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चीनी अधिकारियों ने निर्वासित तिब्‍बतियों से संपर्क करने के आरोप में तिब्बती छात्र को तीन साल की सजा सुनाई 

June 28, 2022

न्यिमा

‘देश की गोपनीय सूचनाओं’ को उजागर करने के आरोप में तिब्बती बुद्धिजीवियों पर कार्रवाई की शृंखला में न्यिमा की सजा नवीनतम है। 

rfa.org / संग्याल कुंचोक

चीनी अधिकारियों ने इस महीने निर्वासित तिब्बति‍यों से संपर्क करने के आरोप में विश्वविद्यालय के एक छात्र को तीन साल की जेल की सजा सुनाई है। आरएफए की तिब्बती सेवा को कार्यकर्ताओं ने यह जानकारी दी है। इस छात्र को दी गई सजा तिब्बती बुद्धिजीवियों, कलाकारों और तिब्‍बती समुदाय के अन्य नेताओं की मनमानी गिरफ्तारी की शृंखला में नवीनतम घटना है।

न्यिमा नामक इस छात्र को जासूसी के आरोप में इस साल जनवरी में सिचुआन प्रांत के कार्दज़े (चीनी: गंजी) तिब्बती स्वायत्त प्रि‍फेक्‍चर के शेलियन टाउनशिप से अप्रत्याशित रूप से गिरफ्तार किया गया था।

न्यिमा सिचुआन के गेहो नेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं और वह तिब्बती संस्कृति का अध्‍ययन कर रहे हैं।

तिब्बती, चीनी और अंग्रेजी में धाराप्रवाह बोलने का ज्ञान रखनेवाले न्यिमा जनवरी में अपनी गिरफ्तारी से पहले तक हमेशा पर्यटकों और आगंतुकों के संपर्क में रहते थे और उन्‍हें तिब्बत की अनूठी भाषा और संस्कृति के बारे में जानकारियां देते रहते थे।

तिब्बत के अंदर रहने वाले एक तिब्बती सूत्र ने आरएफए को बताया, कि न्यिमा को कथित तौर पर राष्‍ट्रीय गोपनीय सूचनाओं को लीक करने के आरोप में गत ०५ जून को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि चीनी अधिकारियों ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि न्यि‍मा ने किस तरह की राष्‍ट्रीय गोपनीय सूचनाओं को लीक किया है।

सूत्र ने सुरक्षा कारणों से नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि उन्हें तिब्बत के इतिहास और प्रामाणिक तिब्बती संस्कृति के बारे में पर्यटकों को जानकारी देते हुए देखा जा सकता था, इसलिए मुझे लगता है कि यह उनकी गिरफ्तारी का कारण हो सकता है। उनके परिवार को पता नहीं है कि वह इस समय कहाँ कैद हैं।

लंदन स्थित तिब्बत वॉच एडवोकेसी ग्रुप के एक शोधकर्ता पेमा ग्याल ने आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि न्यि‍मा की गिरफ्तारी अन्य दूसरे गणमान्‍य तिब्बतियों की गिरफ्तारी के समान है।

पेमा ग्याल ने कहा कि चीनी सरकार द्वारा तिब्बत के अंदर तिब्बती बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी के मामले बढ़ते जा रहे है और हमने न्यिमा के मामले में देखा है कि उन्हें बाहरी निर्वासित समुदाय के साथ संपर्क रखने और तिब्बती भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए भी गिरफ्तार किया गया है।

सूत्रों का कहना है कि हाल के वर्षों में तिब्बती राष्ट्रीय अस्मिता का दावा करने के प्रयासों में भाषा अधिकार विशेष फोकस बन गया है। संगठित भाषा पाठ्यक्रमों को आमतौर पर अनौपचारिक रूप से ‘अवैध गतिविधि’ माना जाता है और इसके शिक्षकों को हिरासत में लिया जाता है और गिरफ्तार कर लिया जाता है।

लोडो की गिरफ्तारी चीनी सरकार द्वारा तिब्बती लेखकों, बुद्धिजीवियों और सांस्कृतिक नेताओं पर की जा रही बड़ी कार्रवाई का हिस्सा है। सूत्रों ने कहा कि अधि‍कारियों ने उनके परिजनों को सटीक आरोप या उनकी सजा की तारीखों के बारे में बताए बिना ही लंबे समय से अज्ञात स्थानों में कैद कर रखा है।

सूत्र ने कहा, ‘आम तौर पर संबंधित काउंटी के अधिकारी आते हैं और व्यक्तियों को उठाकर हिरासत में ले जाते हैं।‘

‘हालांकि, इस बार सिचुआन प्रांत के चीनी अधिकारी लोडो को गिरफ्तार करने आए थे। बहुत से लोग मानते हैं कि लोडो को निर्वासित तिब्‍बतियों के साथ संपर्क और संवाद रखने और तिब्बती भाषा के अधिकारों के लिए ल़ड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया। हालांकि,चीनी अधिकारियों ने अभी तक उन की गिरफ्तारी के लिए कोई कारण नहीं बताया है। (या तो) हम अभी भी उसकी गिरफ्तारी का सही महीना और तारीख नहीं जानते।

चीन में रहने वाले लोदो के एक दोस्त ने आरएफए को बताया कि चीनी सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार को धमकी दी थी।

‘परिवार को कहा गया था कि वे किसी से भी इस मामले पर चर्चा न करें। उनके दो बच्चों को भी स्कूल जाने से रोक दिया गया था और उसके परिवार को वर्तमान में उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

२००८ में चीन के पश्चिमी प्रांत तिब्बत और तिब्बती क्षेत्रों में चीनी शासन के खिलाफ व्यापक विरोध उठ खडे होने के बाद चीनी अधिकारियों ने तिब्बती राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले तिब्बती लेखकों और कलाकारों को अक्सर हिरासत में लिया है,जिनमें से कई को लंबी सजा सुनाई गई है।  सूत्रों का कहना है कि हाल के वर्षों में तिब्‍बतियों द्वारा अपनी राष्ट्रीय पहचान का दावा करने के लिए भाषा अधिकार विशेष फोकस बन गया है। अनौपचारिक रूप से संगठित भाषा पाठ्यक्रमों की कक्षाओं को आम तौर पर ‘अवैध संघ’ माना जाता है और शिक्षकों को गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में ले लिया जाता है।


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