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तिब्बत के धार्मिक केंद्रों के चीनीकरण करने के नवीन अभियान के तहत वहां शिक्षकों और सरकारी कर्मियों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम शुरू

December 12, 2018

तिब्बतनरिव्यूर.नेट, 13 दिसंबर, 2018

चीन ने 11 दिसंबर को कहा कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा में उसने तिब्बती बौद्ध धर्म के शिक्षण स्टाफ के लिए पांच साल के प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य तिब्बती बौद्ध धर्म को समाजवादी समाज में बेहतर रूप से समायोजित करना है, जो अक्तूबर 2017 में कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं कांग्रेस के दौरान पूर्ण संशोधित किए गए धर्म के चीनीकरण अभियान का हिस्सा है। कांग्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक शिक्षकों को सिखाया जाएगा कि धर्म को राज्य और सरकार की नीतियों का समर्थन करना चाहिए, जो अक्सर राजनीतिक कारणों  से धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं को नजरअंदाज करते हैं। मंदिरों को चलाने और प्रबंधित करने के लिए नियुक्त सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए तीन साल का कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।

चीन के आधिकारिक Globaltimes.cn  ने 11 दिसंबर को खबर दी कि प्रशिक्षण का उद्घाटन सत्र तिब्बतन सोशलिज्म कॉलेज में 10 दिसंबर को आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में भाग लेने वाले भिक्षु और भिक्षुणियां राष्ट्रीय नीतियों, कानूनों, विनियमों, इतिहास और संस्कृति, आधुनिक ज्ञान और धार्मिक शिक्षण का अध्ययन करेंगे।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तिब्बत ऑटोनॉमस रिजनल कमेटी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के प्रमुख डंके के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, “पाठ्यक्रम के लिए एक विशेष पाठ्य पुस्तक संकलित की गई थी। इससे भिक्षुओं और भिक्षुणियों में इस अवधारणा की स्थापना और विकास होने की उम्मीद है कि सरकारी शक्ति धार्मिक शक्ति से ऊपर है, और राष्ट्रीय कानून धार्मिक नियमों से ऊपर हैं।”

रिपोर्ट में ल्हासा के तिब्बत विश्वविद्यालय में एक नस्लीय अध्ययन के प्रोफेसर झियोंग कुनझिंग का हवाला देते हुए बताया गया है कि  क्योंकि कुछ तिब्बती भिक्षुओं और भिक्षुणियों को इन विषयों की अस्पष्ट समझ है या कोई समझ नहीं है, जिससे वे बिना किसी झिझक या समझदारी के वे अवैध गतिविधियों में लिप्त हो जा सकते हैं।

रिपोर्ट में चाइना तिब्बतोलॉजी रिसर्च सेंटर के एक शोधार्थी लि डेचेंग को यह  कहते बताया गया है कि तिब्बती बौद्ध समुदाय से आए तिब्बत बौद्ध धर्म शिक्षण स्टाफ इस ज्ञान को फैला सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि ये स्टाफ अधिकारियों की अपेक्षा स्थानीय लोगों के करीब थे और इसलिए वे अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

जाहिरा तौर पर एक तिब्बती मूल के डंके से उम्मीद है कि वह तिब्बत में समाजवाद निर्माण कार्य का हिस्सा बनते हुए तिब्बती धार्मिक लोगों को अपने धार्मिक सिद्धांतों को चीनी संस्कृति में एकीकृत करने,  धार्मिक नियमों को राष्ट्रीय कानूनों से जोड़ने और सामाजिक जरूरतों के अनुकूल धार्मिक गतिविधियों को कराएंगे।

रिपोर्ट में कहा गया कि उसी दिन उसी जगह पर तिब्बती मंदिरों के लिए नियुक्त  सरकारी अधिकारियों के लिए एक और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किया गया।

डंके ने कहा कि ये अधिकारी अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सुधार, मंदिरों के प्रबंधन को बढ़ावा देने और धार्मिक क्षेत्र में सद्भाव और स्थिरता बनाए रखने में योगदान देने के लिए तीन साल तक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

झियोंग ने कहा है कि प्रशिक्षण के बाद  क्षेत्रीय अधिकारी भिक्षुओं और भिक्षुणियों की बेहतर सेवा करेंगे और उन्हें चीनी कानूनों और नियमों के अनुसार दैनिक धार्मिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी की 2017 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत ऑटोनॉमस रिजन में 1,700  से अधिक धार्मिक स्थल थे, जहां 46,000 से अधिक बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियां निवास कर रही थीं।


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