धर्मशाला। चीन की पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) सरकार ने परम पावन दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन पर तिब्बतियों के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रतिबंध लगा दिये। विश्वसनीय सूत्रों की रिपोर्ट है कि चीनी अधिकारियों ने करजे मठ में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात कीं, जिससे भिक्षुओं और भिक्षुणियों को मठ परिसर के भीतर ही सीमित कर दिया गया है और उन्हें किसी भी प्रकार के सार्वजनिक या सामुदायिक अनुष्ठान में भाग लेने से रोक दिया गया। अधिकारियों ने घरों में किसी भी प्रकार का धुआं करने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया। यह संगसोल प्रार्थना अनुष्ठानों के दौरान जुनिपर की शाखाओं को जलाने की सदियों पुरानी धार्मिक प्रथा है, जिसका उद्देश्य सौभाग्य लाना और दुर्भाग्य को दूर करना है। चीनी अधिकारियों ने इस प्रथा को दबाने के लिए एक सुनियोजित साजिश के तहत कार्रवाई की।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, परम पावन के ९०वें जन्मदिन के आसपास, चीनी अधिकारियों ने तिब्बतियों पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है, जिसमें उनके संवाद-संचार, विशेष रूप से निर्वासित लोगों के साथ और पूरे तिब्बत में उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। उदाहरण के लिए, करजे के ड्राकगो काउंटी में, अधिकारियों ने एक आधिकारिक नोटिस जारी कर तिब्बती लोगों द्वारा की जानेवाली किसी भी सभा पर २३ जुलाई २०२५ तक रोक लगा दी है। कई तिब्बतियों को पारंपरिक अमदो प्रांत के बा जोंग और सिलिंग (चीनी: शिनिंग) में कैद कर लिया गया है या हिरासत में रखा गया है तो कुछ को काउंटी-स्तरीय सरकारी सुरक्षा कार्यालयों में रखा गया है। किसी भी स्थिति में कैद किए गए लोगों के रिश्तेदारों और परिवार और प्रियजनों को उनके ठिकाने और कुशल-क्षेम के बारे में कभी सूचित नहीं किया जा रहा है।
जुलाई में बीबीसी के पत्रकारों की एक टीम ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति के बारे में कई भिक्षुओं से बात करने के लिए न्गाबा स्थित कीर्ति मठ का दौरा किया। यात्रा के तुरंत बाद, चीनी अधिकारियों ने मठ पर कार्रवाई शुरू कर दी और कई भिक्षुओं से पूछताछ की।
चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के प्रमुख कीर्ति मठों में धार्मिक स्वतंत्रता पर अपना शिकंजा कस दिया है और जुलाई २०२५ से आक्रामक कार्रवाई शुरू कर दी है। १३ जुलाई से सुरक्षा बलों ने न्गाबा काउंटी में न्गाबा कीर्ति मठ, जोगे काउंटी में तकत्संग ल्हामो कीर्ति मठ और बरखम काउंटी में ग्यालरॉन्ग त्सोदुन कीर्ति मठ पर नए सिरे से व्यापक प्रतिबंध लगा दिए हैं। अधिकारियों ने कथित तौर पर भिक्षुओं को कड़ी चेतावनी जारी की है और उन्हें निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता कीर्ति रिनपोछे से जुड़ी सभी तस्वीरों, लेखों और दस्तावेजों को नष्ट करने का आदेश दिया है। अधिकारियों ने धमकी दी है कि ऐसी सामग्री के साथ पकड़े गए किसी भी मठ पर ‘राजनीतिक अपराध’ का आरोप लगाया जाएगा। राजनीतिक अपराध चीन में एक गंभीर आरोप जिसका इस्तेमाल अक्सर लंबी जेल की सजा सहित कठोर सजा देने के लिए किया जाता है। कई महीने पहले, चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के चार प्रमुख कीर्ति मठों में से एक, गांसु प्रांत के सांगचू काउंटी स्थित, होर सांग कीर्ति मठ में कीर्ति रिनपोछे की तस्वीरों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह आदेश मठ के बाहर भी लागू है। भिक्षुओं के आवासों और यहां तक कि स्थानीय तिब्बती परिवारों को भी अपने पूजनीय आध्यात्मिक नेता की तस्वीरें रखने या प्रदर्शित करने की सख्त मनाही है।
