भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

कसूर ग्यालो थोंडुप (१९२८-२०२५)

February 10, 2025

– तिब्बत के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान (आईसीटी)

आधुनिक तिब्बती इतिहास के प्रमुख व्यक्तियों में से एक और परम पावन दलाई लामा के दूसरे सबसे बड़े भाई कसूर ग्यालो थोंडुप का १० फरवरी को भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के कलिम्पोंग शहर स्थित उनके घर पर निधन हो गया। वे ९७ वर्ष के थे।

उनका जन्म पूर्वी तिब्बत के तक्सेर में हुआ था। इस गांव में परम पावन दलाई लामा का भी जन्म हुआ था। थोंडुप ने कई साल चीन के नानजिंग में अध्ययन किया। १९४९ में चीन और अंततः तिब्बत पर कम्युनिस्टों के कब्जे के बाद वे तिब्बती मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने वाले मुख्य व्यक्ति बन गए। वे अगले कई दशकों में कई अलग-अलग पहलों में शामिल रहे, जिनका उद्देश्य परम पावन दलाई लामा और तिब्बती लोगों का समर्थन करना था। इनका विवरण उनके संस्मरण ‘द नूडल मेकर ऑफ़ कलिम्पोंग’ में दिया गया है।

१९५० के दशक में उनके संपर्क में रहकर सीआईए ने तिब्बत पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कब्जे के खिलाफ तिब्बती प्रतिरोध की सहायता के लिए अपना गुप्त कार्यक्रम शुरू किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तिब्बती मुद्दे को उठाने के लिए ल्हासा में तिब्बती सरकार के साथ समन्वय भी किया। परिणामस्वरूप अंततः १९५९, १९६१ और १९६५ में महासभा द्वारा तीन प्रस्ताव पारित किए गए।

निर्वासित तिब्बती सरकार में भी उनकी सीधी भूमिका थी। उन्होंने १९६० के दशक में विदेशी मामलों को संभाला और १९९० के दशक की शुरुआत में कशाग (मंत्रिमंडल) के अध्यक्ष बने। इस बीच उन्होंने भारत के कलिम्पोंग में एक निवास के अलावा हांगकांग में एक आधार स्थापित किया।

१९७० के दशक के अंत में चीनी सरकार ने उनसे संपर्क किया और उन्हें परम पावन दलाई लामा से बात करने की इच्छा जताते हुए उन्हें संदेश देने को कहा। कसूर ग्यालो थोंडुप ने परम पावन दलाई लामा को चीनी राष्ट्रपति देंग शियाओपिंग का संदेश दिया कि ‘स्वतंत्रता को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है’। परिणामस्वरूप परम पावन दलाई लामा के दूतों और चीनी नेतृत्व के बीच कई दौर की बातचीत हुई और धर्मशाला से तिब्बत के विभिन्न हिस्सों में कई तथ्य-खोज प्रतिनिधिमंडल भी गए। इस प्रकार वे परम पावन दलाई लामा के निजी दूत बन गए और उन्होंने चीन और तिब्बत की कई व्यक्तिगत यात्राएं कीं।

जब २००८ में एक चीनी अधिकारी ने कहा था कि देंग ने कभी ऐसा आश्वासन नहीं दिया था, तो थोंडुप ने धर्मशाला में मीडिया के सामने सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘यह मैं ही था जिससे दिवंगत सर्वोच्च नेता देंग शियाओपिंग ने १२ मार्च, १९७९ को कहा था कि ‘स्वतंत्रता को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।’

जब उनसे पूछा गया कि १९७९ में उन्होंने प्रतिरोध आंदोलन का नेतृत्व करने से लेकर चीनियों के साथ बातचीत करने की पहल करने तक अपना दृष्टिकोण क्यों बदला, तो थोंडुप ने कहा कि तिब्बती समस्या को हल करने के लिए भारत और अमेरिका का समर्थन अपर्याप्त है। इस मुद्दे पर वास्तविक प्रगति के लिए चीनियों के साथ बातचीत जरूरी है।

परम पावन दलाई लामा के विशेष दूत लोदी ग्यारी ने थोंडुप के साथ मिलकर काम किया था। लोदी ग्यारी अपने संस्मरण में कहते हैं, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि ग्यालो थोंडुप ने अपना पूरा जीवन तिब्बत मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने उस हर व्यक्ति, समूह या सरकार के साथ काम करने की कोशिश की जो इस मुद्दे में मदद कर सके। इनमें केएमटी, कम्युनिस्ट, अमेरिकी, भारतीय और यहां तक कि एक समय में रूसी भी शामिल थे। यह सब इस कारण से था क्योंकि वे इस मुद्दे के प्रति बहुत प्रतिबद्ध थे।’

तिब्बती मुद्दे को उठाने का कारण बताते हुए थोंडुप ने २००८ में कहा था, ‘मेरा उद्देश्य तिब्बत के मामले की पैरवी करना है। मुझे उम्मीद है कि चीन की सरकार उचित दृष्टिकोण अपनाएगी और हमारे साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार करेगी।’उन्होंने स्वीकार किया कि, ‘हां, (२००२ से बातचीत के मौजूदा दौर से) कोई परिणाम नहीं निकला है, लेकिन अगर कोई परिणाम नहीं निकलता है तो भी हम उम्मीद नहीं खोने वाले हैं। चीजें बदल रही हैं, दुनिया बदल रही है मैं काफी आशावादी हूं।’

उनकी पत्नी डिकी डोलकर (झू डैन) और बेटी यांगज़ोम डोमा का निधन उनसे पहले हो चुका। वे अपने पीछे बेटे- न्गावांग तान्पा थोंडुप, खेद्रोब थोंडुप और उनके परिवार छोड़ गए हैं। परम पावन दलाई लामा के अलावा, अब उनके जीवित भाई-बहनों में जेट्सन पेमा और तेंदज़िन चोएग्याल हैं।


विशेष पोस्ट

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

9 May at 11:40 am

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

9 May at 10:26 am

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

8 May at 9:05 am

परम पावन दलाई लामा ने दीर्घायु प्रार्थना में भाग लिया

7 May at 9:10 am

संबंधित पोस्ट

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने टीसीसीसी तिब्बती भाषा एवं संस्कृति स्कूल में तिब्बतियों को संबोधित किया

1 day ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने बेलेविले-ट्रेंटन तिब्बती समुदाय का पहला आधिकारिक दौरा किया

1 day ago

सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग ने अपर टीसीवी स्कूल में 11वें पंचेन लामा के जबरन गायब होने की 30वीं वर्षगांठ मनाई

3 days ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने कनाडाई संसद सदस्य य्वोन बेकर से मुलाकात की

3 days ago

सांसद तेनपा यारफेल और फुरपा दोरजी ग्यालधोंग ने नेपाल में दोथांग नोरज़िनलिंग का दौरा किया

4 days ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service