
धर्मशाला। ११वें पंचेन लामा गेदुन चोएक्यी न्यिमा के ३५वें जन्मदिन पर २५ अप्रैल २०२४ को एक आधिकारिक समारोह में भाग लेने आए एस्टोनियाई संसद और तिब्बत समर्थक समूह के प्रतिनिधियों ने छुगलगखांग में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया।
प्रतिनिधिमंडल: संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एस्टोनियाई सांसद और एस्टोनिया के विदेश मामलों के आयोग के सदस्य जुकू काले रेड, एस्टोनियाई संसद के सदस्य और इसके पूर्व अध्यक्ष जेन पोलुआस और एस्टोनियाई संसद के सदस्य तार्मो टैम और पूर्व एस्टोनियाई सांसद और पत्रकार एंड्रेस हर्केल ने प्रेस कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इन्होंने प्रेस के माध्यम से चीन से ११वें पंचेन लामा की तत्काल रिहाई की अपील की और तिब्बत मुद्दे के प्रति अपना अटूट समर्थन भी व्यक्त किया।
एस्टोनियाई पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत के अध्यक्ष जुको काले रैड ने एस्टोनियाई राष्ट्र और उसके लोगों के लिए इस प्रेस कांफ्रेस के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि परम पावन दलाई लामा ने तीन अलग-अलग अवसरों पर एस्टोनिया का दौरा किया था और हर बार बड़ी संख्या में एस्टोनियाई लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। एस्टोनिया के लोगों ने लगातार तिब्बत के प्रति गहरी प्रशंसा और स्नेह दिखाया है और उम्मीद करता हूं कि यह स्थायी भावना बनी रहेगी। विदेशी आधिपत्य से गुजरने के अनुभव तिब्बत और एस्टोनिया के लिए एकसमान रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम जिन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में खुद को पाते हैं, उसके बावजूद यह जरूरी है कि प्रगति को बनाए रखें और पीछे हटने या ठहरने के बारे में सोचें भी नहीं। वहां की सरकारी प्रणाली और संस्कृति मानवाधिकारों के उल्लंघन और जबरन कब्जे के कृत्य को नाजायज मानती है।
उन्होंने तिब्बती लोगों के लिए आत्मनिर्णय के अधिकार पर यूरोपीय देशों का समर्थन प्राप्त करने के लिए अधिक दृढ़ विश्वास और प्रभाव के साथ यूरोपीय देशों में आवाज उठाने की अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत की अनूठी विरासत के अस्तित्व की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि चीन तिब्बती मामलों में हस्तक्षेप करने से बचे।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के संबोधन के बाद मीडिया प्रतिनिधियों के साथ एक प्रश्नोत्तर-सत्र रखा गया, जिसमें ११वें पंचेन लामा को रिहा करने के लिए चीन से तत्काल अनुरोध करने को लेकर चर्चा की गई। सांसद जुको काले रेड ने जवाब दिया, ‘जैसा कि परम पावन (परम पावन के साथ निजी बातचीत के दौरान) ने आज उल्लेख किया, वर्तमान मुद्दा केवल पंचेन लामा का ही नहीं है, यह एक वैश्विक मामला है जिसमें गैरकानूनी कृत्य, जबरन कब्ज़ा और मानवाधिकारों का उल्लंघन कहा जाना चाहिए। हम यूरोपीय संसद में इन मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
इसके अतिरिक्त उन्होंने दावा किया, ‘यूरोपीय संसद का आगामी चुनाव नजदीक है। मेरे पास सक्षम व्यक्तियों को वोट देने के लिए इन मुद्दों और चिंताओं को उठाने जैसा जरूरी मानदंड है। इसलिए न केवल ११वें पंचेन लामा के ठिकाने पर अलग से चर्चा करना महत्वपूर्ण है, बल्कि चीनी सरकार की गैरकानूनी कार्रवाइयों पर चर्चा करना और उन्हें प्रकाश में लाना भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उन्होंने सोवियत संघ के शासन के तहत अपने अनुभवों के बारे में एक उल्लेखनीय बात कही, जिसमें चीनी सरकार सहित सत्तावादी सरकार के प्रति अपना पूरा अविश्वास व्यक्त किया।
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी प्रेस कांफ्रेंस में भाग लिया और तिब्बत के अंदर पीआरसी के निरंतर दमन पर अपनी चिंताओं को साझा किया।

