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भारत तिब्बतियों को अपना मूल निवासी मानता है: आचार्य देवव्रत

October 18, 2018

आईएएनएस, 16 अक्तूबर 2018

शिमला। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सोमवार को कहा कि भारत में ‘अतिथि देवो भव’ की संस्कृति है और राज्य में रहने वाले तिब्बत के लोगों को कभी भी देशी लोगों से अलग या निर्वासित नहीं माना जाता है।

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन  (सीटीए) द्वारा भारत में निर्वासन में तिब्बती समुदाय के 60 वर्ष पूरा होने पर आयोजित ‘थैंक यू हिमाचल’ सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने उदारता, प्रेम और सद्भावना का संदेश देते हुए कहा कि भारतीयों ने दुनिया की हर संस्कृति का सम्मान किया है।

राज्यपाल ने कहा कि सदियों से भारत और तिब्बत में अभिन्न सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ‘निर्वासित तिब्बती समुदाय के लोग इस देश में प्यार, स्नेह, एकता और सद्भावना के साथ रह रहे हैं और हमने उन्हें कभी भी अलग नहीं माना था। उन्होंने कहा कि यह उनकी महानता है कि वे हमेशा भारत के लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।’ इस दौरान समारोह में सीटीए के राष्ट्रपति लोबसांग सांगेय, राज्य के सिंचाई मंत्री मोहिंदर सिंह ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी मौजूद थे।

देवव्रत ने कहा ‘तिब्बती समुदाय की तीसरी पीढ़ी भारत की संस्कृति और भाषा को अपनाकर देश की प्रगति में योगदान दे रही है।’ उन्होंने कहा, “यह देश आप का भी उतना ही है जितना कि भारत के लोगों का है। देवव्रत ने कहा, ‘तिब्बतियों ने पूरी दुनिया में एकता, प्रेम और सद्भावना का संदेश दिया और इसलिए उनकी संस्कृति भारतीय संस्कृति से अलग नहीं है।’

सांगेय ने कहा कि पिछले 60 वर्षों में भारत में उन्हें प्राप्त प्रेम, संरक्षण और स्वीकृति भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाती है। ‘भावनाएं अभी भी बनी हुई हैं, जिसके लिए तिब्बती समुदाय कृतज्ञता व्यक्त करता है।’ उन्होंने आगे कहा कि तिब्बतियों ने भारत को अपना दूसरा घर माना है और वे भारत की उच्च परंपराओं और समृद्ध संस्कृति को आगे बढ़ाने में भी योगदान दे रहे हैं। इस अवसर पर तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने राज्य सरकार और राज्य के लोगों को बधाई दी और कृतज्ञता ज्ञापित की। सात मिनट के वीडियो संदेश में उन्होंने खुद को हिमाचल प्रदेश के गौरवशाली नागरिक और समृद्ध भारतीय परंपरा के छात्र के रूप में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत एक समृद्ध सभ्यता के इतिहास के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है, जो उनके अनुसार दुनिया के साथ साझा करने लायक है।


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