
धर्मशाला। तिरुवनंतपुरम (केरल) से लोकसभा सांसद पूर्व केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव डॉ. शशि थरूर ने ३० मई २०२४ को निर्वासित तिब्बती संसद का दौरा किया। डॉ. थरूर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने संसद भवन के नियोजित दौरे के बाद डिप्टी स्पीकर डोल्मा शेरिंग तेखांग के अलावा स्थायी समिति और लोक लेखा समिति के सदस्यों के साथ बैठक की।
प्रतिनिधिमंडल ने ३० मई को सबसे पहले परम पावन दलाई लामा से मुलाकात की। निर्वासित तिब्बती संसद के निमंत्रण को प्राथमिकता पर लेते हुए थरूर द्वारा किए गए दौरे में टीपीआईई के सांसद यूडन औकात्सांग उनके साथ थे।
निर्वासित तिब्बती संसद में पहुंचने पर सांसद और उनके सहयोगियों का डिप्टी स्पीकर, स्थायी समिति और लोक लेखा समिति के सदस्यों और संसदीय सचिवालय के सचिव और वहां के कर्मचारियों ने स्वागत किया। डॉ. थरूर को संसद भवन का दौरा कराया गया, जिसके बाद स्थायी समिति के हॉल में बैठक हुई।
अपने स्वागत भाषण में डिप्टी स्पीकर ने तिब्बती मुद्दे के लिए डॉ. थरूर के स्थायी समर्थन, विशेष रूप से दिल्ली में अपने तिब्बती अभियान के दौरान निर्वासित तिब्बती संसद के प्रतिनिधिमंडलों से मिलने के लिए थरूर प्रतिनिधिमंडल का आभार व्यक्त किया।
डिप्टी स्पीकर ने २०२२ में वाशिंगटन डीसी में तिब्बत पर विश्व सांसदों के आठवें सम्मेलन में थरूर की बहुमूल्य उपस्थिति का हवाला देते हुए उसी जोश के साथ डॉ. थरूर से निरंतर समर्थन जारी रखने का आग्रह किया और तिब्बत पर विश्व सांसदों के आगामी नौवें सम्मेलन में भी उन्हें उपस्थित रहने का आग्रह किया।
भारत के विभिन्न राज्यों में तिब्बती संसद के पक्षधरता अभियान कार्यक्रम के बारे में प्रतिनिधिमंडल को जानकारी देते हुए डिप्टी स्पीकर ने पर्यावरण, राष्ट्रीय स्थिरता और जल संसाधनों के संदर्भ में तिब्बत के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. शशि थरूर ने तिब्बत और वहां के लोगों को भारत सरकार और उसके नागरिकों से मिले स्थायी समर्थन पर प्रकाश डाला, जो राजनीतिक संबद्धताओं से परे है। उन्होंने परम पावन दलाई लामा के साथ अपनी मुलाकात को याद किया। उस दौरान परम पावन ने धार्मिक सद्भाव के महत्व पर जोर दिया, जबकि सांसद ने अपने प्रतिनिधिमंडल के भीतर विविधता को रेखांकित किया, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और ईसाई शामिल थे।
तिब्बत के पूरे इतिहास का सिंहावलोकन करते हुए डॉ. थरूर ने १९५९ में परम पावन और तिब्बती शरणार्थियों के प्रति भारत के गर्मजोशी भरे स्वागत का उल्लेख किया, इस बात पर जोर देते हुए कि कैसे दलाई लामा ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रेम और करुणा के संदेशों का प्रसार किया है।
डॉ. शशि थरूर तिब्बत के समर्थक हैं और तिब्बत पर सांसदों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क (आईएनपीएटी) के सदस्य भी हैं।