धर्मशाला। चीन को लेकर अमेरिकी कांग्रेस के कार्यकारी आयोग (सीईसीसी) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के पैमाने पर वहां लगातार गंभीर उल्लंघनों को रेखांकित किया गया है। इसके प्रमाण के तौर पर तिब्बत की स्थिति को सामने रखा गया है, जहां तिब्बतियों को अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करने पर दंडित किया जाता है। इनमें धार्मिक विश्वासों की अभिव्यक्ति, पीआरसी नीतियों की आलोचना और ऑनलाइन सूचनाओं का आदान-प्रदान करना शामिल है। ०१ जुलाई २०२२ से ३० जून २०२३ तक की वार्षिक रिपोर्ट में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के शासन में मानवाधिकारों और कानून के शासन की गतिविधियों पर फोकस किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें २०१० से पीआरसी अधिकारियों और परम पावन दलाई लामा के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत बंद होने, पीआरसी के हस्तक्षेप और परम पावन दलाई लामा सहित तिब्बती बौद्ध लामाओं के पुनर्जन्म के चयन और मान्यता पर चीनी शासन द्वारा नियंत्रण किए जाने के प्रयासों पर नजर रखी गई है। इसके साथ इन नीतियों में आवासीय स्कूलों का एक नेटवर्क स्थापित करना शामिल है, जिनमें तिब्बती बच्चों को दाखिला लेने के लिए मजबूर किया जाता है।
रिपोर्ट में पीआरसी द्वारा तिब्बतियों के सामाजिक नियंत्रण, निगरानी और दमन के रूप में सुनियोजित तरीके से उनके डीएनए, रक्त के नमूने और आईरिस स्कैन संग्रह कार्यक्रमों की रूपरेखा दी गई है। इस रिपोर्ट में तिब्बती और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाली पीआरसी की नीतियों पर भी प्रकाश डाला गया है। इन नीतियों में स्कूलों को बंद करना, मानक मंदारिन भाषा के अलावा किसी भी अन्य भाषा में शिक्षण पर प्रतिबंध लगाना, परम पावन दलाई लामा के जन्मदिन को मनाने पर प्रतिबंध, ऐसे अवसरों के दौरान निगरानी बढ़ाना और परम पावन की तस्वीरें रखने या लेने-देने के खिलाफ शख्त चेतावनी देना शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि पीआरसी अधिकारी धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध बढ़ा रहे हैं, विशेष रूप से महत्वपूर्ण आयोजनों और संवेदनशील तिथियों के आसपास। उदाहरणों में परम पावन दलाई लामा का जन्मदिन मनाने पर प्रतिबंध, ऐसे अवसरों पर निगरानी बढ़ाना और परम पावन की तस्वीरें साझा करने के खिलाफ चेतावनी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, धार्मिक हस्तियों के जन्मदिन मनाने वाले अनधिकृत सोशल मीडिया समूहों के लिए व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है, परम पावन दलाई लामा के जन्मदिन को ऑनलाइन मनाने के खिलाफ चेतावनी दी गई है और विदेशों में दान भेजने के गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं, निर्वासित नेताओं का समर्थन करने के लिए भिक्षुओं को जेल की सजा मिली है। हिरासत में मौत और पुलिस यातना के आरोप जैसी दुखद घटनाएं तिब्बतियों के सामने दमनकारी माहौल को और उजागर करती हैं।
रिपोर्ट में तिब्बत में कोविड-१९ के प्रकोप के बाद सख्त ‘जीरो कोविड’ मानकों के प्रभाव को भी दर्शाया गया है, जिसके कारण लॉकडाउन के दौरान उचित सहायता न मिलने के कारण आलोचना और विरोध-प्रदर्शन हुए। अधिकारियों ने विरोध के स्वर को सेंसर किया, सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया और तिब्बती बंदियों के साथ भेदभाव किया। प्रतिबंधों में आंशिक छूट के बावजूद, विरोध-प्रदर्शन जारी रहे। इन विरोध- प्रदर्शनों में खासकर हान चीनी प्रवासियों से तिब्बत छोड़ने को कहा गया, जो उनके बीच चल रहे तनाव को उजागर करते हैं।
२०२३ की वार्षिक रिपोर्ट में ‘प्रौद्योगिकी-संवर्धित अधिनायकवाद’ शीर्षक से एक नया अध्याय शामिल किया गया है। इसमें स्वीकार किया गया है कि कैसे उभरती हुई तकनीक चीन को और पूरी दुनिया को कहीं भी किसी की भी निगरानी, सेंसरशिप और स्वतंत्रता के दमन की सुविधा प्रदान करती है।
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए सी.ई.सी.सी. की सिफारिशें:
