
मुंडगोड। कर्नाटक सरकार द्वारा मुंडगोड जिला आयुक्त को जारी निर्देश और दोएगुलिंग तिब्बती बस्ती कार्यालय द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार तीसरे तिब्बती महीने के १५वें दिन १२ मई २०२५ को थेरवाद बौद्ध परंपरा के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई।
थेरवाद परंपरा के अनुसार यह पवित्र दिन बुद्ध शाक्यमुनि के जीवन की तीन घटनाओं- जन्म, ज्ञान प्राप्ति और परिनिर्वाण का प्रतीक है।
इस अवसर पर भारतीय और तिब्बती समुदाय के ३०० से अधिक सदस्य स्थानीय सामुदायिक हॉल में एकत्र हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सिरसी की सहायक आयुक्त और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट श्रीमती कुमारी काव्यारानी उपस्थित हुई। अन्य गणमान्य हस्तियों में मंगला नाइक (सहायक निदेशक, कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग, उत्तर कन्नड़), श्री शंकर गौड़ी (तहसीलदार, मुंडगोड), जिग्मे सुल्त्रिम (मुख्य प्रतिनिधि अधिकारी, दक्षिण क्षेत्र), रिनचेन वांग्मो (सेटलमेंट अधिकारी, दोएगुलिंग), भारत-तिब्बत मैत्री संघ, स्थानीय तिब्बती सभा, सहकारी समिति, पूर्व एसएफएफ संगठन और अन्य स्थानीय तिब्बती नागरिक समाज समूहों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि श्रीमती कुमारी काव्यारानी ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से पहले भारत की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के सम्मान में स्मारक शिला पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के पूर्व सदस्यों से भी मुलाकात की, जिनका कार्यक्रम में उनसे परिचय कराया गया।
मुख्य अतिथि ने बुद्ध के उपदेशों का पालन करने के महत्व के बारे में बात की, जो प्राचीन भारतीय संस्कृति के साथ अविभिन्न रूप से जुड़ी हुई हैं। इसके बाद उन्होंने मठवासी समुदाय को धन्यवाद दिया और एसएफएफ संगठन के पूर्व सदस्यों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए। कार्यक्रम में अनके गणमान्य व्यक्तियों के भाषण हुए और छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इससे कार्यक्रम में रंग और उत्साह भर गया।
-टीएसओ, मुंडगोड की रिपोर्ट