
ज्यूरिख। परम पवित्र जेत्सुन तेनजिन गेधुन येशी त्रिनले फुंत्सोक पाल सांग्पो यानि ११वें पंचेन लामा के जबरन गायब होने की ३०वीं वर्षगांठ को याद करने के लिए शनिवार को स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में २०० से अधिक तिब्बती और मानवाधिकार समर्थक एकत्र हुए। यह आयोजन १७ मई २०२५ को हुआ।
इस कार्यक्रम में तिब्बत में चल रहे मानवाधिकार उल्लंघन और दुनिया के सबसे गंभीर धार्मिक उत्पीड़न के मामलों में से इस एक के बारे में बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को रेखांकित किया गया। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई तेज करने का भी आह्वान किया गया।
संयुक्त राष्ट्र, विभिन्न देशों की सरकारों और मानवाधिकार संगठनों की अपील के बावजूद चीन पिछले तीन दशकों से गेधुन चोएक्यी न्यिमा के बारे में कोई भी विश्वसनीय जानकारी नहीं दे रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन तिब्बती युवा संघ और स्विस तिब्बती महिला संघ ने संयुक्त रूप से किया था।
कार्यक्रम की शुरुआत में आयोजन समिति की ओर से शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लेने वालों का स्वागत किया गया। इसके बाद तिब्बती राष्ट्रगान का गायन हुआ और तिब्बत के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों और उनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति एकजुटता में एक मिनट का मौन रखा गया।
तिब्बती महिला संघ की सह-अध्यक्ष पासंग डोल्मा यूदुत्संग ने वैश्विक न्याय और सत्य का आह्वान करते हुए जोरदार ज्ञापन का वाचन किया। इसमें चीन से पंचेन रिनपोछे की स्थिति के बारे में पारदर्शी तरीके से जानकारी प्रदान करने का आग्रह किया गया। तिब्बती चिंताओं को उजागर करने वाली इस याचिका को औपचारिक रूप से सुरक्षा कर्मियों के माध्यम से यहां के चीनी दूतावास को सौंपा गया।
इसके बाद, यूरोप में तिब्बती युवा संघ के सह-अध्यक्ष कर्मा गहलर ने इस बात को जोरशोर से उठाया कि पंचेन रिनपोछे का लगातार गायब रहना तिब्बत में चल रहे धार्मिक और सांस्कृतिक दमन का प्रतीक है। उन्होंने यह भी बताया कि इस महत्वपूर्ण वर्षगांठ पर उनकी रिहाई की अंतरराष्ट्रीय मांग इस बात का प्रमाण है कि पंचेन रिनपोछे को भुलाया नहीं गया है।
इन नेताओं के भाषणों के बाद ज्यूरिख शहर में चीनी दूतावास तक शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला गया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तिब्बती झंडे और तस्वीरें थीं, जिन पर ‘पंचेन रिनपोछे कहां हैं?’ और ‘तिब्बत को आज़ाद करो’ जैसे नारे लिखे थे। यह नारे तिब्बती, जर्मन और अंग्रेज़ी में लिखे गए थे।
चीनी दूतावास पहुंचने पर भाषणों का दूसरा दौर शुरू हुआ। इस बार के भाषणों में तिब्बत के राजनीतिक संघर्ष, पंचेन रिनपोछे की स्थिति और तिब्बती संस्कृति और धर्म के संरक्षण के बारे में प्रकाश डाला गया।
रिकोन मठ के महंथ गेशे तेनज़िन जंगचूब ने पंचेन रिनपोछे की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों पर एक मार्मिक भाषण दिया। उन्होंने वहां एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों को समझाया कि तिब्बती बौद्ध धर्म की रक्षा में पंचेन लामा की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे १०वें पंचेन लामा की विरासत साहस, सच्चाई और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
निर्वासित तिब्बत सरकार के स्विट्जरलैंड में प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने कहा, ‘आज पंचेन रिनपोछे को जबरन गायब कर देने के ३० साल पूरे हो गए हैं। ३० साल से दुनिया उनके निवास और उनकी सेहत के बारे में पता नहीं लगा पाई है। इन ३० सालों में उन्हें तिब्बती बौद्ध धर्म का स्वतंत्र रूप से अध्ययन और साधना करने का अवसर नहीं दिया गया।’
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के कई विशेष प्रतिवेदकों द्वारा पंचेन रिनपोछे के बारे में बयान जारी करने के बावजूद चीन का दावा है कि वह सामान्य जीवन जी रहे हैं और उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने पूछा, ‘अगर यह सच है तो चीनी अधिकारी अंतरराष्ट्रीय संगठनों को उनकी स्थिति और हालत के बारे में जानकारी देने से क्यों कतराते हैं?’ उन्होंने जर्मन सांसद माइकल ब्रांड और स्विट्जरलैंड और इटली के सांसदों सहित अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की ओर से निरंतर समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। इन हस्तियों ने उनकी रिहाई और उनके अधिकारों को पुन: बहाल करने का आह्वान किया है।
स्विट्जरलैंड में तिब्बती समुदाय के उपाध्यक्ष कलसांग नामग्याल ने युवा तिब्बतियों से अधिक जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया। स्विस-तिब्बती मैत्री संघ के अध्यक्ष नॉर्डेन पेमा ने पंचेन रिनपोछे के लापता होने की ३०वीं वर्षगांठ के अवसर पर तिब्बत के लिए स्विस संसदीय समूह का एक बयान पढ़ा, जिसके बाद प्रार्थना की गई। तिब्बती युवा संघ ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं से कार्रवाई करने और गेधुन चोएक्यी न्यिमा की रिहाई की मांग करने का आह्वान किया। कार्यक्रम के समापन से पहले आयोजकों ने शांतिपूर्ण मार्च में भाग लेने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। इसके बाद समापन भाषण के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।
– तिब्बत कार्यालय, जिनेवा की रिपोर्ट