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नाबा में हाल में हुई घटनाएं।

March 16, 2011

16 मार्च, 2011
20 साल के फुंसोक जारुसांग के आत्मदाह के प्रयास ने नाबा भिक्षुओं और आम

जनता के एक बडे विरोध प्रदर्शन को चिनगारी दे दी। तीन साल पहले इसी दीन

चीनी सुरक्षा बलों ने यहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले एक समूह पर अंधाधुंध

गोलीबारी शुरु कर दी थी जिससे कम से कम 10 लोग मारे गए थे।
17 मार्च, 2011
नाबा में स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 3 बजे फुंसोक की मौत हो गई ।
उपरी मिडल स्कूल के विधार्थी भूख हडताल पर बैठ गए।
19 मार्च, 2011
नाबा के आसपास सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त कर दी गई ।
20 मार्च ,2011
नाबा के अंदर और बाहर सभी जगहों पर सुरक्षा औऱ सख्त की गई ।
कीर्ति मठ के अधिकारियों और नाबा के अंदर औऱ उसके आसपास के सामुदायिक

नेताओं को निर्देश दिया गया कि वे यह सुनिशिचत करें कि 20 मार्च , 2011 को

कोई भी तिब्बती निर्वासित तिब्बतियों के चुनाव संपन्न होने की खुशी में पटाखे

जलाने , धूप सुलगाने या पवन अश्व वाले प्रार्थना ध्जव हवा में उडाने जैसी

गतिविधियां नही होगी।
21 मार्च ,2011
नाबा के कीर्ति मठ में देशभाक्ति पुनर्शिक्षा अभियान शुरु किया गया।
22 मार्च , 2011
फुंसोक के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के संदेह में चार तिब्बतियों को

हिरासत में ले लिया गया। इनमें फुंसोक के 19 वर्षीय भाई एंव कीर्ति मठ के भिक्षु

लोबसांग सेतेन, फुंसोक के मामा लोबसांग , मेउरुमा टाउनशिप के डिवीजन 2 के मूल

निवासी और कीर्ति मठ के एक भिक्षु सुन्डु सामड्रुप और 16 साल के लोबसांग

जामयांग को गिरफ्तार कर लिया गया । जामयांग को नाबा काउंटी के उपरी तवा

स्थित उनके घर से रात के 12 से 1 बजे के बीच गिरफ्तार किया गया।
23 मार्च,2011
चीनी अधिकारियों ने कीर्ति मठ के भिक्षुओं को आदेश दिया कि चीनी नियमों एंव

कानूनों के बारे में अपनी जानकारी बढाएं।
भिक्षुओं को तीन पुस्तिकाओं की प्रतियां दी गई । ये तीन पुस्तिकाएं थी, 1- चीन

जनवादी गणतंत्र (पीआरसी) का संविधान ,2 -चीन के ध्वज के सम्मान से संबंधित

कानून ,3-सार्वजनिक विवादों पर मध्यस्थता से संबंधित पीआरसी के नियम।
24 मार्च,2011
नाबा और उसके आसपास के इलाकों से कई तिब्बतियों को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस ने कीर्ति मठ से 24 साल के भिक्षु लोबसांग छोमफेल को गिरफ्तार कर

लिया। इस बारे में कुछ पता नहीं चल पाया कि उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया और

पुलिस ने उन्हें कहां रखा है। इसी प्रकार नाबा काउंटी के ही छा टाउनशिप में स्थित

उपरी छुकले के कीर्ति मठ से जुडे तांत्रिक कॉलेज से 32 साल के लोबसांग नोड्रुप को

गिरफ्तार कर लिया गया। उनके गिरफ्तारी की वजह नहीं पता चल पाई है।
स्थानीय अधिकारियों ने नाबा काउंटी के उपरी तवा और गापमा गावों में जनसभा

बुलाकर लोगों को निर्देश दिया कि कीर्ति मठ में सुरक्षा ड्यूटी के लिए हर दिन

हाजिरी दें ताकि भिक्षुओं द्वारा आगे कोई विरोध प्रदर्शन न होने पाए। यह कहा गया

कि जो लोग हाजिरी बजाने में चूक करेंगे उन्हें प्रति दिन के हिसाब से 30 युआन का

जुर्माना देना होगा।
25 मार्च,2011
इस दिन एक औऱ गिरफ्तारी हुई । कीर्ति मठ के 27 साल के भिक्षु और बीजिंग के