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों को निम्नलिखित कार्यवाहियां करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है:
– संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करें ताकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार अधिकारियों को चीन अधिकृत तिब्बती क्षेत्रों में यात्रा करने की व्यवस्था करने में मदद मिल सके। बिना बाधा की तिब्बत यात्रा में ये अधिकारी स्वतंत्र रूप से वहाँ मानवाधिकारों की स्थिति का आकलन कर सकेंगे। इस दौरे में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी या सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई प्रतिबंध या बाधा नहीं होगा। इस आकलन के बाद उनके निष्कर्षों पर संयुक्त राष्ट्र को एक पूरी रिपोर्ट दी जा सकेगी। चीन अधिकृत तिब्बती क्षेत्रों में यात्रा करने को उत्सुक संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों में मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त, अल्पसंख्यक मुद्दों पर विशेष प्रतिवेदक और शिक्षा के अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक शामिल हैं।
– तिब्बत में बड़े पैमाने पर जबरदस्ती बायोमेट्रिक डेटा-एकत्रीकरण और निगरानी कार्यक्रमों सहित घोर मानवाधिकार उल्लंघनों में लिप्त चीनी पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इन अनैतिक कार्यों में प्रयुक्त होनेवाले उपकरणों की बिक्री या अनुदान देने वाली अमेरिकी कंपनियों को ऐसा करने से रोकने के लिए उचित कानून पारित करें और लागू करें। चीनी पुलिस और कानून पर्वतन एजेंसियों के संपर्क में रहने वाली अमेरिकी कंपनियां चीनी बलों को ऐसे उपकरण धड़्ल्ले से बेच रही हैं।
– समान विचारधारा वाले देशों में सरकारी अधिकारियों, सांसदों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर इस बात के लिए काम करें कि चीनी सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर तिब्बतियों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने के लिए दबाव बनाया जा सके। चीनी सरकार को यह मानने के लिए मजबूर किया जा सके कि चीन के संविधान और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत तिब्बतियों को अपनी धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों का पालन करने का अधिकार है। इन कानूनों के तहत भी तिब्बती बौद्धों को यह अधिकार मिला हुआ है कि वे दलाई लामा सहित सभी लामाओं के पुनर्जन्म की पहचान करें और उन्हें तिब्बती बौद्ध रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुरूप तरीके से शिक्षित- प्रशिक्षित करें।
– चीनी सरकार से आगह करें कि वह दलाई लामा को चीन की सुरक्षा के लिए खतरा मानना बंद करे और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के वास्तविक बातचीत को फिर से शुरू करे।
– अपने मानवाधिकारों का शांतिपूर्ण उपयोग करने के कारण वर्तमान में हिरासत में लिए गए या कैद किए गए तिब्बती राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आह्वान चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत में करें। आयोग के राजनीतिक कैदी डेटाबेस में हिरासत में लिए गए तिब्बतियों के आंकड़े इस तरह की वकालत के लिए उपयोगी संसाधन हो सकते हैं। चीनी सरकार और उसकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा चीनी सुरक्षा बलों से आग्रह करें कि वे तिब्बतियों को अपने मानवाधिकारों के शांतिपूर्ण उपयोग करने दें। उन्हें इन अधिकारों के उपयोग से रोकने के लिए दबाने, दंडित करने, मनमाने ढंग से हिरासत में लेने, गायब करने, उनके साथ मारपीट करने, उन्हें यातना देने और उन्हें डराने-धमकाने से बाज आएं।
– चीनी सरकार से आग्रह करें कि वह दुनिया भर की सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को ११वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा से मिलने के लिए आमंत्रित करें। गेधुन चोएक्यी न्यिमा को दलाई लामा ने ११वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी थी। लेकिन मान्यता के तुरंत बाद ११वें पंचेन लामा और उनके माता-पिता को १९९५ में अपहरण कर लिया गया था।