परम पावन महान 14वें दलाई लामा ने 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर अपने पुनर्जन्म के अनवरत जारी रहने की घोषणा की।
मैंने 24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की एक बैठक में तिब्बत के अंदर और बाहर रहनेवाले अपने तिब्बत के साथियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत और तिब्बतियों से संबंध रखने वाले लोगों के सामने दलाई लामा की संस्था जारी रहने के बारे में एक वक्तव्य दिया था। मैंने कहा था, ‘1969 में ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि तिब्बत के शुभचिंतकों को यह तय करना चाहिए कि भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म जारी रहने चाहिए या नहीं।’ मैंने यह भी कहा था, ‘जब मैं लगभग नब्बे वर्ष का हो जाऊंगा, तो मैं सभी तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य संबंधित लोगों से परामर्श करूंगा और इस बात का पुनर्मूल्यांकन करूंगा कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं।’ यद्यपि मैंने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की है, फिर भी पिछले 14 वर्षों में तिब्बत की आध्यात्मिक परंपराओं के लामाओं, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों, विशेष आम सभा की बैठक में भाग लेने वालों, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सदस्यों, गैर सरकारी संगठनों, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया, रूसी संघ के बौद्ध गणराज्यों और चीन की मुख्य भूमि सहित एशिया के बौद्धों ने मुझे पत्र लिखकर गंभीरतापूर्वक अनुरोध किया है कि दलाई लामा की संस्था जारी रहे। विशेष रूप से, मुझे विभिन्न चैनलों के माध्यम से तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों से भी इस तरह के अपील-संदेश प्राप्त हुए हैं। इन सभी अनुरोधों को देखते हुए, मैं इस बात की घोषणा कर रहा हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। 24 सितंबर 2011 के बयान में स्पष्ट रूप से भावी दलाई लामा को मान्यता दिए जाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है उन्हें तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और दलाई लामाओं की वंशावली से अविभिन्न रूप से जुड़े विश्वसनीय निष्ठावान धर्म रक्षकों से परामर्श करना चाहिए। उन्हें तदनुसार पिछली परंपरा के अनुसार खोज और मान्यता की प्रक्रियाओं को पूरा करना चाहिए। मैं इस बात को दोहराता हूं कि भविष्य के पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास है, किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
धर्मशाला
21 मई 2025