
लंदन। पंचेन लामा के अपहरण की २९वीं वर्षगांठ पर १७ मई को तिब्बत समर्थक समूह के सदस्यों ने विनियस स्थित चीनी दूतावास के समक्ष शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि लिथुआनियाई और यूरोपीय राजनेता तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन की समस्याओं पर ध्यान दें।
इस दिन १९९५ में छह वर्षीय गेधुन चोएक्यी न्यिमा का चीनी सरकार द्वारा अपहरण कर लिया गया और जबरन गायब कर दिया गया। तीन दिन पहले १४ मई १९९५ को ही उन्हें ११वें पंचेन लामा के अवतार के रूप में चिह्नित किया गया था। इस प्रदर्शन में तिब्बत समर्थक समूह के सदस्य रॉबर्ट्स माजेका ने जोर देकर कहा कि मान्यता प्राप्त पंचेन लामा के ठिकाने का खुलासा करने के लिए चीन पर दबाव डाला जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में बिगड़ती स्थिति को उजागर करने के लिए लिथुआनिया और अन्य देशों में तिब्बती समुदाय और उनके प्रतिनिधि यूरोपीय संसद के वर्तमान और भावी सदस्यों (एमईपी) से तिब्बत का समर्थन करने की प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करने का आह्वान कर रहे हैं।
तिब्बत हाउस के प्रमुख और विल्नियस विश्वविद्यालय में व्याख्याता व्यतिस व्यदुनास ने स्वीकार किया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का प्रश्न लिथुआनियाई जनता को विचित्र लग सकता है, लेकिन यह वैश्विक महत्व का सांस्कृतिक पहलू है। श्री व्यदुनास ने कहा, ‘तिब्बती हमारे स्वाभाविक सहयोगी हैं। उग्यूर हमारे स्वाभाविक सहयोगी हैं, ठीक उसी तरह जैसे चीनी शासन रूस में वर्तमान में मौजूद तानाशाह और अमानवीय शासन का सहयोगी है। हमें तिब्बती संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।’
तिब्बती और लिथुआनियाई झंडे लिए हुए प्रदर्शनकारी चीन के खिलाफ कार्रवाई की मांगों वाली तख्तियां लिए हुए थे। उन पर ‘पंचेन लामा को मुक्त करो’, ‘तिब्बत में मानवाधिकारों का सम्मान करो’, ‘तिब्बतियों का सांस्कृतिक संहार बंद करो: औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूल बंद करो!’ जैसे बहुत सारे नारे लिखे हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने ‘तिब्बत को आज़ाद करो’ के नारे भी लगाए।