
धर्मशाला। स्कॉटिश सरकार ने परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के साथ ही तिब्बती लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए अपना समर्थन दोहराया है।
२२ मई २०२५ को स्कॉटिश संसद के सत्र के दौरान स्कॉटिश संसद के सदस्य रॉस ग्रीर ने स्कॉटलैंड में बौद्ध समुदाय के साथ मिलकर परम पावन १४वें दलाई लामा का ९०वां जन्मदिन मनाने की स्कॉटिश सरकार की योजनाओं के बारे में पूछा और दलाई लामा के पुनर्जन्म के चयन में चीनी हस्तक्षेप को लेकर चिंता जताई।
इसके जवाब में ‘मिनिस्टर फॉर इक्वलिटी’ श्रीमती कौकब स्टीवर्ट ने स्कॉटलैंड में बौद्ध धर्म सहित सभी धर्मों और आस्था समुदायों के योगदान के लिए स्कॉटिश सरकार की ओर से हार्दिक प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने परम पावन और बौद्ध समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और पूरे देश में शांति, करुणा और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
सांसद रॉस ग्रीर ने ३० साल पहले छह वर्षीय पंचेन लामा का चीनी सरकार द्वारा अपहरण किए जाने और उनके स्थान पर दूसरे लड़के को इस पद पर थोपे जाने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। सांसद ग्रीर ने तिब्बतियों के बीच व्यापक रूप से व्याप्त इन चिंताओं की ओर भी ध्यान आकर्षित कि भविष्य में परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म चयन को लेकर भी इसी तरह के हस्तक्षेप का प्रयास किया जा सकता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या स्कॉटिश सरकार किसी भी विदेशी हस्तक्षेप से मुक्त और तिब्बती बौद्ध परंपराओं और शिक्षाओं के अनुरूप चुने गए भावी दलाई लामा को मान्यता देने के लिए प्रतिबद्ध होगी?
माननीया मंत्री कौकब स्टीवर्ट ने जोर देकर कहा, ‘स्कॉटिश सरकार धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों का समर्थन करती है। हमारी सरकार का मानना है कि तिब्बती बौद्ध समुदाय को बाहरी हस्तक्षेप के बिना अगले दलाई लामा को चुनने का अधिकार होना चाहिए।’