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चीन की ‘नस्लीय एकता’ का मूल उद्देश्य तिब्बत मूल का पूरी तरह से सफाया करके तिब्बती पठार का पूर्ण चीनीकरण करना है रू सीटीए सूचना सचिव

January 15, 2020

टी.जी. आर्या

धर्मशाला। तिब्बत के खाम प्रांत में हाल ही में 30 तिब्बतियों की गिरफ्तारी के साथ ही तिब्बत के कई हिस्सों में मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में लेने और वहां लगातार उत्पात मचाने के बाद तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की पीपुल्स कांग्रेस ने पिछले हफ्ते टीएआर क्षेत्र में ‘जातीय एकता को मजबूत’ करने वाला पहला कानून पारित किया है, जिसे आगामी 1 मई से क्रियान्वित करना है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कानून दमनीय रणनीति का आईना है जिसे चार साल पहले पूर्वी तुर्केस्तान (चीनीरू झिंझियांग) में लागू किया गया था।
चीन ने पिछले छह दशकों में तिब्बत पर सैन्य कब्जे को पुख्ता करने के लिए आक्रामक रूप से सरकार के केंद्रीय और स्थानीय-दोनों स्तरों पर एकतरफा अभियान छेड़ रखा है। लेकिन इस नए राज्य-प्रायोजित विनियमन को तिब्बती लोगों द्वारा उनकी पहचान की सुरक्षा, स्वतंत्रता, मानवाधिकारों को लेकर किए जा रहे आह्वान की आक्रामकता को कम करने और परम पावन दलाई लामा के तिब्बत में सम्मानजनक वापसी की उनकी मांग को रोकने के लिए एक सख्त उपाय के रूप में देखा जा रहा है।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना सचिव श्री टी.जी. आर्या ने इस नए जातीय पहचान कानून की निंदा की है और इसे तिब्बती पठार के चीनीकरण के उद्देश्य से तिब्बती मूल का पूरी तरह से सफाया करने की एक चाल बताया है। सचिव ने इस कानून को अंतरराष्ट्रीय कानून और चीनी संविधान के विपरीत बताते हुए आलोचना की।
‘साठ वर्षों के अवैध कब्जे और दमन के माध्यम से चीन जो हासिल नहीं कर सका, उसे अब वह दमनकारी कानून के माध्यम से हासिल करने की कोशिश कर रहा है।‘ सचिव टीजी आर्य ने तिब्बत समाचार ब्यूरो को बताया कि इस कानून का उद्देश्य तिब्बती पठार को नस्लीय सफाया करते उसका पूरी तरह से चीनीकरण करना है। चीन तिब्बत पर अपना पूर्ण आधिपत्य स्थापित करने में तिब्बती भाषा, धर्म और संस्कृति को मुख्य बाधा के रूप में देखता है।‘
सचिव ने चेतावनी दी कि तिब्बत में नए जातीय पहचान कानून तिब्बत में रह रहे तिब्बती लोगों के लिए आगे आनेवाले कठोर समय की चेतावनी है। इस कानून का पूरा मसौदा अभी तक जारी नहीं किया गया है, जिसमें स्थानीय सरकारों को निर्देश दिए गए हैं कि जातीय एकीकरण के लिए उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है।
सरकार द्वारा नियंत्रित ग्लोबल टाइम्स की सोमवार की रिपोर्ट के अनुसार, कानून में ‘जातीय एकता’ को मजबूत करने और अलगाववाद की भावना को कुचल देने के लिए तिब्बत की आबादी का चीनी मूल के साथ एकीकृत कर देने का आह्वान किया गया है। सरकारी मीडिया के अनुसार, कानून को सभी स्तरों पर लागू करने की आवश्यकता है। इनमें सरकार, कंपनियां, सामुदायिक संगठन, गांव, स्कूल, सेना और धार्मिक केंद्र शामिल हैं। इन सभी स्तरों पर जातीय एकीकरण का काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।
इस कानून की आलोचना सरकारी नेताओं और प्रमुख मानवाधिकार संगठनों ने भी की है क्योंकि यह कानून तिब्बती पहचान और सांस्कृतिक विरासत का सफाया कर देनेवाला है।
मंगलवार को अमेरिकी सीनेटर मार्को रूबियो ने सीएनए को बताया कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि तिब्बत की कथित स्वायत्त विधायिका ने श्जातीय एकीकरणश् को बढ़ावा देने के लिए नियम पारित कर दिया है। सीनेटर ने कहा, ‘ऐसे में जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती संस्कृति को खत्म करने के अपने प्रयासों को जारी रखे हुए है, अमेरिका और दूसरे स्वतंत्रता प्रेमी देशों को इस मानवीय अधिकारों के उल्लंघन करने की चीन की कार्यवाही की निंदा करनी चाहिए।‘
वरिष्ठ पत्रकार और चीन पर नजर रखनेवाले विजय क्रांति कहते हैं कि तिब्बत में नया ‘जातीय पहचान कानून’ तिब्बती क्षेत्र में बीजिंग की वर्तमान असुरक्षाओं को परिलक्षित करता है, जिनकी आबादी को वे अब तक चीनी मुख्यधारा की पहचान के साथ एकीकृत करने में विफल रहे हैं।
उन्होंने इंडिया टीवी न्यूज को बताया, ‘यह घोषणा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की उसकी इस विफलता की अप्रत्यक्ष स्वीकारोक्त िहै कि वह तिब्बत के लोगों के दिलों को जीतने और उनकी समग्र पहचान को चीनी मूल में एकीकृत करने में विफल रही है।‘ उन्होंने चीन सरकार की पहले की उस भड़काऊ कार्रवाई का जिक्र किया, जिसमें वह वर्तमान दलाई लामा के निधन के बाद अपनी पसंद के अगले दलाई लामा को थोपकर तिब्बत की धार्मिक व्यवस्था और पदानुक्रम पर कब्जा करने का प्रयास कर रही है ताकि दुनिया यह मान ले कि तिब्बती लोग चीनी शासन के तहत खुश हैं।‘
उन्होंने कहा कि ‘पीआरसी के सात दशकों के इतिहास में इस नए कानून का पारित होना एक अनोखी और पहली घटना है। यह आश्चर्य की बात नहीं होगी कि अन्य सभी स्वायत्त क्षेत्र की असेंबलियों को भी इसी तरह का कानून पारित करने के लिए मजबूर किया जा सकता है। तिब्बत चीन के तथाकथित पांच स्वायत्त प्रांतों में से एक है। इसके अलावा पूर्वी तुर्किस्तान (चीनी- झिंझियांग), दक्षिण मंगोलिया (चीनी रू इनर मंगोलिया), गुआंग्शी और निंगक्सिया हैं। जातीय मुद्दों पर इसी तरह की नीति झिंझियांग क्षेत्रीय पीपुल्स कांग्रेस में भी पारित की गई थी, जो शैक्षणिक स्वतंत्रता, शैक्षिक पाठ्यक्रम और वाणिज्यिक निर्णयों जैसे क्षेत्रों में निहितार्थों के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कड़ा नियंत्रण रखती है।


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