
बर्लिन। जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो में चीनी संपर्क अधिकारी सांगये क्याब ने जर्मनी के बर्लिन में ‘साइनो-यूरो वॉयस’ द्वारा आयोजित ‘चीन में अत्याचार के खिलाफ ताइवान, हांगकांग, तिब्बत, उग्यूगर, मंगोलिया और आंतरिक मंगोलिया के लोगों के संयुक्त सम्मेलन’ में भाग लिया।
इसका आयोजन चीन डेमोक्रेसी पार्टी के ब्रिटेन स्थित मुख्यालय, फेडरेशन फॉर ए डेमोक्रेटिक चाइना, ताइवान फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेसी और डेमोक्रेसी पार्टी ऑफ चाइना द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
सम्मेलन के उद्घाटन में जर्मनी में ताइवान के प्रतिनिधि डॉ. झाई-वे शीह ने उद्घाटन भाषण दिया और चीन में सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने के लिए प्रतिनिधित्व करने वाले समुदायों के बीच एकता और सहयोग के महत्व पर जोर दिया। प्रतिनिधि ने ताइवान जलडमरूमध्य में पीआरसी की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर ताइवान के प्रति उनकी एकजुटता और समर्थन के लिए तिब्बती, मंगोल और उग्यूगर समुदायों के प्रति आभार व्यक्त किया। उद्घाटन समारोह के दौरान अपने संबोधन में चीनी संपर्क अधिकारी सांगये क्याब ने सीपीसी के राजनीतिक दमन से पीड़ित लोगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में परम पावन १४वें दलाई लामा के अपार योगदान और समझदारी पूर्ण मार्गदर्शन का स्मरण किया। साथ ही इस सम्मेलन में ‘व्हाइट पेपर मूवमेंट’ के प्रतिनिधि को शामिल करने में हुई चूक के लिए अपनी निराशा व्यक्त की।
सम्मेलन में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ७५ साल के शासन पर विचार-विमर्श के दौरान, सांगये क्याब ने तिब्बत में ७५ साल के दमन का विस्तृत विवरण दिया और इस अवधि को चार अलग-अलग चरणों में विभाजित किया। उन्होंने कहा कि चीनी सरकार ने हिंसक आक्रमण के बाद १९४९ से १९६५ तक तिब्बत में प्रमुख राजनीतिक अभियान शुरू किए। इसके बाद कुख्यात सांस्कृतिक क्रांति हुई, जो १९६६ से १९७६ तक चली। क्याब ने १९८० से २०१२ तक तिब्बत में बड़े पैमाने पर चीनी मूल की आबादी के आगमन को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के चीनीकरण कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला, जो दमन के तीसरे चरण को चिह्नित करता है। इसके कारण खासकर २००८ के अखिल तिब्बत विरोध के बाद अनेक तिब्बतियों ने आत्मदाह कर लिया। उन्होंने शी जिनपिंग के शासन के तहत वर्तमान अवधि को चौथे चरण के रूप में वर्गीकृत किया। इसमें सरकार की नीतियों की विशेषता, विशेष रूप से औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों में १० लाख से अधिक तिब्बती बच्चों के जबरन प्रवेश के माध्यम से तिब्बती पहचान को मिटाना थी।
सम्मेलन के वर्चुअल टॉक सत्र के दौरान ताइवान स्थित तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि केलसांग ग्यालत्सेन ने एक व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने जोर दिया कि तिब्बत के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा और ध्यान अभी भी कम नहीं हुआ है, जैसा कि कई लोग गलत समझते हैं। इसके मद्देनजर, उन्होंने अमेरिका में हाल ही में पारित किए गए रिज़ॉल्व तिब्बत ऐक्ट के बारे में विस्तार से बताया।
सम्मेलन में तिब्बत, दक्षिणी मंगोलिया, पूर्वी तुर्किस्तान, हांगकांग, ताइवान और चीनी लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता समूहों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
एक दिन बाद, २५ अक्तूबर को सुबह १०:३० बजे सम्मेलन के प्रतिभागियों ने बर्लिन में चीनी दूतावास के सामने विरोध- प्रदर्शन किया।