
धर्मशाला। उच्चस्तरीय द्विदलीय कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की आज १९ जून २०२४ की सुबह-सुबह परम पावन दलाई लामा के साथ विशेष मुलाकात के बाद केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को सम्मानित करने के लिए शुगलागखांग में सार्वजनिक अभिनंदन समारोह आयोजित किया।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने वहां उपस्थित तिब्बतियों, तिब्बती छात्रों, भिक्षुओं, स्थानीय लोगों, विदेशी आगंतुकों और मीडिया कर्मियों के बड़े समूह के बीच स्वागत भाषण दिया। अपने स्वागत भाषण में सिक्योंग ने कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के प्रत्येक सदस्य का परिचय कराया और वर्तमान में राष्ट्रपति की मेज पर और तिब्बत पर अन्य सभी पिछले विधेयकों में ‘रिज़ोल्व तिब्बत ऐक्ट’ को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका के बारे में बताया।
सिक्योंग ने कहा, ‘हमारे लिए यह बहुत ही दुर्लभ अवसर है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के हम सभी, चाहे वह न्याय आयुक्त, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, मंत्री हों या स्वतंत्र निकाय, यहां के सभी लोग, हमारे स्कूलों के छात्र, माइकल मैककॉल के नेतृत्व में प्रतिनिधियों को अमेरिकी कांग्रेस में रिज़ोल्व तिब्बत ऐक्ट को आगे बढ़ाने के लिए उनकी दृढ़ता और प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देने के लिए यहां एकत्र हुए हैं।’ साथ ही उन्होंने तिब्बत के कट्टर समर्थक और परम पावन दलाई लामा के लंबे समय के मित्र अमेरिकी अभिनेता रिचर्ड गेरे के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया, जिन्होंने इस विधेयक को पारित कराने की लंबी वकालत की।

इसके बाद, सिक्योंग ने उपस्थित लोगों को रिज़ॉल्व तिब्बत ऐक्ट और अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में इसके पारित होने के बारे में संक्षेप में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक कांग्रेस के सभी सदस्यों की आम सहमति से ‘हॉटलाइन प्रक्रिया’ में आगे बढ़ा। इस संबंध में, सिक्योंग ने सीनेट में विधेयक को आगे बढ़ाने के लिए रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर टॉड यंग और डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर जेफ मर्कले के साथ-साथ सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन के प्रति सीनेट में विधेयक को तेजी से आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए आभार व्यक्त किया।
समापन से पहले सिक्योंग ने इस विधेयक को कानून में बदलने के लिए सभी पक्षों और स्तरों से किए गए प्रयासों के पीछे के कारण पर प्रकाश डाला और कहा कि यह कानून सीटीए की मध्यम मार्ग दृष्टिकोण नीति के अनुसार बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बतियों और चीनी सरकार के बीच बातचीत को बढ़ावा देता है।
इसके बाद धर्मशाला स्थित तिब्बती स्कूलों के छात्रों के एक समूह ने दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया। फिर उन्हें उनके समर्थन के लिए आभार के प्रतीक के रूप में थंगका और स्वतंत्र तिब्बत की फ़्रेमयुक्त मुद्रा भेंट की गई।

प्रतिनिधिमंडल के नेता प्रतिनिधि सभा के सदस्य माइकल मैककॉल ने सम्मान कार्यक्रम के बाद अपने संबोधन में भारत सरकार के समर्थन से तिब्बतियों के ‘भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपनी जीवन शैली’ को बनाए रखने के दृढ़ संकल्प की सराहना की। साथ ही प्रतिनिधि मैककॉल ने कहा, ‘मुझे अभी भी उम्मीद है कि एक दिन दलाई लामा और उनके लोग शांति से तिब्बत में अपने घर लौट आएंगे। दशकों बाद, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती लोगों की स्वतंत्रता के लिए खतरा बनी हुई है और उन्होंने खुद को दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में शामिल करने का भी गलत प्रयास किया है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।’
इसके अलावा प्रतिनिधि मैककॉल ने अत्याचार पर लोकतंत्र की महानता को लेकर टिप्पणी की और खुलासा किया, ‘इसी सप्ताह हमारे प्रतिनिधिमंडल को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) से एक पत्र मिला, जिसमें हमें यहां न आने की चेतावनी दी गई है। लेकिन हमने सीसीपी का कोई डर नहीं माना और हम आज यहां हैं।’ यह कहते हुए कि तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है, प्रतिनिधि ने इस बात का समर्थन किया कि तिब्बती लोगों को भी आत्मनिर्णय का अधिकार होना चाहिए।
प्रतिनिधि माइकल मैककॉल के बाद प्रतिनिधि ग्रेगरी मीक्स ने कहा, ‘मैं यहां अमेरिका विदेश मंत्रालय संबंधी समिति के रैंकिंग सदस्य के रूप में उपस्थित हूं। मैं आप सभी को यह बताने के लिए इस द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ यहां हूं कि अमेरिकी कांग्रेस में हम एक साथ हैं और हम इस पर ध्यान दे रहे हैं। तिब्बती लोगों के लिए हमारा समर्थन अटूट है।’

