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पृथ्वी दिवस पर परम पावन दलाई लामा का संदेश

April 22, 2022

dalailama.com

पृथ्वी दिवस २०२२ पर आइए याद रखें कि इंसान ही नहीं, जानवर, पक्षी और कीड़े-मकोड़े तक हर कोई सुखी जीवन जीना चाहता है। हम सभी को अपने सामूहिक अस्तित्व की चिंता करनी चाहिए। मनुष्य के रूप में हमारा अद्भुत दिमाग हमें अच्छा करने के लिए उल्लेखनीय अवसर प्रदान करता है।लेकिन, अगर हम देखें कि आज की दुनिया कैसी है तो हमें इसे और बेहतर बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें अधिक समग्र शिक्षा की आवश्यकता है।एक ऐसी शिक्षा जिसमें दूसरों की भलाई के लिए करुणामय चिंता जैसे आंतरिक मूल्य शामिल हों।

हमारी दुनिया काफी हद तक एक-दूसरे पर अन्योन्याश्रित है। इसमें जलवायु संकट जैसी नई चुनौतियां शामिल हुई हैं जो हम सभी को प्रभावित करती हैं। साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारी भागीदारी का अर्थ है कि हमें पूरी मानवता को ध्यान में रखना चाहिए। हमें पहले वैश्विक हित का ध्यान रखना होगा।

हमें जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को अपनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। इसमें वायु ऊर्जा और सौर ऊर्जा शामिल हैं। हमें वनों की कटाई पर ध्यान देना चाहिए और पर्यावरण की बेहतर सुरक्षा करनी चाहिए। हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की आवश्यकता है। मैंने अपने जीवन में पहले तिब्बत में और बाद में धर्मशाला में बर्फबारी में गिरावट देखी है। दरअसल, कुछ वैज्ञानिकों ने मुझे बताया है कि तिब्बत जैसी जगहों का अंततः रेगिस्तान बनने का खतरा है। इसलिए मैं तिब्बत के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।

हमारा जीवन उम्मीदों पर आधारित है।हमारी इच्छा होती है कि चीजें ठीक तरह से चलती रहें।  उम्मीदों का संबंध  भविष्य से है। हालांकि भविष्य के बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर कहा नहीं जा सकता है। हम आशान्वित रहते हैं, जो निराशावादी होने से कहीं बेहतर है। यहां तक कि जब ग्लोबल वार्मिंग की तीव्रता में वृद्धि हो रही है, कई युवा खासतौर पर इसका समाधान खोजने और उसे साझा करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। वे हमारी आशा हैं।

आजकल जब हमें जलवायु संकट के कारण गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो हमें बदलाव के लिए समय सारिणी निर्धारित करके एक-दूसरे की मदद करनी होगी। मनुष्य के रूप में इस ग्रह पर रहते हुएहमें एक साथ खुशी-खुशी रहने का प्रयास करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन का खतरा राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह हम सभी को प्रभावित करता है। हमें प्रकृति और ग्रह की रक्षा के लिए काम करना चाहिए, जो हमारा एकमात्र घर है।


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