दैनिक भास्कर, 16 अप्रैल 2015

करमापा का यह बयान चीनी अधिकारियों के लगातार आ रहे इन बयानों के बाद आया है कि निर्वासित दलाई लामा काे स्वयं यह तय करने का अधिकार नही है। दोरजे ने वॉशिंगटन में रेडियो फ्री एशिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि पुनर्जन्म का फैसला दलाई लामा को करना है। उन्होंने कहा, ‘वह अपने पुनर्जन्म का फैसला करने में पूरी तरह सक्षम हैं।’
उन्होंने कहा, “तिब्बत की परंपरा के अनुसार जीवित गुरु के बारे में ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं है। इस संबंध में कई सवाल उठ रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि दलाई लामा को अपने भविष्य का निर्णय खुद ही करना चाहिए। मुझे उनके निर्णय पर विश्वास तथा भरोसा है।”
दोरजे ने कहा कि इस संबंध में दलाई लामा के बारे में कई तरह की बयानबाजी और अटकलें लगाई जा रही है लेकिन मैं इसको लेकर चिंतित नहीं हूं। गौरतलब है कि दोरजे वर्ष 2000 में तिब्बत से भारत आए थे। उन्हें दलाई लामा का करीबी सहयोगी माना जाता है। उनके तिब्बत छोड़न के बाद भी चीन उन्हें 17 वां आध्यात्मिक अवतार मानता है। इस संबंध में चीन कहता रहा है कि परंपरा अवश्य जारी रहनी चाहिए। लेकिन दलाई लामा का कहना है कि वह आखिरी दलाई लामा होंगे।
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