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दस लाख तिब्बती बच्चों को उनके माता-पिता से जबरन अलग किया गया : संयुक्त राष्ट्र

February 15, 2023


bitterwinter.org /१५ फरवरी, २०२३

नवंबर में संयुक्त राष्ट्र के तीन विशेष दूतों ने चीन को लिखा। कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर उन्होंने इसे सार्वजनिक करने का फैसला किया
मास्सिमो इंट्रोविग्ने

जब कनाडाई लोगों को पता चला कि बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग कर दिया जाता है और आवासीय स्कूलों में भेज दिया जाता है तो वहां विरोध की ज्‍वाला भड़क उठी और मुकदमों के मामले अचानक बढ़ गए। ये स्‍कूल अक्सर उनके माता-पिता से सैकड़ों मील दूर होते हैं, जहां उनकी संस्कृति और भाषा को मिटाकर एक नई, विदेशी पहचान देने की कोशिश की जाती है। कनाडा के ईसाई बोर्डिंग स्कूलों में स्वदेशी पहचान, भाषा और धर्म से वंचित फर्स्ट नेशन के बच्चों के साथ यही हुआ था।

हालांकि, प्रदर्शनकारी शायद इस बात से अनभिज्ञ थे कि जो कभी कनाडा में हुआ, वही आज चीन में चल रहा है और दस लाख तिब्बती बच्चे इसके शिकार हुए हैं। तीन विशेष रि‍पोर्टियरों ने सबसे पहले चीन को दिनांक ११ नवंबर, २०२२ को एक गोपनीय पत्र लिखा। हालांकि वे कहते हैं कि वे चीनी अधिकारियों के साथ संपर्क में बने रहे, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इसलिए उन्होंने पत्र और एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। उनका दावा है कि तिब्बती लोगों को सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई रूप से आत्मसात करने के उद्देश्य से चीनी सरकार द्वारा लागू आवासीय स्कूल प्रणाली की नीतियों के कारण तिब्बती अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग दस लाख बच्चे प्रभावित हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्र के तीनों विशेष रि‍पोर्टियरों ने कहा कि वे इस बात से बहुत परेशान हैं कि हाल के वर्षों में तिब्बती बच्चों के लिए अनिवार्य आवासीय विद्यालय प्रणाली बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के विपरीत कार्य करती है। इसका उद्देश्य तिब्बतियों को बहुसंख्यक हान संस्कृति में विलीन कर लेना है।

दस लाख तिब्बती बच्चों यानी तिब्बत के अधिकांश बच्चों को उनके माता-पिता के विरोध के बावजूद जबरन अलग कर दिया गया है और तिब्बत और चीन के दूर-दराज के स्थानों में आवासीय स्कूलों में भेज दिया गया है। वहां का ‘शैक्षिक सामग्री’ और माहौल बहुसंख्यक हान संस्कृति वाला है। इसमें पाठ्य-पुस्तक की सामग्री, विशेष रूप से मंदारिन चीनी (पुटोंघुआ) भाषा का उपयोग करते हुए, लगभग पूरी तरह से हान छात्रों के अनुभव को दर्शाती है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेष रि‍पोर्टियरों ने कहा है कि इसके परिणामस्वरूप तिब्बती बच्चे अपनी मूल भाषा से दूर होते जा रहे हैं और तिब्बती भाषा में अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ आसानी से संवाद करने की क्षमता खो रहे हैं। यह उनकी पहचान को आत्मसात करने और पहचान को खत्‍म करने की राह को आसान करता है।

तिब्बती ग्रामीण स्कूल जो शिक्षण की भाषा के रूप में तिब्‍बती का उपयोग करते थे, अब बंद हो गए हैं। विशेष रिपोर्टियरों ने आगे कहा कि इन ग्रामीण स्‍कूलों को टाउनशिप या काउंटी स्तर के स्कूलों में बदल दि‍या गया है जो विशेष कर शिक्षण और संचार के लि‍ए लगभग पुतोंगहुआ का उपयोग करते हैं और आमतौर पर बच्चों को इसे समझने के लिए अलग से प्रयास करने की आवश्यकता होती है। इस नीति के उद्देश्य को लेकर विशेष रिपोर्टियरों को कोई भ्रम नहीं है। यह तिब्बतियों की अगली पीढ़ी का हान चीनी संस्कृति में ‘पूरी तरह आत्मसात’ करने और उनकी तिब्बती सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विरासत को मटियामेट कर देना भर है। कई अन्‍य लोगों ने इसे सांस्कृतिक संहार का नाम दिया है।


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