
धर्मशाला। भारतीय स्वतंत्रता की ७८वीं वर्षगांठ पर इस खुशी के दिन को मनाने के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने भारतीय भाई-बहनों के साथ गंगचेन कइशोंग में एक संक्षिप्त समारोह का आयोजन किया।
इस समारोह में निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल, सिक्योंग पेन्पा शेरिंग, शिक्षा मंत्री थरलाम डोल्मा चांगरा, सुरक्षा मंत्री डोल्मा ग्यारी और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सचिव शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत सिक्योंग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने और भारत का राष्ट्रगान गाने के साथ हुई। इसके बाद सिक्योंग ने मीडिया से बात की और इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार और यहां के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘तिब्बत के अंदर और निर्वासन में रहने वाले तिब्बतियों की ओर से हम ७८वें स्वतंत्रता दिवस समारोह पर भारत के नेतृत्व और लोगों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहते हैं।’
तिब्बत के नेतृवर्ग ने पिछले साठ वर्षों से अधिक समय से इतिहास के सबसे बुरे दौर में तिब्बती शरणार्थियों को भारत द्वारा ईमानदारी से दी गई सहायता को स्वीकार किया है। इस सहायता के लिए तिब्बती नेतृवर्ग ने प्रत्येक तिब्बती की ओर से भारत सरकार और यहां के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है।
सिक्योंग ने आगे कहा, ‘यह विडंबना है कि भारत को १९४७ में स्वतंत्रता मिली और इसके तीन साल बाद हमने अपनी स्वतंत्रता खो दी। वास्तव में, दुनिया भर के कई देशों ने विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त कर ली। लेकिन दुर्भाग्य से, कम्युनिज्म की लहर ने तिब्बत के क्षेत्र को चीन के जबरदस्त कब्जे में ले लिया। हम अभी भी यहां राजनीतिक शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं और हम भारत की स्वतंत्रता से प्रेरणा भी लेते हैं कि हम भी एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में तिब्बत वापस लौटेंगे। हम एक ऐसे समुदाय के रूप में अपने देश लौटेंगे जो भाषा, संस्कृति, धर्म, जीवन शैली और विशेष रूप से पर्यावरण के संदर्भ में अपनी पहचान के संरक्षण और संवर्धन करते हुए स्वतंत्रता का उपभोग कर सकते हैं। यह न केवल तिब्बत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए यह आप भारतीयों के लिए जश्न मनाने का खुशनुमा अवसर है, लेकिन हम तिब्बती भी आपके साथ इसका आनंद लेते हैं। साथ ही, हम उस दिन के बारे में भी सोचते हैं और उसका इंतजार करते हैं जब हमें भी अपनी आज़ादी का जश्न मनाने का मौका मिलेगा।
