लोबसांग दोरजी की गिरफ्तारी से रिहाई के लिए प्रार्थना करने के मामले को भी रिपोर्ट में शामिल किया गया है। तिब्बती भाषा कार्यकर्ता ताशी वांगचुक की गिरफ्तारी और सजा के मामले में निष्पक्ष सार्वजनिक सुनवाई और कानूनी प्रक्रियाओं का अनुपालन न करने का मामला भी इस रिपोर्ट में दर्ज किया गया है।

विदेश विभाग की रिपोर्ट में 1 मई, 2019 को जेल से रिहा होने के बाद ही 50 वर्षीय यशी ग्यात्सो की मौत का भी उल्लेख किया गया, जिनकी जेल में यातना और पिटाई का आरोप है। येशी ग्यात्सो को 2008 में तिब्बत में चीनी नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किया गया था।

7 नवंबर तक चीन के डेटाबेस पर उपलब्ध अमेरिकी कांग्रेस-कार्यकारी आयोग के आंकड़ों के अनुसार, “माना जाता है कि चीन में 273 ऐसे तिब्बतियों की संख्या हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन करते हुए पीआरसी अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिया गया या कैद किया गया है।” इसमें माना गया है कि यह तिब्बत में राजनीतिक कैदियों की वास्तविक संख्या का केवल एक छोटा सा हिस्सा है।

रिपोर्ट में तिब्बत में विरोध स्वरूप आत्मदाह किए जाने की घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है। इनमें हालिया मामला 2019 में नोगाबा में योंटेन द्वारा उग्र विरोध करते हुए आत्मदाह की का है। तिब्बत में आत्मदाह से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों को चीनी अधिकारियों द्वारा अपराध घोषित किया जा चुका है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विशेष रूप से इंटरनेट सेंसरशिप और निगरानी, शांतिपूर्ण सभा करने की स्वतंत्रता और तिब्बत में तिब्बतियों के आवागमन (देश और विदेश दोनों तरह की यात्राओं) की स्वतंत्रता पर कठोर प्रतिबंध को भी रिपोर्ट में इंगित किया गया है।

मानवाधिकार निगरानी संस्था की हालिया रिपोर्ट में चीन की नीतियों में तिब्बती भाषा के लिए खतरे को लेकर व्यक्त की गई चिंताओं को दोहराते हुए अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में भी चीनी नीति पर टिप्पणी की गई, जिसमें तिब्बती बच्चों को उनके घरों और परंपरागत समुदायों से हटाकर तिब्बती भाषा और संस्कृति सीखने की क्षमता सीमित कर दी गई है, जिन घरों और समुदायों में तिब्बती भाषा का उपयोग किया जाता है। इसी तरह मठों से युवा भिक्षुओं को हटाने की कार्रवाई भी की गई है। इसके बजाय उन्हें सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने को मजबूर किया गया है।

इस रिपोर्ट में कुछ नियोक्ताओं द्वारा विशेष रूप से तिब्बतियों और अन्य अल्पसंख्यकों को नौकरी के लिए आवेदन करने से रोकने के साथ तिब्बतियों के साथ रोजगार में नस्लीय भेदभाव, तिब्बतियों को टैक्सी ड्राइवरों, होटलों में काम देने से इनकार किए जाने और पूरे चीन में चीनी मकान मालिकों द्वारा किराए पर घर देने से मना करने की घटनाओं को भी रिपोर्ट में जगह दी गई है।

इसके विपरीत, प्रमुख विकास परियोजनाओं और चीन सरकार की नीतियों ने गैर-तिब्बतियों को अतुलनीय रूप से लाभान्वित किया और परिणामस्वरूप हान चीनी व्यक्तियों की टीएआर और अन्य तिब्बती क्षेत्रों में काफी वृद्धि हुई है।

इस तरह अमेरिकी विदेश विभाग की यह मानवाधिकार रिपोर्ट 2019 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के तहत तिब्बतियों पर दमन और मानवाधिकारों के उल्लंघन का विवरण प्रस्तुत करती है।


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