
धर्मशाला। ०६ जुलाई २०२४ को परम पावन दलाई लामा के ८९वें जन्मदिन के अवसर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के नेतृत्व में तिब्बती लोग तिब्बती समुदाय के सबसे बड़े उत्सव को मनाने के लिए त्सुगलागखांग प्रांगण में एकत्र हुए।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सिक्किम के माननीय मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इनमें सिक्किम विधानसभा के अध्यक्ष मिंगमा नोरबू शेरपा, अरुणाचल पूर्व से लोकसभा सांसद श्री तापिर गाओ और सिक्किम के कई अन्य गणमान्य अधिकारी और मंत्री शामिल थे। इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम में कनाडा के ओंटारियो से सांसद और माननीय उपाध्यक्ष भुटिला कारपोचे और स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख कैंटन में मीलेन जिले की नगरपालिका ओएटविल एम सी के मेयर नामग्याल गंगशोंत्सांग ने भी भाग लिया।
सिक्योंग पेन्पा शेरिंग और स्पीकर सोनम तेनफेल द्वारा क्रमशः काशाग और तिब्बती संसद के वक्तव्य देने के बाद विशिष्ट अतिथियों ने परम पावन दलाई लामा को उनके ८९वें जन्मदिन पर अपनी शुभकामनाएं दीं। सबसे पहले ओएटविल एम सी के मेयर नामग्याल गंगशोंत्सांग ने अपने भाषण में समुदाय की ओर से बधाई दी और आभार व्यक्त किया। उन्होंने तिब्बती मुद्दे और वैश्विक मानवीय प्रयासों के लिए परम पावन के आजीवन समर्पण के गहन प्रभाव पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि ने अपने भाषण की शुरुआत केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा दिए गए निमंत्रण के लिए अपनी हार्दिक प्रशंसा व्यक्त करते हुए की और ०६ जुलाई को परम पावन के जन्मदिन को दुनिया भर में मनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने परम पावन के मार्गदर्शन में विकसित करुणा और ज्ञान के प्रतीक के रूप में धर्मशाला, विशेष रूप से मैक्लोडगंज की सराहना की। परम पावन के चुनौतीपूर्ण देखभाल और उसके बाद के वैश्विक प्रभाव को स्वीकार करते हुए उन्होंने परम पावन द्वारा अपनाए गए बौद्ध धर्म, शांति और करुणा की सार्वभौमिक शिक्षाओं को रेखांकित किया। सम्मानित अतिथि ने परम पावन के स्वास्थ्य और दीर्घायु जीवन के लिए गर्मजोशी से शुभकामनाएं दीं और परम पावन की मेजबानी करने और उनकी यात्राओं का लाभ उठाने में सिक्किम के गौरव का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने सद्भाव और स्थिरता को बढ़ावा देने में परम पावन की शिक्षाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया, अटूट समर्थन का वचन दिया और एक शांतिपूर्ण दुनिया के लिए परम पावन के सिद्धांतों के प्रचार करने का आश्वासन दिया।
इसके अलावा, विशिष्ट अतिथि भुटिला करपोचे ने अपने संबोधन में तिब्बतियों के हित के लिए परम पावन के अथक परिश्रम पर विचार किया और आभार व्यक्त किया। करपोचे ने विशेष रूप से २४ वर्ष की आयु में तिब्बत से निर्वासन के बाद से परम पावन के दूरदर्शी नेतृत्व की प्रशंसा की। उन्होंने एक सम्मानित आध्यात्मिक धर्मगुरु के रूप में परम पावन की वैश्विक प्रतिष्ठा पर जोर दिया। उन्होंने परम पावन की दुनिया भर में हाल में हो रही प्रशंसाओं पर प्रकाश डाला। इसमें एशियाई बौद्ध शांति सम्मेलन द्वारा दलाई लामा पदनाम को प्रमुख बौद्ध धर्मगुरु के रूप में मान्यता देना और उन्हें कनाडा की मानद नागरिकता देना शामिल है। उन्होंने लोगों से परम पावन के शांति, सद्भाव और एकता के सिद्धांतों को आदर के साथ बनाए रखने का आह्वान किया और उनके स्थायी स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देकर अपने संबोधन को समाप्त किया।
श्री तापिर गाओ ने अपने संबोधन में परम पावन के जीवन और शिक्षाओं का लाभ लेने का अवसर पाने के लिए उनके प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। परम पावन की उल्लेखनीय यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए श्री तापिर गाओ ने परम पावन के भारत आगमन के ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया, जो भारत और तिब्बत के बीच मित्रता और एकजुटता के गहरे बंधन का प्रतीक है।
इस कार्यक्रम में तिब्बती स्कूलों, धर्मशाला में क्षेत्रीय तिब्बती संघों और तिब्बती प्रदर्शन कला संस्थान (टीआईपीए) की ओर से जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन किया गया और महत्वपूर्ण साहित्यिक पुस्तकों के विमोचन हुए। इस अवसर पर निर्वासित तिब्बती संसद और काशाग द्वारा मुख्य अतिथियों और अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया।