अल्पसंख्यक विश्वविधालय के छात्र लोबसांग सेपक को करीब 6 बजे शाम को

गिरफ्तार कर लिया गया। इस बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है कि उनकी

गिरफ्तारी क्यों हुई और उन्हें कहां रखा गया है।
1 अप्रैल ,2011
सुरक्षा बलों का दबाव बढा । कीर्ति मठ के चारों ओर नाकाबांदी कर रहे दस्तों का

साथ देने के लिए बडी संख्या में चीनी सशस्त्र सेना के जवान भेजे गए। सैनिक
मठ के प्रांगण में घुस गए और उन्होंने भिक्षुओं की स्वतंत्र तौर से आवाजाही पर रोक
लगा दी । इनमें एक 70 साल के बुजुर्ग भिक्षु भी थे। ऐसी आंशका जताई जा रही है

कि यदि मठ का यह घेराव ऐसे ही जारी रहा तो भिक्षुओं को अपने दैनिक जरुरतों

को भी हासिल कर पाना मुशिकल होगा।
8 अप्रैल,2011
कीर्ति मठ पर सुरक्षा बलों का दमन जारी । 27 साल के लोबसांग गेलेक को

गिरफ्तार कर लिया गया जो शायद एक भिक्षु है। मेउ रुमा गांव के मूल निवासी

गेलेक को क्यों गिरफ्तार किया गया, इसकी वजह नहीं पता चल पाई है।
11 अप्रैल ,2011
कीर्ति मठ में एक औऱ गिरफ्तारी । 31 साल के लोबसांग धारग्येल को मठ से

गिरफ्तार कर लिया गया औऱ उनकी भी गिरफ्तारी की वजह नहीं बताई गई।
12 अप्रैल ,2011
मठ के अंदर किसी के जाने पर रोक लगाए जाने के बाद तिब्बतियों में यह आशंका

बढ गई कि चीनी अधिकारी कीर्ति मठ पर कयामत बरपाने की योजना बना रहे है

औऱ 18 से 40 साल के सभी भिक्षुओं को स्थानीय जेलों में भेजने की तैयारी की जा

रही है , जहां उन्हें जबर्दस्ती राजनीतिक शिक्षा दी जाएगी । सशस्त्र पुलिस औऱ

सैनिक तिब्बतियों को पीटकर औऱ उनके उपर कुत्ते छोडकर भीड को नियांत्रित करने

की कोशिश करते रहे।
13 अप्रैल ,2011
गतिरोध जारी रहा और सैकडों स्थानीय लोगों को मठ के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा ड्यूटी

में लगाया गया। भिक्षुओं के तब तक मठ से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई जब

तक सरकारी अधिकारी उनकी देशभक्ति पुनर्शिक्षा अभियान को पूरा नहीं कर लेते।
14 अप्रैल ,2011
कीर्ति मठ के वरिष्ठ भिक्षुओं औऱ बीजिंग के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के

प्रतिनिधियों के बीच एख बैठक का आयोजन किया गाय। भिक्षुओं ने मठों के स्कूलों

को बंद करने पर गहरी चिंता जताई , लेकिन यूनाइटेड फ्रांट वर्क डिपार्टमेंट के मंत्री

इसका समुचित जवाब समुचित जवाब देने में विफल रहे।
15 अप्रैल ,2011
नाबा काउंटी में और खासकर कीर्ति मठ में किसी तरह के जमावडे या विरोध प्रदर्शन

पर पुलिस ने प्रतिबंध बढा दिया।
कीर्ति मठ से कई और गिरफ्तारियां की गई , लेकिन गिरफ्तार भिक्षुओं के नाम की

पुष्टि नही हो पाई है।
कीर्ति मठ में शुरु किया गया देशभक्ति पुनशिक्षा अभियान सरकारी कर्मचारी औऱ

स्कूली बच्चों के लिए अनिर्वाय कर दिया गया। पास के जोग्ये काउंटी के सरकारी

कर्मचारियों को भी कीर्ति मठ में देशभक्ति पुनर्शिक्षा सत्र में शामिल होने के लिए

मजबूर किया गया।
16 अप्रैल ,2011
गहन देशभक्ति अभियान जारी , सुरक्षा बलों ने भिक्षुओं को धमकी दी कि यदि वे

उनके आदेश का पालन करने में विफल रहे तो मठ को बंद कर दिया जाएगा।
17 अप्रैल ,2011
कीर्ति मठ में चीन का देशभक्ति पुनर्शिक्षा जारी।
नाबा अपन मिडल स्कूल के विधार्थियों के परिसर छोडने पर रोक लगा दी गई

