
थेकचेन चोलिंग, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत। आज २८ अगस्त की सुबह परम पावन दलाई लामा न्यूयॉर्क से अपनी यात्रा पूरी करके धर्मशाला लौट आए। न्यूयॉर्क में वे पिछले दो महीनों से अपने घुटनों का इलाज करवा रहे थे। ज्यूरिख में २७ अगस्त को एक दिन विश्राम के लिए वे रुके थे। उसके बाद वे दिल्ली के लिए रवाना हुए।
धर्मशाला की उड़ान के लिए आज का मौसम अनुकूल था। इसलिए उड़ान समय पर रवाना हुई और लगभग आधे घंटे पहले ही धर्मशाला में उतर गई। परंपरा के अनुसार, गग्गल हवाई अड्डे पर परम पावन का स्वागत सिक्योंग पेन्पा शेरिंग और निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर भिक्षु खेंपो सोनम तेनफेल ने किया। उनका स्वागत करने के लिए हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम और बौद्ध धर्म जैसे विभिन्न धार्मिक परंपराओं के स्थानीय प्रतिनिधि और कई शुभचिंतक वहां मौजूद थे। परम पावन ने उन सबका गर्मजोशी से स्वागत किया।
परम पावन का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में तिब्बती सिविल लाइंस में मेन-शी-खांग के बाहर हरि कोटि चौक पर गंगचेन कइशोंग के द्वार पर और मुख्य तिब्बती मंदिर शुगलागखांग के नीचे और बगल की सड़क पर जमा थे। भिक्षुओं और भिक्षुणियों ने अपने पीले धर्म वस्त्र पहन रखे थे, जबकि आम लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहने हुए थे। उनमें से कई लोगों के हाथों में सफेद रेशमी स्कार्फ और चमकती धूपबत्ती थी और उनके चेहरे खुशी से भरे हुए थे। परम पावन ने गुजरते समय उन्हें देखकर हाथ हिलाया और खुशी से मुस्कुराए।
ताशी शोल्पा नर्तकियों के तीन समूहों ने हवाई अड्डे पर, गंगचेन कइशोंग के द्वार पर और शुगलागखांग के पास उत्साह से नृत्य और गायन प्रस्तुत किया।
परम पावन के निवास के द्वार के चारों ओर एकत्र हुए पूर्व कालोन, सचिव और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनकी कार के गुजरने पर उन्हें नमस्कार किया। उनमें से एक ने टिप्पणी की कि आम तौर पर ऐसा लग रहा था कि आज सुबह धर्मशाला में फिर से जान आ गई है।





