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गांसु में तिब्बती मठ को बंद करने को मजबूर किया; भिक्षुओं और भिक्षुणियों से चीवर उतरवा लिए गए

August 6, 2021

चीनी सरकार द्वारा तिब्बत के मठ को जबरन बंद कराते हुए

tibet.net

०६ अगस्त, २०२१

हाल के वीडियो फुटेज में दीख रहा है कि गांसु प्रांत में स्थानीय अधिकारी खरमार (चीनी: होंगचेंग) नामक एक तिब्बती मठ से भिक्षुओं और भिक्षुणियों को जबरन निकाल रहे हैं। अधिकारियों द्वारा इस तिब्बती मठ को जबरन बंद कर दिए जाने से इन भिक्षुओं और भिक्षुणियों को मजबूरन मठवासी जीवन का त्याग करना पड़ा है।

एक चीनी मीडिया संस्थान ‘मिंगडे’ के अनुसार, खरमार मठ को बंद करने और वहां से भिक्षुओं और भिक्षुणियों को जबरन निकालने की कार्रवाई ३१ जुलाई २०२१ को शुरू हुई, जब योंगजिंग काउंटी सरकार ने वहां बड़ी संख्या में पुलिस बलों को भेजा। यह कार्रवाई चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की २१ और २२ जुलाई को हुई तिब्बत यात्रा के कई दिनों बाद ही हुई है।

चिंताजनक वीडियो

घटना के वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल रहे थे। ऐसे ही एक क्लिप में एक भिक्षुणी एक विशाल बैनर के नीचे मठ के सामने धरना-प्रदर्शन करते हुए प्रार्थना करती नजर आ रही हैं। भिक्षुणी द्वारा टांगे गए बैनर में लिखा है जिसका अर्थ है कि ‘मठवासी समुदाय की जबरन बेदखली देश के कानून के अनुरूप सही नहीं है।’

एक अन्य क्लिप में कई भिक्षुणियों को मंदिर के बाहर सादे कपड़ों के जासूसों द्वारा जबरन घसीटते हुए दिखाया गया है, जबकि अन्य भिक्षुणियों को मठ के सभा कक्ष से बाहर निकलते देखा गया था। एक अन्य क्लिप में भिक्षुणियों को रोते हुए देखा जा सकता है, जबकि एक बुजुर्ग लामा शोकग्रस्त भिक्षुणी को सांत्वना देते हुए जाते दिख रहे हैं। एक और चौंकाने वाले क्लिप में एक भिक्षु को मठ की छत के किनारे पर खड़ा देखा गया था, जो अधिकारियों को वहां से ‘चले जाने’ या नहीं जाने पर खुद कूद जाने की धमकी दे रहा था।

मठ को अप्रत्याशित रूप से बंद किए जाने के वास्तविक कारणों के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया है, क्योंकि योंगजिंग काउंटी के अधिकारियों से जानकारी लेने के लिए रेडियो फ्री एशिया द्वारा प्रयास किए जाने पर अधिकारियों ने या तो टिप्पणी करने से इनकार कर दिया या मिलने से ही इनकार कर दिया। मिंगडे के अनुसार, मठ ने कोविड-१९ राहत कोष के लिए ३,००,००० युआन से अधिक जुटाए और दान किए हैं। इसने स्थानीय सरकार का ध्यान मठ की ओर खींचा। प्रशासन ने मठ के संचालकों से कहा कि वे सरकार के साथ अपने धन को समान रूप से बांटे। जब मठवासी समुदाय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो स्थानीय अधिकारी मठ को बंद करने के लिए सादे कपड़ों में आ धमके।

प्रसिद्ध मठ

‘इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत’ के अनुसार, तिब्बती भाषा के शब्द खरमार का हिन्दी में शाब्दिक अर्थ ‘लाल किला’ होता है। यह खरमार लिंक्सिया हुई स्वायत्त प्रिफेक्चर में स्थित है, जो सीधे कन्ल्हो तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की सीमा से सटा हुआ है। इतिहास में जब यह क्षेत्र तिब्बती साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था तब इस क्षेत्र को तिब्बती में गाचू के नाम से जाना जाता था।

मंगोल साम्राज्य के दौरान, १३वीं शताब्दी में कुबलई खान के आदेश पर तिब्बती बौद्ध धर्म के शाक्य स्कूल के पांचवें नेता ड्रोगोन चोग्याल फाग्पा को सम्मानित करने के लिए उस स्थान पर एक पैगोडा (बौद्ध मंदिर) की स्थापना की गई थी। इसी पैगोडा के स्थान पर बाद में खरमार मठ का निर्माण किया गया था। माओत्से तुंग की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान पैगोडा और मठ- दोनों को ध्वस्त कर दिया गया था। बाद में २०११ में इसका पुनर्निर्माण किया गया। मठ शाक्य मत का अनुयायी है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के चार मतों में से एक है।


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