
दिल्ली। ‘तिब्बत की आत्मा: संस्कृति और करुणा का जश्न’ शीर्षक से तीन दिवसीय तिब्बत उत्सव की शुरुआत ०३ सितंबर २०२४ को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुई।
उद्घाटन सत्र में ‘तिब्बत की भारत के लिए प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य’ विषयक संगोष्ठी रखी गई। इस संगोष्ठी के प्रमुख वक्ताओं में सिक्योंग पेन्पा शेरिंग, पूर्व भारतीय राजदूत दिलीप सिन्हा, सैन्य अभियानों के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया और तिब्बत विशेषज्ञ क्लाउड अर्पी शामिल रहे।
अपने संबोधन में सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने मध्यम मार्ग दृष्टिकोण नीति के माध्यम से लंबे समय से चले आ रहे तिब्बत-चीन संघर्ष का समाधान खोजने के महत्व पर जोर दिया और इसके लिए कशाग की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने अमेरिका और भारत सहित तिब्बत के लिए वैश्विक समर्थन पर भी प्रकाश डाला।
इस महोत्सव में सेमिनार, व्याख्यान और वृत्तचित्र स्क्रीनिंग सहित विविध प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। संगोष्ठी में नई दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, प्रो. आनंद कुमार, योंगे मिंग्यूर रिनपोछे और आदरणीय प्रो. समदोंग रिनपोछे सहित प्रतिष्ठित हस्तियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी गहन अंतर्दृष्टि साझा की।
यह स्थल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के लिए एक जीवंत केंद्र में तब्दील हो गया है, जो तिब्बती संस्कृति की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए कई तरह के बहुआयामी अनुभवों को प्रदर्शित करता है। इस बहुआयामी कार्यक्रम में तिब्बती बौद्ध रेत मंडल का निर्माण, मनोरम सांस्कृतिक प्रदर्शन, तिब्बत के ऐतिहासिक और राजनीतिक विकास पर एक सूचनात्मक प्रदर्शनी और लकड़ी की पेंटिंग की कार्यशाला सहित अनेक गतिविधियां शामिल हैं। सामूहिक रूप से, ये तत्व समृद्ध और गहरी जड़ें वाली तिब्बती संस्कृति के प्रमाण के रूप में काम करते हैं।
महोत्सव के पहले दिन ५०० से अधिक प्रतिभागियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। सूचना एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (सीटीए) ने फाउंडेशन फॉर नॉन-वायलेंट अल्टरनेटिव्स, तिब्बत फंड और यूएसएआईडी के सहयोग से तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया, जिसमें तिब्बती संस्कृति के स्थायी महत्व और आज की दुनिया के लिए इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया।