उन्होंने कहा, ‘पूरे अमेरिका में बड़ी संख्या में तिब्बती-अमेरिकी और तिब्बत के मित्र रोज इस बात को लेकर काम कर रहे हैं कि आपके बेहतर भविष्य का सपना जीवित रहे, सुनिश्चित हो। हम में से हर एक चीनी शासन के तहत तिब्बतियों के खिलाफ बढ़ते दमन से बेहद चिंतित है। हम जानते हैं कि बीजिंग अपने सरकारी आवासीय स्कूलों के जरिए तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर रहा है। हालांकि बच्चों की देखभाल का अधिकार हमसे पहले होना चाहिए। हम जानते हैं कि बीजिंग आर्थिक विकास का बहाना बनाकर पूरे के पूरे समुदायों को जबरन विस्थापित कर रहा है। साथ ही, सैकड़ों तिब्बती कार्यकर्ताओं, लेखकों, कलाकारों, शिक्षकों और भिक्षुओं को महज इसलिए निशाना बनाकर कैद कर रहा है क्योंकि वे अपनी मौलिक स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं। हम जानते हैं कि वह तिब्बती बौद्ध धर्म को अपने ढंग से निर्धारित करने और नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर चीन तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र और अन्य तिब्बती इलाकों में धर्म की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा रहा है।’
प्रतिनिधि ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, ‘यही समय है कि बीजिंग परम पावन और उनके प्रतिनिधि के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के फिर से वार्ता शुरू करे ताकि बातचीत के जरिए ऐसा समाधान निकाला जा सके जो तिब्बती लोगों को सार्थक स्वायत्तता की ओर ले जाए। इसीलिए मुझे प्रतिनिधि मैकगवर्न, चेयरमैन मैककॉल और विदेश विभाग के साथ काम करने पर बहुत गर्व है। इन मुद्दों पर काम करते हुए हमने तिब्बत-चीन विवाद अधिनियम के प्रस्ताव को बढ़ावा दिया और पारित किया। खुशी की बात है कि अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों ने पिछले सप्ताह दोनों दलों की सर्वसम्मति से इसे पारित कर दिया है।

प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न ने समारोह को संबोधित करते हुए स्पीकर एमेरिटा नैन्सी पेलोसी के साथ २०१५ में तिब्बत की अपनी यात्रा को याद किया। उन्होंने तिब्बत यात्रा के दौरान वहां देखे गए चीनी सरकार के दमन को याद करते हुए कहा, ‘यहां और दुनिया भर के निर्वासित समुदायों में रहने वाले तिब्बती बच्चे और पीआरसी के दमन के तहत रहने वाले तिब्बती बच्चे मुझे बहुत उम्मीद देते हैं, क्योंकि वे तिब्बत का भविष्य हैं। लेकिन दूसरी चीज जो मुझे उम्मीद बंधाती है, वह यह देखना है कि धर्मशाला में और व्यापक तिब्बती समुदाय में लोकतंत्र जीवित है और अच्छी तरह से फल-फूल रहा है। प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न ने कहा, ‘हमने सिक्योंग और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के कई अधिकारियों से मुलाकात की और चीन के नेतृत्व की इच्छा के विपरीत जाकर सिक्योंग को चुना गया। दुनिया भर के देशों में फैले पूरे तिब्बती निर्वासित समुदाय के लोग अपने नेता को चुनने में भाग लेते हैं। यह चीन में रहने वालों के लिए एक उदाहरण है, एक प्रतीक है कि एक अलग भविष्य कैसा हो सकता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आज यहां हमारी उपस्थिति भी एक प्रतीक स्वरूप ही है। यह चीनी नेताओं के लिए एक संकेत है कि अमेरिका तिब्बती लोगों के प्रति अपने समर्थन से कभी भी डगमगाएगा नहीं। जैसा कि आपने सुना है, पिछले हफ्ते ही कांग्रेस ने मेरे और चेयरमैन मैककॉल द्वारा लिखित और हमारे प्रतिनिधिमंडल के हर एक सदस्य द्वारा समर्थित एक प्रमुख द्विदलीय विधेयक पारित किया है। यह तिब्बती आत्मनिर्णय के लिए अमेरिका के समर्थन की पुष्टि करने और तिब्बत के बारे में झूठी सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग की पहल थी जो आज की परिस्थिति में जरूरी था। पीआरसी लगातार इस झूठ को प्रचारित करता रहता है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है। यह हास्यास्पद है। यह ऐतिहासिक रूप से गलत है और हमें रिकॉर्ड को सही करना चाहिए।’ इसके अलावा, प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न ने परम पवित्र ११वें पंचेन लामा के जबरन गायब होने और तिब्बत के धार्मिक मामलों में सीसीपी के हस्तक्षेप को लेकर एक बयान दिया, जिसमें परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन भी शामिल है।

अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के सदस्य मैरिएनेट मिलर-मीक्स ने अपने संबोधन में कहा, ‘जब मैं छोटी बच्ची थी, तब मेरी मां मुझसे कहा करती थी कि आस्था हवा की तरह है। तुम इसे देख नहीं सकती। तुम इसे छू नहीं सकती। लेकिन यह हमेशा तुम्हारे ही आसपास होती है, और यह तुमको ऊपर उठाती है। आज अनुभव हुआ कि दलाई लामा ने हमें ऊपर उठाया। हम स्कूली बच्चों को तिब्बती संस्कृति और परंपरा की याद दिलाने के लिए उनको धन्यवाद देते हैं।’ उन्होंने कहा कि यह पीढ़ी लड़ने के योग्य पीढ़ी है। आपका संघर्ष हमारा संघर्ष है।
हम परम पावन और आप तिब्बतियों को धर्मशाला में अस्थायी शरण देने के लिए भारत को धन्यवाद देते हैं। हालांकि हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह शरण अस्थायी होगा। जैसा कि दलाई लामा ने कहा, आस्था से उम्मीद आती है। उम्मीद से साहस आता है। साहस से आंतरिक शक्ति और शांति आती है। उन्होंने कहा कि यही उम्मीद और साहस की बात है कि तिब्बती आखिरकार निर्वासन में नहीं रहेंगे।

प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स के बाद प्रतिनिधि सभा के भारतीय-अमेरिकी सदस्य अमी बेरा ने कहा कि आज जब हम परम पावन से मिले तो उन्होंने हमें और खासकर मुझे यह याद दिलाया कि भारत के लोगों और तिब्बत के लोगों के बीच एक हजार साल से अधिक का संपर्क है। तिब्बती बौद्ध धर्म के साथ भी भारत का एक हज़ार साल पहले का आध्यात्मिक संबंध है।’
प्रतिनिधि ने आश्वासन देते हुए कहा, ‘मुझे वह याद आ गया। और आज जब मैं इस श्रोतावर्ग की ओर देखता हूं, तो मैं अपने भाइयों और बहनों, अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों को देखता हूं। हम आध्यात्मिक रूप से एक ही वंशवृक्ष की शाखाएं हैं। इसलिए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आप यह जान लें कि आपका एक अपना भाई अमेरिकी कांग्रेस में आपके अधिकारों के लिए, आपकी स्वतंत्रता के लिए और आपके भविष्य के लिए लड़ रहा है। हम इसमें साथ- साथ हैं। और जैसा कि परम पावन ने कहा, हम जीतेंगे क्योंकि यह करुणा के लिए संघर्ष है।’

न्यूयॉर्क शहर के स्टेटन द्वीप जिले से आनेवाले प्रतिनिधि सभा के सदस्य निकोल मैलियोटाकिस ने कहा, ‘(स्टेटन द्वीप) पर जैक्स मार्क्विस तिब्बती संग्रहालय अवस्थित है, जिसका परम पावन ने १९९५ में दौरा किया था। उनके अतिरिक्त सरकार में आपका प्रतिनिधित्व करने वाले कई सदस्य भी इसका दौरा कर चुके हैं। जब परम पावन १९९५ में वहां गए, तो उन्होंने कहा कि यह तिब्बत के सबसे करीब है जो आप पश्चिम में पा सकते हैं। और मुझे उस खूबसूरत सांस्कृतिक रत्न का प्रतिनिधित्व करने पर बहुत गर्व है।मुझे उस खूबसूरत सांस्कृतिक रत्न का प्रतिनिधित्व करने पर बहुत गर्व है। जब हमें आज परम पावन के दर्शन का सौभागय प्राप्त हुआ तो मैंने उन्हें बताया कि जब वे १९५९ में तिब्बत से पलायन कर आए थे, उसी समय १९५९ में ही मेरी मां भी क्यूबा की अपनी मातृभूमि से साम्यवाद से बचने के लिए भागी थीं। और इसलिए हमारे बीच कई समानताएं हैं। मेरे मन में उन लोगों के लिए बहुत दया और सहानुभूति है जो अपने वतन लौटना चाहते हैं और अपने उन बच्चों और पोते-पोतियों को देखना चाहते हैं, जो कभी तिब्बत नहीं गए और आज यहां हैं।

