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तिब्बत मसला: एनसीपी ने केंद्र सरकार, अरुणाचल सरकार से चीन नीति की समीक्षा करने को कहा

June 18, 2013

(टाइम्स आफ इंडिया, र्इटानगर, 17 जून)

imagesराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की अरुणाचल प्रदेश र्इकार्इ ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से अनुरोध किया है कि वे चीन के प्रति अपनी नीति की समीक्षा करें और तिब्बत आंदोलन का समर्थन करें।

चीनी प्रशासन द्वारा तिब्बतियों के बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन जैसे-खासकर संस्कृति और धर्म के मामले में, आर्थिक साम्राज्यवाद के द्वारा तिब्बतियों को आक्रामक तरीके से हाशिए पर धकेलना और उसके विशाल जल व खनिज संसाधनों के दोहन पर चिंता जताते हुए पार्टी ने राजनेताओं से यह अनुरोध किया है कि वे तिब्बती समस्या की गंभीरता को समझें और चीन के प्रति भारत के रवैए में जल्दी ही बदलाव की शुरूआत करें।

पार्टी के राज्य अध्यक्ष कहफा बेंगिया ने रविवार को कहा, “तिब्बत के विभिन्न इलाकों में आत्मदाह की अनगिनत घटनाएं और पूरी दुनिया के बौद्ध भिक्षुओं में बढ़ती अशांति अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है और यह स्थिति की गंभीरता को बताता है। केंद्र सरकार की विदेश नीति के मामले में सबसे बड़ी गलती तिब्बत और उसकी समस्या को चीन का आंतरिक मामला मान लेना था। इस नरम, कायर और अस्पष्ट रवैए की वजह से ही 1962 में भारत को चीनी हमले का सामना करना पड़ा।”

उन्होंने कहा कि नीतियों में भारी बदलाव की शुरुआत करते हुए केंद्र सरकार को न केवल तिब्बत आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन देना चाहिए, बल्कि देश में भी तिब्बती शरणार्थियों और तिब्बत के भीतर के लोगों के बारे में आवाज उठाने की अनुमति देनी चाहिए, खासकर अरुणाचल में जहां के लोग तिब्बत पर चीनी कब्जे से सबसे बुरी तरह से पीडि़त हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य में स्वत: स्फूर्त तरीके से तिब्बत समर्थक समूह (टीएसजी) का गठन किया गया है जिसमें आर.के. खि्रमे, अनोक वांगसा, कबाक टाचो और अन्य कर्इ प्रमुख नेता शामिल हुए हैं। बेंगिया ने कहा कि इसमें राज्य के कर्इ राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं जिन्होंने तिब्बत आंदोलन को बिना शर्त समर्थन दिया है और यह स्वागतयोग्य बात है।

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती ताकसिंग, लिमेकिंग, सिंघा, गेलिंग, मोनिगोंग, चार्ली, दामिन, मागो और थिम्बू जैसे इलाकों में रहने वाले अरुणाचली बदनसीबी का जीवन जी रहे हैं और उन्हें पक्की सड़कों, बिजली, संचार सुविधा, स्वास्थ्य, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति जैसी कोर्इ सुविधा नहीं मिल रही है और इसकी वजह भारतीय नीति-नियंताओं के मन में बैठा यह डर है कि कहीं इससे नाराज होकर चीन फिर हमला न कर दे।

Original text in English news link below : http://timesofindia.indiatimes.com/city/guwahati/Tibet-issue-NCP-urges-Centre-Arunachal-Pradesh-govt-to-review-China-policy/articleshow/20622153.cms?intenttarget=no


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