
धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) का महीने भर चला पंचेन लामा जागरूकता कार्यक्रम १७ मई २०२५ को संपन्न हो गया। इस दौरान सीटीए द्वारा पंचेन लामा को लेकर तिब्बती जनता को शिक्षित किया गया और गेधुन चोएक्यी न्यिमा के जबरन गायब होने की ३०वीं वर्षगांठ पर अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का आह्वान किया गया।
तिब्बत के ११वें पंचेन लामा का मूल नाम जेत्सुन तेनज़िन गेधुन येशी त्रिनले फुंटसोक पाल सांग्पो है। उन्हें गेधुन चोएक्यी न्यिमा के नाम से भी जाना जाता है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) ने उनकी ३६वीं जयंती के अवसर पर एक महीने का जागरूकता अभियान शुरू किया था। यह अभियान २५ अप्रैल २०२५ को उनके जन्मदिन के अवसर पर शुरू हुआ और १७ मई २०२५ को समाप्त हुआ। ज्ञात हो कि छह साल की उम्र में चीनी अधिकारियों द्वारा उन्हें जबरन गायब कर दिया गया था। यह अवसर पंचेन लामा के गायब होने के ३० साल पूरे होने का प्रतीक भी बना।
कार्यक्रम का उद्देश्य अनेक समारोहों, सार्वजनिक कार्यक्रमों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पक्ष में अभियान के माध्यम से इस लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे पर वैश्विक जागरूकता को बढ़ाना था। अभियान के दौरान चीनी सरकार से पंचेन लामा के ठिकाने और उनकी सेहत के बारे में सत्यापन योग्य जानकारी का खुलासा करने का आग्रह किया गया। चीनी अधिकारी लगातार यह दावा करते रहे हैं कि वह ‘सामान्य जीवन’ जी रहे हैं। लेकिन वे पंचेन लामा की स्थिति को सत्यापित करने के लिए स्वतंत्र रूप से उनसे संपर्क कराए जाने से इनकार करते रहे हैं।
साप्ताहिक विशेषज्ञ परिचर्चा
जागरुकता कार्यक्रम की शुरुआत ‘१०वें पंचेन लामा की विरासत और ११वें पंचेन लामा के जबरन गायब होने से जुड़ी परिस्थितियां’ विषयक सार्वजनिक परिचर्चा से हुई। परिचर्चा में मुख्य व्याख्यान सारा कॉलेज के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. सावांग टोपला ने दिया। २५ अप्रैल २०२५ को तिब्बत संग्रहालय के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सीटीए स्टाफ और मीडिया प्रतिनिधियों सहित २० से अधिक लोगों ने भाग लिया।
महीने भर तक तिब्बत एडवोकेसी सेक्शन ने तिब्बत संग्रहालय के सहयोग से हर शुक्रवार को साप्ताहिक विशेषज्ञ परिचर्चा की शृंखला आयोजित की। इन सत्रों में प्रतिष्ठित तिब्बती विद्वानों और कानूनी विशेषज्ञों ने तिब्बत से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं। ०२ मई को तिब्बती मानवाधिकार और लोकतंत्र केंद्र (टीसीएचआरडी) की सुश्री फुरबू डोल्मा ने ‘चीन द्वारा ११वें पंचेन लामा को जबरन गायब करने और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन’ विषयक व्याख्यान दिया। इसके बाद ०९ मई को सूचना एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) के श्री तेनज़िन कुनखेन ने ‘पंचेन लामा के लापता होने पर जागरुकता, पक्षधरता और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप’ विषयक व्याख्यान दिया। इन साप्ताहिक सत्रों में ११वें पंचेन लामा के मामले से जुड़ी मानवाधिकार संबंधी चिंताओं और अंतरराष्ट्रीय कानूनी निहितार्थों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की गई।
पैनल चर्चा
परम पावन दलाई लामा के कार्यालय के सचिव लोबसांग जिन्पा और ताशी ल्हुनपो मठ के गेशे ल्हारम्पा तेनज़िन दोरजी (सांगेय रिनपोछे) की विशिष्ट भागीदारी में १५ मई को गंगचेन क्यिशोंग के सिक्योंग हॉल में एक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा आयोजित की गई थी। पैनल चर्चा में तिब्बती धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए सबसे महत्वपूर्ण कई मामलों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। पैनल चर्चा में गहन आध्यात्मिक और संस्थागत संबंधों के बारे में चर्चा की गई, जो ऐतिहासिक रूप से दलाई लामा और पंचेन लामा की पवित्र वंशावली की विशेषता रही है। यह वंशावली सदियों की