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जलवायु परिवर्तन को लेकर अब गंभीर कार्रवाई का समय आ गया है: परम पावन दलाई लामा ने COP24 प्रतिनिधियों का आह्वान किया

December 6, 2018

तिब्बत.नेट, 05 दिसंबर, 2018

धर्मशाला। परम पावन दलाई लामा ने पोलैंड में आयोजित COP24 जलवायु सम्मेलन में विश्व नेताओं की बैठक में जलवायु परिवर्तन से निपटने पर एक गंभीर परिवर्तनकारी कार्रवाई करने और .ग्लोबल वार्मिंग के लिए रचनात्मक समाधान’ खोजने का आग्रह किया है।

लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि और नीति निर्माता वर्तमान में पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 24 वें सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करना है।

परम पावन दलाई लामा कई दशकों से पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की  बात कर रहे हैं। उन्होंने दुनिया के पर्यावरण की रक्षा पर कई लेख और विचार लिखे हैं। परम पावन ने पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन की तीन प्रतिबद्धताओं में से एक बनाया है।

परम पावन दलाई लामा का संदेश COP24  पोलैंड में 20 नवंबर,  2018 को दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘मैं जलवायु परिवर्तन पर 24 वें यूनाइटेड नेशंस फ्रेंमवर्क कन्वेंशन (COP24) में पेरिस पधारे अपने प्यारे प्रतिनिधि भाइयों और बहनों को शुभकामनाएं देता हूं और उनके लिए प्रार्थना करता हूं।

मैं ईमानदारी से आप सभी का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जिन्होंने निस्वार्थ और अथक प्रयास करके दुनिया के लिए एक बेहतर वातावरण बनाने का प्रयास किया, ताकि आने वाली पीढ़ियां स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सकें।

जैसे कि कोई दुनिया की छत कहे जानेवाले तिब्बत में जन्म लेता है, जहां से एशिया की विशाल नदियां निकलती हैं। और जिस पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटियां पाई जाती हैं, मुझे बचपन से प्रकृति से प्यार है। मैंने पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन की प्रतिबद्धताओं में से एक बना लिया है और मैं जहां भी जाता हूं पर्यावरण की सुरक्षा की बात जरूर करता हूं।

हमारी आधुनिक दुनिया में व्यापक तकनीकी विकास के बावजूद,  हमने कई समस्याएं भी पैदा की हैं। विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की स्थिति में बदलाव के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार हैं। तार्किक रूप से इसका मतलब है कि हम इंसानों की ज़िम्मेदारी है कि हम उन समस्याओं को कम करें और अंतत: उन्हें खत्म करने के लिए प्रयास करें, जो हमने पैदा की हैं।

“जलवायु परिवर्तन केवल एक या दो देशों की चिंता नहीं है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो पूरी मानवता और इस धरती पर रहने वाले हर प्राणी को प्रभावित करता है। यह खूबसूरत ग्रह हमारा एकमात्र रिहायश है। यदि ग्लोबल वार्मिंग या अन्य पर्यावरणीय समस्याओं के कारण पृथ्वी स्वयं के अस्तित्व को बचाए नहीं रख सकती है, तो कोई अन्य ग्रह नहीं है जहां हम जाकर बस सकें। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए अब गंभीर कदम उठाने होंगे और ग्लोबल वार्मिंग के रचनात्मक समाधान खोजने होंगे।

जब हम अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखते हैं  तो हम पाते हैं कि हमारे बीच कोई सीमा नहीं है, बस यह एक नीला ग्रह है। यह अब केवल ‘मेरे राष्ट्र’ या ‘हमारे महाद्वीप’ के बारे में सोचने का समय नहीं है। अब मानवता की एकता की भावना के आधार पर वैश्विक जिम्मेदारी की अधिक वास्तविक समझ की आवश्यकता है।

मैं जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करने की दिशा में लगातार काम करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को धन्यवाद देना चाहता हूं और प्रार्थना करता हूं कि यह सम्मेलन सफल हो।’


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