प्रतिनिधि निकोल ने भाषण को समाप्त करते हुए कहा, ‘हम मानते हैं कि दुनिया का हर व्यक्ति उस जगह पर रहने का हकदार है जहां उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और खुशी मिलती है। इस अधिकार तिब्बत के ६० लाख से अधिक लोगों के पास भी है। संयुक्त राज्य अमेरिका में हम इस बात को गर्व से कहते हैं।’
अंत में तिब्बत में मानवाधिकारों की वकालत करने वाली और लंबे समय से तिब्बत की समर्थक और मित्र स्पीकर एमेरिटा नैन्सी पेलोसी ने तिब्बत की अपनी यात्रा को विस्तार से याद किया, जिसका प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न ने भी पहले उल्लेख किया था। उन्होंने पहले चीनी सरकार के विभिन्न तरीकों से तिब्बत की विशिष्ट पहचान को मिटाने के व्यवस्थित प्रयासों के बारे में बात की थी, जिसमें हान मूल की आबादी को बड़ी संख्या में तिब्बत में बसाना भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि वे (हान चीनी आबादी) इससे बाखबर हैं। लेकिन हम जानते हैं कि चीनी सरकार इससे पूरे से वाकिफ है और हमें यह भी करना है कि उन्हें संदेश मिलना चाहिए। इस विधेयक के पारित होने से उन्हें यह संदेश मिल भी गया है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह विधेयक प्रतिनिधि सभा और सीनेट से पारित हुआ है और जल्द ही संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा भी इस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। सभी ने बच्चों के बारे में बात की है, और इन खूबसूरत बच्चों को कला, तिब्बती कला का प्रदर्शन करते देखना ही वास्तव में हमारा मिशन है। हमारा उद्देश्य उनके लिए भविष्य को बेहतर बनाना है। जब हम तिब्बत में देखते हैं कि वे उन्हें चीनी औपनिवेशिक स्कूलों में भेजने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें चीनी तरीके से शिक्षित कर रहे हैं, तिब्बती भाषा के उनके ज्ञान को कम कर रहे हैं, उनके और उनके परिवारों के हर काम पर निगरानी रख रहे हैं जो उनकी गरिमा और मूल्य का सम्मान नहीं करता है। हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने दे सकते।’
स्पीकर एमेरिटा ने ‘रिज़ॉल्व तिब्बत बिल’ के पक्ष में खड़े होने और अभियान चलाने में योगदान के लिए रिचर्ड गेरे को भी श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘तिब्बत का बाहरी दुनिया में, सरकार के बाहर रिचर्ड गेरे से बेहतर कोई दोस्त नहीं है।’
स्पीकर एमेरिटा नैन्सी पेलोसी ने यह भी उम्मीद जताई कि परम पावन दलाई लामा लंबे समय तक जीवित रहेंगे। उन्होंने कहा, ज्ञान और परंपरा तथा करुणा और आत्मा और प्रेम की पवित्रता के अपने संदेश के साथ वह लंबे समय तक जीवित रहेंगे, और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।’ प्रतिनिधि सभा की पूर्व स्पीकर ने कहा, ‘लेकिन चीन के राष्ट्रपति, आप चले जाएंगे और कोई भी आपको किसी भी चीज को याद नहीं करेगा।’
कार्यक्रम के समापन से पहले सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने दुनिया भर के विभिन्न मीडिया घरानों और समाचार एजेंसियों से बड़ी संख्या में आए पत्रकारों की उपस्थिति का लाभ उठाया और छह दशकों से अधिक समय तक तिब्बतियों की मेजबानी और समर्थन करने के लिए भारत सरकार और भारत के लोगों के प्रति अपनी प्रशंसा और आभार व्यक्त किया।