धार्मिक निरंतरता और पारस्परिक मान्यता का ऐतिहासिक दस्तावेज है। इसके अलावा, वक्ताओं ने पारंपरिक मान्यता प्रक्रियाओं में चीनी सरकार द्वारा बाहरी हस्तक्षेप के चिंताजनक पैटर्न को लेकर चर्चा की। चीनी सरकार ने पुनर्जन्म वाले लामाओं के चयन की प्रक्रिया और उन्हें पीठाधीश बनाने को नियंत्रित किया है। पैनल ने १०वें पंचेन लामा की स्थायी विरासत को भी श्रद्धांजलि दी, जिनकी तिब्बती सांस्कृतिक पहचान, भाषाई विरासत और धार्मिक परंपराओं को संरक्षित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता मौजूदा चुनौतियों के बावजूद तिब्बत के विशिष्ट सभ्यतागत मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरणा का काम करती है।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन
महीने के दौरान लगातार तीन बुधवार को तिब्बत संग्रहालय के सहयोग से डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रदर्शन किया गया। ३० अप्रैल और १४ मई को डॉक्यूमेंट्री ‘तिब्बत का चुराया हुआ बच्चा (तिब्बत्स स्टोलन चाइल्ड)’ का प्रसारण किया गया। इसमें ११वें पंचेन लामा की कहानी और उनके लापता होने की परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी गई है। ०७ मई को १०वें पंचेन लामा की जीवन कहानी और ११वें पंचेन लामा का पुनर्जन्म (लाइफ स्टोरी ऑफ द १० पंचेन लामा एंड द रिइनकार्नेशन ऑफ द ११ पंचेन लामा) शीर्षक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इसमें १०वें पंचेन लामा के जीवन और विरासत के साथ-साथ उनके पुनर्जन्म की मान्यता से संबंधित प्रक्रिया और चुनौतियों का व्यापक विवरण दिया गया।
समापन समारोह
महीने भर के इस अभियान का समापन १७ मई को अपर टीसीवी स्कूल के हरमन गमीनर हॉल में भाषण प्रतियोगिता के साथ किया गया। इसमें धर्मशाला और उसके आसपास के पांच तिब्बती स्कूलों- मेवोन सुगलाग पेटोएन स्कूल, टीसीवी अपर, टीसीवी सुजा, टीसीवी चौंतरा और टीसीवी गोपालपुर के छात्र प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर भाषण दिए, जिनमें परम पावन दलाई लामा और पंचेन लामा के बीच संबंध, तिब्बती पहचान के संरक्षण और संवर्धन में १०वें पंचेन लामा का योगदान और ११वें पंचेन लामा के अपहरण से जुड़े राजनीतिक मकसद और मानवाधिकारों का उल्लंघन शामिल थे। कार्यक्रम का समापन एक प्रश्नोत्तरी सत्र, तिब्बत के चुराए गए बच्चे नामक पुस्तक के पुनर्मुद्रण के विमोचन और भाग लेने वाले छात्रों और उनके गुरुओं को प्रमाण-पत्र और आभार के रूप में औपचारिक खटक ओढ़ाकर किया गया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन में बयान
डीआईआईआर ने पंचेन लामा के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए दुनिया भर में अपने तिब्बत कार्यालयों के माध्यम से जो महीने भर का अभियान चलाया, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन मिला। इस प्रयास के परिणामस्वरूप दुनिया भर में सरकारी निकायों, संसदीय नेताओं और नागरिक समाज की हस्तियों की ओर से एकजुटता प्रदर्शन करती हुई अनेक महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं आईं।
सरकार और संसदीय नेता
यूरोपीय संसद में चार राजनीतिक समूहों के सात सांसदों ने यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि के समक्ष मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करते हुए तत्काल प्रश्न प्रस्तुत किए। जर्मनी के सांसद और बुंडेस्टाग में तिब्बत समूह के अध्यक्ष माइकल ब्रांड ने पंचेन लामा के अपहरण की कड़ी निंदा की और इसे ‘डर से किया गया अपराध’ बताया। इसी तरह इतालवी तिब्बत अंतर-संसदीय समूह के अध्यक्ष सीनेटर एंड्रिया डी प्रियमो ने चीन सरकार द्वारा असली पंचेन लामा का अपहरण कर उनकी जगह अपना फर्जी पंचेन लामा नियुक्त करने की निंदा की।
