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निर्वासन में भी तिब्बत ने संजो रखी है संस्कृति : मेनका

September 3, 2015

दैनिक जागरण, 2 सितम्बर 2015

DSC_0278जागरण संवाददाता, धर्मशाला : केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि निर्वासित जीवन में भी तिब्बतियों ने अपने धर्म व संस्कृति को संजो कर रखा है। ऐसी परिस्थितियों में धर्म व संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन एक चुनौती है। मेनका गांधी मैक्लोडगंज में 55वें तिब्बती लोकतांत्रिक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां पर आक्रमण हुए हैं तो वह अपनी सभ्यता व संस्कृति को भी खो चुके हैं लेकिन तिब्बतियों ने अभी तक अपने धर्म, संस्कृति व लोक पंरपराओं को संजोकर रखा है यह अपने आप में बड़ी बात है। हर तिब्बती को अपने देश से प्रेम है और संघर्ष कठिन व लंबा है लेकिन जो लोकतांत्रिक व्यवस्था दलाईलामा ने दी है वह तिब्बतियों के लिए बेहतर है। भारत व भारत के लोग तिब्बतियों के हर सुख दुख में साथी हैं। उन्होंने कहा कि वह अक्सर हिमाचल आती रही हैं और यह सच में बहुत सुंदर है।

सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि धर्म व संस्कृति की दृष्टि से भारत तिब्बत पहले भी एक थे, आज भी एक हैं और आगे भी एक रहेंगे। तिब्बत की राजनीतिक आजादी चीन ने छीनी है यह वापस होनी चाहिए। तिब्बती सत्ता के लिए संघर्ष नहीं कर रहे बल्कि सत्य व धार्मिक विचारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां आए सभी संसदीय सदस्य व भारत सरकार तिब्बती संघर्ष में उनके साथ हैं। संयुक्त राष्ट्र संगठन में 190 देश भी न्याय नहीं दिलवा पा रहे हैं। भगवान चीन को सदबुद्धि दे और तिब्बत को आजादी मिले।

उन्होंने कहा कि दलाईलामा दुनिया में पूजनीय धार्मिक नेता व प्रगतिशील नेता हैं। उन्होंने पुरानी परंपराओं को बदलते हुए लोकतंत्र में लाने का प्रयास किया है। इस मौके पर संसद सदस्य थुपतेन छेवांग, संसद (सपा)कनक लता सिंह, इंडियन नेशनल लोकदल के सांसद राम कुमार कश्यप व कांग्र्रेस सांसद ठोकचोम मिनिया ने भी संबोधित किया।

भारतीय संसद से तिब्बत लोकतांत्रिक व्यवस्था मान्यता प्रस्ताव की पेशकश

55वें तिब्बती लोकतांत्रिक दिवस पर तिब्बती प्रधानमंत्री लोबसंग सांग्ये ने भारतीय संसद से दलाईलामा व सीटीए (केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन) की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मान्यता देने के लिए प्रस्ताव लाकर संयुक्त राष्ट्र संघ को भेजने की मांग की है। सांग्ये ने कहा कि तिब्बतियों की भलाई के लिए लोकतांत्रिक प्रणाली संचालन के दलाईलामा की बदौलत ही यह व्यवस्था मिली है। निर्वासन में तिब्बती प्रशासन लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुसार पूरी तरह से कार्य कर रहा है। इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करना पड़ा या बलिदान नहीं देना पड़ा। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था तिब्बती लोगों के लिए परमपावन दलाईलामा से एक अनमोल उपहार है। तिब्बती लोकतंत्र की वर्षगांठ पर पूरी दुनिया में रह रहे तिब्बतियों को बधाई देते है। निर्वासन में तिब्बती संसद के अध्यक्ष पेंपा सेरिंग ने कहा कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना 55 वीं वर्षगांठ के विश्व शांति के चिंतक व तिब्बतियों के रक्षक व संरक्षक दलाईलामा के कारण मना पा रहे हैं। दुनियाभर में परम पावन दलाईलामा के 80वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। उन्होंने तिब्बत में चीन के अत्याचारों पर भी प्रकाश डाला।

Link of news article: http://www.jagran.com/himachal-pradesh/dharmshala-tibbet-civilian-scure-his-heritage-12825701.html


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