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भारत तिब्बत समन्वय संघ ने विश्व शरणार्थी दिवस पर तिब्बती पुनर्जागरण का जश्न मनाया

June 22, 2021

सांसद महंत बालक नाथ योगी जी।

tibet.net
22 जून, 2021

दिल्ली। इस वर्ष विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर भारत-तिब्बत समन्वय संघ ने शरणार्थियों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुरूप भारत की नीतियों की व्याख्या करने के लिए एक विशेष ऑनलाइन चर्चा की। कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य अतिथि अलवर, राजस्थान के माननीय सांसद श्री महंत बालक नाथ योगी ने टिप्पणी की कि परम पावन दलाई लामा के नेतृत्व में तिब्बती शरणार्थी समुदाय आज भारतीय परिवार का हिस्सा बन गया है।

उन्होंने कहा कि तिब्बती हमेशा परम पावन द्वारा दिखाए गए मार्ग पर दृढ़ता से चलते हैं और परम पावन की महान इच्छाओं पर कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व शांति और खुशी के लिए उनकी दूरदर्शी दृष्टि का उल्लेख करने की तो जरूरत ही नहीं है।सांसद ने भारतीय समाज के ताने-बाने को समृद्ध बनाने, इसके मूल्यों और ज्ञान की रक्षा करने में तिब्बती लोगों के योगदान पर प्रकाश डाला।

पूर्व एयर वाइस मार्शल ओपी तिवारी ने कहा कि बीटीएसएस तिब्बती लोगों की गरिमा और पहचान को बहाल करने के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगा और इसके लिए वैश्विक प्रयास की अधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तिब्बती लोग भारतीय परिवार का हिस्सा थे, हैं और रहेंगे, क्योंकि उन्होंने प्राचीन काल से भारतीय दिमाग और दिलों का दोहन करने में अनुकरणीय योगदान दिया है।

रेव संत सुनील कौशल ने संकेत दिया कि भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के रूप में धर्म, जाति या पंथ की परवाह किए बिना मानव अधिकार के सभी कारणों को अपनाया है। इस अर्थ में, भारत की इस भूमि में विभिन्न प्रकार के धर्मों और संप्रदायों को फलने- फूलने का मौका मिला है।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पूर्व कार्यकारी सचिव  श्री रोहित पांडेय ने उन कानूनों और सामान्य नियमों और विनियमों को रेखांकित किया जो भारत की भूमि में शरण लेने वाले शरणार्थियों के अधिकार और कर्तव्यों को सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने कानूनों को पेश करते हुए उनके निष्पादन से जुड़े महत्व और चुनौतियों, यूएनएचसीआर द्वारा स्थापित अधिकारों और कर्तव्यों और भारत सरकार के दृष्टिकोण के आधार पर शरणार्थी की व्याख्या करते हुए उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी।

पूर्व मेजर जनरल (प्रो.) नीलेंद्र कुमार ने जोर देकर कहा कि बीटीएसएस तिब्बतियों के लिए एक शक्तिशाली मंच है जिसने तिब्बतियों को सबसे मजबूत सहयोगी के तौर पर लगातार समर्थन दिया है। यद्यपि भारत कई अन्य शरणार्थियों की मेजबानी करता है जो कानूनी रूप से या अन्यथा देश में प्रवेश कर चुके हैं। लेकिन भारत और उसके लोग हर संभव तरीके से यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अपने आत्म सम्मान की लड़ाई में तिब्बती भाइयों और बहनों की भावना को बढ़ावा मिले।

आईटीसीओ के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने तिब्बतियों के लिए चर्चा के महत्व को स्वीकार किया जो ‘वैश्विक स्तर पर लाखों अन्य लोगों के समान अनुभव साझा नहीं कर सकते हैं। क्योंकि वे आज तक राजनीतिक शरणार्थी बने हुए हैं।


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