यूरोपीय संघ के प्रवक्ता अनवार एल. अनौनी ने सोशल मीडिया के माध्यम से चिंता व्यक्त की। जर्मनी के धर्म-विश्वास की स्वतंत्रता मामलों के आयुक्त फ्रैंक श्वाबे ने भी धार्मिक रिवाजों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हस्तक्षेप की निंदा करते हुए बयान जारी किया। यूरोपीयन पार्लियामेंटरी फ्रेंड्स ऑफ तिब्बत के अध्यक्ष और यूरोपीय संसद के सदस्य डेनियस ज़ालिमास ने १४ सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त घोषणा-पत्र जारी किया, जिसमें न्याय, जवाबदेही और पारदर्शिता का आह्वान किया गया।
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर जारी अपने बयान में कहा, ‘३० साल पहले जब गेधुन चोएक्यी न्यिमा केवल छह साल के थे, तभी चीनी अधिकारियों ने उनका अपहरण कर लिया था। पंचेन लामा को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।’
स्विस पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत’ में शामिल सांसदों ने स्विस सरकार (संघीय परिषद) से आग्रह किया कि वह चीन से गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके परिवार के सदस्यों को तत्काल रिहा करने का आग्रह करे। समूह की ओर से संयुक्त वक्तव्य काउंसिलर ऑफ स्टेट्स की सह-अध्यक्ष तियाना मोजर, सह-अध्यक्ष नेशनल काउंसिलर निक गुगर, सह-अध्यक्ष नेशनल काउंसिलर फैबियन मोलिना, सह-अध्यक्ष नेशनल काउंसिलर निकोलस वाल्डर और काउंसिलर ऑफ स्टेट्स की उपाध्यक्ष माया ग्राफ द्वारा जारी किया गया।
ताइवान से भी समर्थन मिला, जहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तियान चिउ-चिन और ताइवान पार्लियामेंट ग्रुप फॉर तिब्बत ने संयुक्त रूप से तिब्बत में जारी दमन की निंदा की और तिब्बती मुद्दे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
वीडियो संदेश और सार्वजनिक घोषणाएं
कई गणमान्य हस्तियों और संगठनों ने वीडियो संदेश और सार्वजनिक वक्तव्य जारी कर अपनी एकजुटता व्यक्त की। इनमें चीनी लोकतंत्र गठबंधन के डॉ. जिनजियांग झोंग, फेडरेशन फॉर ए डेमोक्रेटिक चाइना के डॉ. किन जिन, ऑस्ट्रेलियाई तिब्बत परिषद के डॉ. ज़ो बेडफ़ोर्ड, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से पीड़ितों के ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड गठबंधन के प्रोफेसर चोंगयी फेंग, बेल्जियम बौद्ध संघ और यूरोपीय बौद्ध संघ के कार्लो लुइक्स, यूरोपीय संघ की शरणार्थी एजेंसी से एवेलिना गुडज़िन्स्काइट, लिथुआनियाई सांसद जुर्गिता सेजोनीने और ताइवान के सांसद और ताइवान पार्लियामेंट ग्रुप फॉर तिब्बत के अध्यक्ष वू पेई-यी शामिल थे।
सभी वीडियो संदेश और पूर्ण वक्तव्य एकत्रित किए गए हैं और संदर्भ के लिए डीआईआईआर के वनड्राइव रिपॉजिटरी में उपलब्ध हैं। लिखित बयानों को ‘तिब्बत्स स्टोलन चाइल्ड’ पुस्तक के पुनर्मुद्रण में शामिल किया गया है। इस पुस्तक का पहला संस्करण का विमाचन १७ मई २०२५ को किया गया था। ई-पुस्तकें वेबसाइट Tibetan.net पर उपलब्ध होंगी।
जागरुकता अभियान को ऑनलाइन और ऑफलाइन- दोनों माध्यमों से व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। इस अभियान में तिब्बती युवाओं और छात्रों की सक्रिय भागीदारी उल्लेखनीय रही है। इस कार्यक्रम से प्रत्यक्ष समर्थन के परिणाम भी सामने आए, जिसमें संसदों में जानकारी के लिए सवाल किया जाना और विभिन्न सरकारों और संस्थानों से समर्थन के सार्वजनिक बयान शामिल हैं।
महीने भर चलने वाले पंचेन लामा जागरुकता कार्यक्रम ने ११वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को गायब रखने की ओर वैश्विक ध्यान को सफलतापूर्वक आकर्षित किया है। साथ ही इसने लंबे समय से चल रहे मानवाधिकार उल्लंघन के सामने सत्य और न्याय के लिए अटूट अंतरराष्ट्रीय समर्थन को प्रदर्शित किया है। यह कार्यक्रम पक्षधरता अभियान के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह सुनिश्चित करने की भी वकालत करता है कि तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक अधिकारों को बरकरार रखा जाना चाहिए और उनके असली धार्मिक गुरुओं को एक बार फिर हस्तक्षेप के बिना सम्मान दिया जाना चाहिए।
-डीआईआईआर के तिब्बत वकालत अनुभाग के संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार डेस्क की रिपोर्ट