चीनी अधिकारियों ने बौद्ध शैक्षिक प्रशासन समिति को बंद कर दिया है, जो अपने दार्शनिक अध्ययनों के लिए प्रसिद्ध चार प्रमुख कीर्ति मठों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रमुख संस्था है। अधिकारियों ने समिति पर निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता कीर्ति रिनपोछे से संबंध रखने का आरोप लगाया था। एक व्यापक कार्रवाई में, सिचुआन प्रांत में न्गाबा स्वायत्त प्रिफेक्चर की सरकार ने काउंटी-स्तरीय अधिकारियों के साथ मिलकर कीर्ति रिनपोछे की तस्वीरों के प्रदर्शन पर संयुक्त रूप से प्रतिबंध लगा दिया।
परम पावन दलाई लामा के जन्मदिन से पहले के महीनों में चीनी अधिकारियों ने चीन के किंघई प्रांत में शामिल तिब्बती क्षेत्रों में प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया। विदेश से तिब्बत लौट रहे तिब्बतियों को मठों में प्रवेश करने और श्रद्धांजलि अर्पित करने से रोक दिया गया और इसके लिए कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया। तिब्बत के अमदो क्षेत्र के सोशर प्रिफेक्चर के यादजी (चीनी: जुन्हुआ) में मठों को पांच से ज्यादा भिक्षुओं के एकत्र होने की अनुमति नहीं देने का आदेश दिया गया था। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लगभग २०० तिब्बतियों से परम पावन के जन्मदिन समारोह से कथित संबंधों के बारे में पूछताछ की गई। इसके अलावा, कई प्रमुख तिब्बती मठों में भिक्षुओं और भिक्षुणियों को बड़ी प्रार्थनाएं और सभाएं आयोजित करने से रोक दिया गया।
अमदो प्रांत के सोजांग (चीनी: हैबेई) प्रिफेक्च्र के कांगत्सा (चीनी: गंगचा) काउंटी में चीनी अधिकारियों ने दलाई लामा के ९०वें जन्म दिवस वर्ष के दौरान व्यक्तिगत जन्मदिन मनाने के आशंकित तिब्बतियों पर निगरानी बढ़ा दी है। सुरक्षा अधिकारियों ने पहचान पत्र की जांच की है और निवासियों को अपने निजी जन्मदिन समारोहों की तस्वीरें स्थानीय सार्वजनिक सुरक्षा कार्यालयों में जमा करने का आदेश दिया है।
चीनी अधिकारियों ने २५ जुलाई २०२५ को अमदो के माल्हो प्रिफेक्चर के चेन्त्सा (चीनी: जियांजा) काउंटी में दो तिब्बतियों को हिरासत में लिया। अधिकारियों ने गिरफ्तारी का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया और दोनों के ठिकाने और कुशल-क्षेम नहीं बताने के कारण उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ गई हैं।
तिब्बती राजधानी ल्हासा और माल्ड्रोगुंगकर सहित तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्टों से पता चलता है कि ल्हासा शहर में बड़ी संख्या में सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। माल्ड्रोगुंगकर में चीनी अधिकारियों ने कथित तौर पर तिब्बतियों को सांगसोल करने से रोकने के आदेश जारी किए हैं, जहां तिब्बती अक्सर पहाड़ियों या छतों पर धूप और जुनिपर की शाखाएं जलाते हैं।
इस वर्ष के कड़े कदम तिब्बत में धार्मिक जीवन, खासकर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण तिथियों के दौरान चीनी नियंत्रण के व्यापक चलन का हिस्सा हैं। यह धमकियों और दंडों का उपयोग करके परम पावन दलाई लामा के साथ तिब्बतियों के संबंधों को तोड़ने की एक सोची-समझी चाल भी है। जारी प्रतिबंध पीआरसी द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय वाचा के साथ-साथ उसके अपने संविधान सहित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के व्यवस्थित उल्लंघन का प्रतीक हैं, जो कम से कम कागजों पर, सरकार के हस्तक्षेप के बिना किसी के धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने के अधिकार की रक्षा करते हैं।
– केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के डीआईआईआर में तिब्बत एडवोकेसी अनुभाग के तहत संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार डेस्क की रिपोर्ट