भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

परमपावन दलाई लामा ने गोवा विश्वविद्यालय में नालंदा अध्ययन केंद्र का उद्घाटन किया

December 11, 2019

गोवा। परमपावन दलाई लामा ने 11 दिसंबर को गोवा विश्वविद्यालय के कला अकादमी सभागार में छात्रों और शिक्षकों के बीच ‘हमारे आधुनिक समय में प्राचीन नालंदा शिक्षण की प्रासंगिकता’ विषय पर एक संगोष्ठी की अध्यक्षता की।

इसी अवसर पर परम पावन ने गोवा विश्वविद्यालय में नालंदा अध्ययन के लिए दलाई लामा चेयर की भी शुरुआत की, जिसे फाउंडेशन फॉर यूनिवर्सल रिस्पॉन्सिबिलिटी द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

इससे पहले सुबह परम पावन ने विश्वविद्यालय में एक नई पीठ के शुभारंभ में शामिल सम्मानित सदस्यों के साथ एक घंटे की चर्चा की।

इस अवसर पर गोवा विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. वरुण शाहनी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि, ‘कल का दिन गोवा विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही खास दिन था क्योंकि विश्वविद्यालय ने परम पावन दलाई लामा की फाउंडेशन फॉर यूनिवर्सल रिस्पॉन्सिबिलिटी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस दिन को परम पावन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के रूप में भी मनाया गया। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि कल का दिन कई तरह से पवित्र दिन था।

प्रो.सहनी ने बताया कि विश्वविद्यालय में नई पीठ आधुनिक भारतीय विश्वविद्यालयों की छतरी के नीचे प्राचीन भारतीय परंपरा के ज्ञान और इसके विभिन्न पहलुओं के अध्ययन पर केंद्रित होगी। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में नालंदा परंपरा के अध्ययन के अलावा ध्यान और मन का प्रशिक्षण, तर्क और चर्चा को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, ज्ञान के अध्ययन में बौद्ध तत्व मीमांसा, संघर्ष समाधान, शांति और लैंगिक अध्ययन को शामिल किया जाएगा।

कुलपति ने कहा, ‘अगर भारतीय शिक्षा प्रणाली को रचनात्मकता और नवाचारों की गंगा के रूप में प्रवाहित होना है, तो हमें नालंदा परंपरा का अनुकरण, समावेश और पुनः निर्माण करना होगा।‘

उन्होंने कहा, ‘विद्वता और ज्ञान की यह पूरी परंपरा हमेशा के लिए खो गई होती, अगर इसे हिमालय के उत्तर में अवस्थित तिब्बत के महान बौद्ध मठों में प्रत्यारोपित नहीं किया गया होता। अब समय आ गया है कि नालंदा परंपरा को एक बार फिर से तिब्बती मठों से भारतीय विश्वविद्यालयों में लाकर पुनप्र्रत्यारोपित किया जाए।

परमपावन दलाई लामा ने भाइयो और बहनो शब्द पर अपने निरंतर जोर देने के बारे में स्पष्टीकरण के साथ अपनी बात शुरू की। उन्होंने अपने इस विश्वास को दोहराया कि पूरे सात अरब मनुष्य एक बड़े मानव समुदाय का हिस्सा हैं।

तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा, ‘जब तक हम जीवित हैं, तब तक हमें सौहार्दता के साथ् काम करना होगा, जो अपने आप में आंतरिक शक्ति और आंतरिक शांति लाता है जो एक शांतिपूर्ण समुदाय बनाने की क्षमता प्रदान करता है।‘

परम पावन ने कहा कि आज की दुनिया में जहां खुशी को काफी हद तक भौतिक चीजों से मापा जाता है, यह महत्वपूर्ण है कि मनुष्य यह महसूस करें कि खुशी का असली स्रोत पहले से ही उसके भीतर मौजूद है।

परम पावन ने जोर देकर कहा कि यदि कोई मानव निर्मित भेदभाव है, जैसे कि राष्ट्रीयता, धार्मिक विश्वास और नस्ल, तो मनुष्य को इनकी कम से कम चिंता करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक करुणामय हृदय के निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसके बाद उन्होंने अपनी चार प्रमुख प्रतिबद्धताओं की व्याख्या की।

परम पावन ने उल्लेख किया कि वैज्ञानिक निष्कर्षों के आधार पर बुनियादी मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना उनकी पहली प्रतिबद्धता है।

परम पावन ने उल्लेख किया कि ‘वर्षों से वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि लगातार क्रोध और भय प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। मौजूदा शिक्षा प्रणाली में मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने की बात का नितांत अभाव है। सौहार्दता को बनाए रखने के लिए मानव बुद्धि को अपनी अनुकूलतम क्षमता का उपयोग करना चाहिए। केवल विश्वास ने किसी का भला नहीं किया है।‘

परम पावन ने कहा कि शिक्षा में मन का प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए जो उन्होंने टिप्पणी की कि यह भारत के लिए कोई नया नहीं है, क्योंकि इस देश ने कई साल पहले ही अहिंसा और करुणा की अवधारणा विकसित कर ली थी।

परम पावन ने अपनी दूसरी प्रतिबद्धता के रूप में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने, तीसरी प्रतिबद्धता के रूप में तिब्बती संस्कृति के संरक्षण और तिब्बत के पर्यावरण के संरक्षण और चैथी प्रतिबद्धता के तौर पर भारत में प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुत्थान की पुष्टि की।

परम पावन ने कहा कि ‘ज्यादातर लोग संवेदी अनुभव के बारे में जागरूक होते हैं लेकिन अपने मानसिक अनुभव पर कम ध्यान देते हैं। फिर भी क्रोध और करुणा जैसी शक्तिशाली भावनाएं मानसिक अनुभव में शामिल होती हैं। इसके साथ ही उन्होंने गोवा विश्वविद्यालय के सदस्यों से विश्वविद्यालय में नए शुरू किए गए नालंदा अध्ययन पीठ का अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया।

परम पावन ने कहा कि गोवा विश्वविद्यालय में नालंदा अध्ययन के लिए दलाई लामा पीठ की शुरूआत प्राचीन भारतीय ज्ञान में रुचि को बहाल करने में उनकी प्रतिबद्धता में योगदान करने का उनका तरीका है।


विशेष पोस्ट

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

3 Jun at 7:22 am

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

9 May at 11:40 am

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

9 May at 10:26 am

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

8 May at 9:05 am

संबंधित पोस्ट

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

6 days ago

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

4 weeks ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

1 month ago

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

1 month ago

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

1 month ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service