फुंसोक के आत्मदाह के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए छात्रों ने 17 मार्च से ही भूख

हडताल शुरु कर दिया।
मेउ रुमा, उपरी एंव निचले छुकले , रारु , नाक्संगमा और छशंग के खानाबदोश क्षेत्रों

में बडी संख्या में सेना के जवान तैनात कर दिए गए। खानाबदोश लोगों को रारु घार

में इकट्ठा कर उनको एक आदेशपर दस्तखत करने का मजबूर किया गया। इस

आदेश को न तो उनकी भाषा में अनुवाद कर बताया गाय और न ही इसके बारे में

उन्हें कोई समझाने वाला था।
18 अप्रैल,2011
कीर्ति मठ में चीन की देशभक्ति पुनर्शिक्षा अभियान जारी।
नाबा काउंटी के जेलेब प्रखंड में सेना एंव पुलिस के अधिकारियों ने घर -घर जाकर

तलाशी ली।
19 अप्रैल,2011
कीर्ति मठ में चल रहे देशभक्ति पुनर्शिक्षा सत्र के दौरान एक उच्च पदस्थ चीनी

अधिकारी ने भिक्षुओं को धमकाया। उसने कहा कि यदि भिक्षु सही तरिकें से नहीं

कहते है तो उसके पास इतना अधिकार और क्षमता है कि वह उनकी जिंदगी को

बर्बाद कर देगा।
इसी दिन शाम को पुलिस , सेना औऱ सरकारी अधिकारियों सहित करीब 10 सुरक्षा

बलों का जत्था मठ के आसपास गश्त करता रहा और उन्होंने भिक्षुओं से पूछताछ

भी की। जिन भिक्षुओं ने उनके हिसाब से सही जवाब नहीं दिया उन्हें बुरी तरह पीटा

गया।
आसपास के भी कई मठों को चेतावनी दी गई और उनके भिक्षुओं की आवाजाही पर

रोक लगा दी गई ।
कीर्ति मठ से सुरक्षा बलों द्वारा भिक्षुओं को जबरन हटाने के विरोध में 60 से 70

साल की उम्र के करीब 200 लोग मठ के बहर धरने पर बैठ गए।
20 अप्रैल,2011
चीन के पडोसी प्रांतों से करीब 800 चीनी अधिकारी मठ पुहंचे और उन्होंने विरोध

और अशांति को जबरन कुचलने का प्रयास किया।
मठ के हर कमरे में करीब 10 सुरक्षा और पुलिस अधिकारी गए। जिन भिक्षुओं ने

इन अधिकारियों के सवालों का जवाब नहीं दिया उन्हें बुरी तरह पीटा और प्रताडित

किया गया। कई लोगों को तो घंटों तक एक पेड से लटका कर रखा गया।
इसके साथ ही इस दमन को दुनिया से छिपा कर रखने के लिए सरकारी अधिकारियों

ने दुष्प्रचार भी करना शुरु कर दिया।
21 अप्रैल,2011
सभी दूरसंचार नेटवर्क बंद कर दिए गए।
रात 9 बजे से सुबह 4 बजे के बची चीनी सेना, पुलिस औऱ जन सशस्त्र पुलिस के

जवानों ने किर्ति मठ से करीब 300 भिक्षुओं को गिरफ्तार कर लिया।
करीब 200 लोगों ने सशस्त्र बलों औऱ पुलिस द्वारा भिक्षुओं की गिरफ्तारी को रोकने

का प्रय़ास किया। इनमें से ज्यादातर लोग 60 साल के उपर के थे। इन विरोध करने

वाले लोगों  को बुरी तरह पीटा गया और दो लोगों की जान चली गई।
जिन दो लोगों की पिटाई से मौत हो गई उनमें उपरी तवा के निवासी 60 वर्षीय

डोंको और नाक्तसंगमा के राको सांग हाउस में रहने वाले 65 साल के शोरकी थे।
इसके अलावा बडी संख्या में लोगों को सेना की ट्रकों में भरकर अज्ञात स्थान पर ले

जाया गया।
22 अप्रैल,2011
पुलिस और सेना के वाहनों के अलावा अन्य सभी वाहनों के बाजार में मुख्य सडक

पर आने पर रोक लगा दी गई । पिछली रात को गिरफ्तार ज्यादातर लोगों को सुबह 9 बजे छोडा गया, लेकिन कैदियों को रिहा नहीं किया गया।


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