धर्मशाला। तिब्बत के न्गाबा क्षेत्र में विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, तिब्बत में चीन की आत्मसात करने वाली शिक्षा नीतियों और तिब्बत भर में अनिवार्य औपनिवेशिक शैली के आवासीय स्कूलों को मजबूत करने के परिणामस्वरूप सांस्कृतिक विलयीकरण और तिब्बती पहचान का नुकसान हो रहा है। मुख्य रूप से युवा तिब्बती भिक्षुओं और भिक्षुणियों को निशाना बनानेवाली जबरन की ये नीतियां पारंपरिक तिब्बती संस्कृति, धर्म और जीवन शैली के संरक्षण पर गंभीर खतरा पैदा करती हैं।
कीर्ति मठ और ज़ोगे काउंटी के दो मठों के १७०० से अधिक युवा भिक्षुओं को जबरन मठवासी जीवन छोड़ने और सरकारी औपनिवेशिक प्रणाली के आवासीय स्कूलों में दाखिला लेने का आदेश दिया गया है। उपरोक्त ये तीनों मठ पारंपरिक प्रांत अमदो के न्गाबा में स्थित हैं, जिन्हें अब सिचुआन प्रांत में शामिल कर लिया गया है। मठों से १८ वर्ष से कम आयु के भिक्षुओं का निष्कासन और आवासीय स्कूलों में जबरन नामांकन प्रभावित बच्चों और उनके माता-पिता दोनों की इच्छा और सहमति के विरुद्ध किया जा रहा है।
इन स्कूलों में युवा भिक्षुओं को गहन राजनीतिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता हैं, जिसमें पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की सरकार की अनिवार्य प्रशंसा भी शामिल है। इन बच्चों को मुख्य रूप से मंदारिन चीनी भाषा में पढ़ाया जाता है और स्कूल की छुट्टियों के दौरान उन्हें अपने मठों में जाने से भी मना किया जाता है। इन उपायों से तिब्बती भाषा कौशल की हानि होती है और तिब्बती सांस्कृतिक पहचान, आध्यात्मिक परंपराओं और धार्मिक प्रथाओं से उनका धीरे-धीरे नाता टूटता जाता है।
इन नीतियों को सख्ती से लागू करने को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारी सार्वजनिक लाभ वापस लेने और यहां तक कि उन माता-पिता को जेल में डालने की धमकी दे रहे हैं जो अपने बच्चों को इन सरकारी आवासीय स्कूलों में भेजने का विरोध करते हैं। तिब्बतियों पर अपनी जमीन पर नए घर बनाने और खानाबदोशों पर अपने पशुधन की संख्या बढ़ाने पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
यह स्पष्ट है कि पीआरसी सरकार के क्रूर शासन के तहत तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति बिगड़ती जा रही है और चीन द्वारा तिब्बती सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता को बहुत तेजी से दबाया और नष्ट किया जा रहा है। हाल के दिनों में ये चिंताजनक घटनाक्रम इस साल जुलाई में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के एक उच्च पदस्थ सदस्य वांग हुनिंग द्वारा करज़े, न्गाबा और क्यूंगचू काउंटियों के तिब्बती क्षेत्रों के दौरे के साथ मेल खाते हैं।
हम सरकारों, संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस गंभीर स्थिति में तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं जो सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ-साथ सभी के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम पीआरसी से तिब्बती लोगों के तिब्बती पहचान को कायम रखने, संरक्षित करने और बढ़ावा देने के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करने के अपने अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों को बनाए रखने की आवश्यकता को दोहराते हैं। हम पीआरसी सरकार से औपनिवेशिक प्रणाली के आवासीय स्कूलों के संचालन के माध्यम से तिब्बती क्षेत्रों में अपनाई जा रही आत्मसात करने वाली नीतियों को रोकने का पुरजोर आह्वान करते हैं।