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तिब्बत की आजादी होगी सही मायने में मेक इन इंडिया: सांज्ञेय

May 21, 2017

दैनिक जागरण, 20 मई, 2017

तिब्बत के निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति लोबसांग सांज्ञेय ने कहा कि तिब्बत की आजादी सही मायने में मेक इन इंडिया होगी। तिब्बत में बौद्ध धर्म भारत से गया है। निर्वासित सरकार का लोकतंत्र और अहिंसा का रास्ता भी इसी देश से प्रेरित है। निर्वासित तिब्बती यहीं से आजादी का सपना देख रहे हैं। ऐसे में अगर उन्हें सफलता मिलती है तो यह भारतीयों का सफल होना होगा।

क्लब में आयोजित इंडो-तिब्बत समिट को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन साउथ एंड ईस्ट एशिया फाउंडेशन द्वारा किया गया था।

सांज्ञेय ने कहा कि तिब्बत में चीन वहां की संस्कृति, सभ्यता को कुचल कर माओवाद को फैला रहा है। असल में वहां लड़ाई बौद्ध धर्म और माओवाद की है। बौद्ध धर्म अहिंसा पर आधारित ढाई हजार वर्ष पुराना है। जबकि करीब 100 वर्ष पुराना माओवाद हिंसा पर। हम तब भी डटे हुए हैं। क्योंकि, हममें दृढ़ इच्छा और नजरिया है। उन्होंने भारत-तिब्बत के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि तिब्बत के लोगों के लिए भारत एक पवित्र स्थान है, क्योंकि यहां से बौद्ध धर्म गया। पहले तिब्बत और भारत के बीच कोई पासपोर्ट वीजा की जरूरत नहीं थी। कैलाश मानसरोवर की यात्रा में आए श्रद्धालुओं का हम दिल खोलकर स्वागत करते थे, लेकिन चीन के आक्रमण के बाद स्थिति बदल गई। अब तिब्बत में चीन की उपस्थिति भारत के लिए खतरनाक है। क्योंकि वहां के जल संसाधनों पर उसका कब्जा है। इससे भारत में कृत्रिम सूखा और बाढ़ दोनों पैदा किया जा सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार विजय क्रांति ने तिब्बत पर कब्जे के बाद भारत को लेकर चीन की साजिश का जिक्र करते हुए कहा कि चीन का अरुणाचल प्रदेश समेत अन्य पर दावा जताना अनायास नहीं है। यह उसके साजिश का हिस्सा है ताकि भारत तिब्बत पर कोई सवाल नहीं उठा सके । उन्होंने चीनी सरकार द्वारा यहां के माओवादियों के माध्यम से भारत पर कब्जे की कोशिश का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे उसी साजिश का हिस्सा है, जिसमें चीन भारत पर फिर से हमले की कोशिश में है और ये उस ओर खड़े होंगे। पशुपति से तिरुपति तक रेड कॉरिडोर एक ऐसी साजिश है जिसपर अगर लगाम नहीं लगाया गया तो भारत को दुष्टपरिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि तिब्बत और भारत की संस्कृति विरासत साझी है। दोनों के दिल एक दूसरे से जुड़े हैं। इसलिए इन्हें निर्वासित कहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोगों की समस्याओं को वह जल्द ही पार्टी फोरम में उठाएंगे। बाराबंकी से लोकसभा सांसद प्रियंका सिंह रावत ने कहा कि इस तरह के आयोजन लगातार होते रहने चाहिए। जिससे एक-दूसरे को जानने समझने का मौका मिले। आयोजक देवेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि तिब्बत निर्वासित ही नहीं, वह भारत के निर्माण और सेवा में भी लगे हुए हैं। इसलिए हमारा फर्ज है कि हम उनके बारे में सोचे।

Link of news article: http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-16061841.html


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