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अवैध रूप से कैद किए गए तिब्बती पर्यावरणविद् को खराब स्वास्थ्य के कारण १५ साल के बाद जेल से रिहा किया गया

November 21, 2024

फोटो में कर्मा समद्रुप (दाएं से दूसरे) को 18 नवंबर 2024 को रिहा होने के बाद चलने में मदद के लिए दो लोगों द्वारा सहारा देते हुए दिखाया गया है।

धर्मशाला। तिब्बती पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता कर्मा समद्रुप को १५ साल की जेल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया। उन्हें सजा के दौरान पांच साल तक राजनीतिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया था। निर्वासन में रह रहे तिब्बती समुदाय की मीडिया रिपोर्टों को देखें तो पता चलता है कि उनको दी गई सजा के चीनी दस्तावेज से संकेत मिलता है कि कर्मा समद्रुप की कैद अभी १९ नवंबर तक जारी रहेगी। कुछ सबूतों से पता चलता है कि उन्हें १८ नवंबर २०२४ के आसपास रिहा किया जा सकता है। कथित तौर पर समद्रुप पीठ से संबंधित बीमारी से पीड़ित हैं, जो उन्हें रिहाई के बाद बिना सहारे के अपने आप चलने में बाधा डाल सकती है।

कर्मा समद्रुप को ०३ जनवरी २०१० को गिरफ्तार किया गया और जबरन अज्ञात स्थान में ले जाया गया। कई महीनों तक हिरासत में रखने और अकल्पनीय यातना, पूछताछ और जबरदस्ती के बाद उसी वर्ष २४ जून को यान्की हुई झिंजियांग (पूर्वी तुर्केस्तान) जिला न्यायालय ने कब्र खुदाई और सांस्कृतिक अवशेष चोरी के आरोप में उन्हें अवैध तरीके से १५ साल की जेल की सजा सुनाई। हालांकि ये आरोप मूल रूप से उनके खिलाफ १९९८ में पूर्वी तुर्केस्तान में लगाए गए थे और बाद में उन्हें हटा दिया गया था। इस बार इस मुकदमे को फिर से सक्रिय किया गया था।

उन्हें अपैन कैद भाइयों- रिनचेन समद्रुप और चिमे नामग्याल से मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि चीनी अदालत द्वारा उनके खिलाफ की गई कानूनी कार्रवाई उन्हें अपने भाइयों की रिहाई के लिए किए जा रहे उनके प्रयासों के खिलाफ एक सुनियोजित प्रतिशोधात्मक साजिश थी। उनके भाइयों को पहले अगस्त २००९ में हिरासत में लिया गया था रिनचेन समद्रुप को पांच साल की जेल की सज़ा सुनाई गई और ०८ अगस्त २०१४ को ल्हासा जेल से रिहा कर दिया गया। चिमे नामग्याल को श्रम शिविर में लगभग डेढ़ साल की सज़ा सुनाई गई।

कर्मा समद्रुप के मामले ने चीन की विवादास्पद न्यायिक प्रक्रिया को भी उजागर कर दिया। क्योंकि उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर हिरासत के दौरान व्यवस्थित यातना देने का आरोप लगाया, मई २०१० में अवैध रूप से सबूत इकट्ठा करने के खिलाफ़ सरकार के नए नियमों को चुनौती दी। उन्होंने २२ जून २०१० को अपने मुक़दमे के दौरान खुलासा किया कि चीनी अधिकारियों ने उन्हें बार-बार पीटा, साथी बंदियों को उन्हें पीटने का आदेश दिया, उन्हें कई दिनों तक सोने नहीं दिया गया और उन्हें एक ऐसा पदार्थ दिया जिससे उनकी आँखों और कानों से खून बहने लगा। यह सब उनसे जबरन अपराध कबूल करवाने के लिए किया गया।

वर्तमान में लगभग ५६ वर्षीय कर्मा समद्रुप तिब्बत के गोंजो काउंटी के सोम्पा गांव में रहते हैं। उन्होंने और उनके भाइयों ने पुरस्कार विजेता अचुंग सेंगे नामग्याल स्वैच्छिक पर्यावरण संरक्षण संघ की स्थापना की है।


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