
ब्रुसेल्स, ०८ मई २०२५। तिब्बत के ११वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा के जबरन गायब कर दिए जाने के ३० साल होने पर यूरोपीय संसद ने कड़ा प्रस्ताव पारित किया। स्ट्रासबर्ग में ०५ से ०८ मई तक चले यूरोपीय संसद के पूर्ण अधिवेशन के दौरान पारित इस प्रस्ताव में तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता के चीन के व्यवस्थित उल्लंघन की घोर निंदा की गई है।
यह प्रस्ताव तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक धर्मगुरुओं के पुनर्जन्म के चयन में चीनी सरकार के चल रहे हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करता है। विशेष रूप से यह परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म और उत्तराधिकार मामले को नियंत्रण करने के बीजिंग के प्रयासों की कड़ी निंदा करता है।
यूरोपीय संसद के सदस्यों ने शी जिनपिंग के शासन में तिब्बत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई और तिब्बती लोगों की विशिष्ट पहचान को खत्म करने के उद्देश्य से दमनकारी नीतियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। इनमें सरकारी आवासीय स्कूल भी शामिल हैं। इस प्रस्ताव में तिब्बती धार्मिक रीति-रिवाजों पर सरकार के नियंत्रण को समाप्त करने की मांग की गई है और मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की मांग की गई है।
प्रस्ताव का केंद्रीय मुद्दा वियतनाम में चीनी हिरासत में प्रमुख तिब्बती बौद्ध लामा तुलकु हंगकर दोरजे की संदिग्ध मौत और उसके बाद उनके परिवार की सहमति के बिना उनके शव का अंतिम संस्कार किया जाना है। यूरोपीय संसद ने उनकी मौत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र जांच, जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करना और उनके पार्थिव शरीर के अवशेषों को उनके परिवार और धार्मिक समुदाय को सौंपने की मांग की।
प्रस्ताव में तिब्बती बच्चों का चीनीकरण करने के उद्देश्य से संचालित सरकारी बोर्डिंग स्कूलों, तिब्बती धार्मिक लामाओं के पुनर्जन्म का चयन करने हस्तक्षेप, परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के चयन में हस्तक्षेप और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बतियों के दमन सहित बीजिंग द्वारा तिब्बतियों को जबरन चीनी मूल में आत्मसात करने की नीतियों की भी निंदा की गई है।
यूरोपीय संसद ने यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों से चीन और वियतनाम के साथ सभी तरह के राजनयिक संपर्कों के दौरान इन चिंताओं को उठाने और पंचेन लामा की रिहाई की वकालत करने का आग्रह किया।
यूरोपीय संसद में पांच प्रमुख राजनीतिक समूहों द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्ताव पेश किया गया और इसे ३० के मुकाबले ४७८ मतों के प्रचंड बहुमत से स्वीकार किया गया। ४१ सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
प्रस्ताव पर बहस का समापन यूरोपीय आयुक्त माइकल मैकग्राथ द्वारा संसद की चिंताओं को दोहराते हुए चीन से परम पावन १४वें दलाई लामा सहित सभी लामाओं के धार्मिक उत्तराधिकार के चयन में हस्तक्षेप न करने का आग्रह करने के साथ हुआ। उन्होंने ११वें पंचेन लामा के जबरन गायब होने की ३०वीं वर्षगांठ का उल्लेख किया, जिसे तिब्बती आनेवाले दिनों में याद करेंगे। साथ ही चीन से तुलकु हंगकर दोरजे की संदिग्ध मौत की स्वतंत्र जांच का आह्वान किया। मैकग्राथ ने तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने और मानवाधिकारों की बारीकी से निगरानी करने के लिए यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा चीनी अधिकारियों के साथ सभी उच्च-स्तरीय बैठकों में इन मुद्दों को उठाने का वचन दिया।
– बुसेल्स स्थित तिब्बत कार्यालय की रिपोर्ट