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चीनी राष्ट्रपति की २०१६ यात्रा के दौरान चेक सरकार ने नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया: चेक अदालत का फैसला

November 19, 2021

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्राओं के विरोध में चेक गणराज्य के नागरिकों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए

 

tibet.net / जिनेवा। १८ नवंबर को चेक अदालत ने २८ मार्च २०१६ को प्राग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्राओं के विरोध में चेक गणराज्य के नागरिकों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ अंतिम फैसला सुनाया। चेक अदालत ने लोकतांत्रिक अधिकारों के पक्ष में फैसला सुनाया और चेक पुलिस की कार्रवाई को ‘गैरकानूनी’ घोषित कर दिया।

प्राग में चीनी राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा के दौरान सैंकड़ों न्याय समर्थक और तिब्बत समर्थक चेक नागरिकों ने प्राग में रैली की थी, तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज लहराए थे और ‘तिब्बत की स्वतंत्रता’ सहित अनेक नारे लगाए थे। शी जिनपिंग की यात्रा का सार्वजनिक विरोध करने के लिए व्यापक कार्यक्रम की घोषणा के बावजूद इस पर किसी तरह की आपत्ति जताए बिना चेक पुलिस ने ‘यातायात नियमों’ का हवाला देते हुए हरदज़नी स्क्वायर को बंद कर दिया। इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों से चीनी नागरिक भिड़ गए। इसमें एक चीनी दंपति भी शामिल था, जिन्होंने एक चेक महिला से तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज छीन लिया और उसे पास की वल्तावा नदी में फेंक दिया।

चेक अधिकारियों द्वारा कथित रूप से ‘शर्मनाक’ कार्रवाई के खिलाफ न्याय की तलाश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के आयोजक-मार्टिन बर्सिक, कतेरीना बर्सिक जैक्स, टॉमस पिकोला, कतेरीना कुडलकोवा ने २९ मार्च २०१६ को मुकदमा दायर किया। मामले को शुरू में चेक निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया और बाद में इसे फिर से अपील के तहत नगरपालिका अदालत में दायर किया गया था।

अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के प्रतिनिधि छिमे रिग्जेन ने कहा, ‘लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की यात्रा कभी आसान नहीं रही है। हालांकि, इतिहास ने साबित किया है कि सच्चाई हमेशा न्याय की ओर रहती है।’ उन्होंने चेक अदालत के फैसले के लिए इतने वर्षों तक मजबूती से खड़े रहने के लिए सभी चेक गणराज्य के न्याय समर्थक, तिब्बत समर्थक और मानवाधिकार रक्षकों को धन्यवाद दिया। उनका मानना ​​​​है कि चेक अदालत के फैसले लोकतांत्रिक देशों में बीजिंग के असंवैधानिक पदचिह्नों के बढ़ने के कारण लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने में एक प्रेरणा के रूप में काम करेंगे।

इस केस के याचिकाकर्ता चेक सपोर्ट तिब्बत संगठन के अध्यक्ष मार्टिन बर्सिक ने कहा, ‘अगर हमने मामले को कोर्ट में दायर नहीं किया होता तो यह हमारे लोकतंत्र की स्थिति को काफी कमजोर कर देता।’ इसके अलावा, सह-याची केटीना बर्सिकोवा जैक्स ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि चेक गणराज्य एक उन्नत, पश्चिमी शैली के लोकतंत्र के रूप में कार्य करने का प्रयास करता है, न कि चीनी निरंकुशता के रूप में। २०१६ में चीनी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान प्राग में जो हुआ, वह शर्मनाक और गैरकानूनी था, जैसा कि अदालत ने फैसला दिया है। अदालत का फैसला उन सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो उस समय अपमानित महसूस कर रहे थे। यह फैसला भविष्य के लिए एक मिसाल के रूप में कार्य करेगा।

अदालत ने याचिकाकर्ता को मुकदमे में किए गए सभी खर्चों का भुगतान करने का आदेश प्रतिवादी चेक सरकार को दिया।


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