भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

मुझमें चीनियों के लिए करूणा है – दलाई लामा

July 21, 2015

स्वतंत्र आवाज़, 20 जुलाई 2015

thumbबीजिंग/ धर्मशाला। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरू परमपावन दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर चीन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। चीन का दावा है कि उत्तराधिकार देने में तो उसकी ही आधिकारिक भूमिका है और उसने ‌ही 1653 में आधिकारिक तौर, पांचवें परमपावन दलाई लामा की उपाधि दी थी। तिब्बत के शीर्ष परमपावन दलाई लामा ने हाल ही में उनके उत्तराधिकारी के मुद्दे पर न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में संकेत दिए थे कि वह निर्वासित तिब्बती नागरिकों के बीच एक जनमत संग्रह और चीन में रह रहे तिब्बतियों के बीच विचार-विमर्श कराएंगे कि क्या किसी नए दलाई लामा को उनका उत्तराधिकारी होना चाहिए। परमपावन दलाई लामा ने साक्षात्कार में चीन सरकार के कथन का प्रतिवाद करते हुए कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में दलाई लामा से ज्यादा जानती है।

शिन्हुआ समाचार एजेंसी का कहना है कि परमपावन दलाई लामा की उपाधि को ओशन ऑफ विजडम (Ocean of Wisdom) भी कहा जाता है और चीन की सरकार ने 1653 में पांचवें दलाई लामा को आधिकारिक तौर पर यह उपाधि दी थी, इसके बाद से दलाई लामा की सभी उपाधियों के लिए चीन की सरकार की भी मंजूरी होना जरूरी है, चीनी सरकार इस प्रक्रिया को अहम मुद्दा मानती है, जो उसकी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। चीन सरकार और शिन्हुआ समाचार एजेंसी का दावा सच्चाई से परे माना जाता है कि चीन सरकार ने 1653 में पांचवें दलाई लामा को आधिकारिक तौर पर यह उपाधि दी थी। सच्चाई यह है कि परमपावन दलाई लामा का यह उपाधि पांचवे नहीं, बल्कि तीसरे दलाई लामा को मंगोल के राजा अलतन खान ने दी थी। बहरहाल पिछले 500 साल से गेलुग संप्रदाय ने एक नियमित प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है, इस प्रक्रिया के जरिए वर्तमान यानी 14वें दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म पंथ के येलो हैट यानी गेलुग के प्रमुख भिक्षु बने हैं। परमपावन दलाई लामा निर्वासन में जैसे-जैसे उम्रदराज हो रहे हैं, चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि उनके उत्तराधिकारी को नियुक्त करने में उसकी मुख्य भूमिका हो, ताकि तिब्ब्ती बौद्ध के सर्वोच्च आध्यात्मिक और राजनीतिक बलों पर वह अपनी मजबूत पकड़ कायम कर सके। तिब्बत के लोग परमपावन दलाई लामा को साक्षात बुद्ध मानते हैं, लेकिन चीन उन्हें अलगाववादी मानता है।

चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू हैं। उनका जन्म उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में रहने वाले येओमान परिवार में हुआ था। दो वर्ष की अवस्था में बालक ल्हामो थोंडुप की पहचान तेरहवें दलाई लामा थुबटेन ग्यात्सो के अवतार के रूप में की गई। दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है, जिसका मतलब होता है, ज्ञान का महासागर और दलाई लामा के वंशज करूणा, अवलोकेतेश्वर के बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं। बोधिसत्व ऐसे ज्ञानी लोग होते हैं, जिन्होंने अपने निर्वाण को टाल दिया हो और मानवता की रक्षा के लिए पुर्नजन्म लेने का निर्णय लिया हो, उन्हें सम्मान से परमपावन कहा जाता है। हर तिब्बती परमपावन दलाई लामा के साथ गहरा व अकथनीय जुड़ाव रखता है। तिब्बतियों के लिए परमपावन समूचे तिब्बत के भूमि के सौंदर्य, उसकी नदियों व झीलों की पवित्रता, उसके आकाश की पुनीतता, उसके पर्वतों की दृढ़ता और उसके लोगों की ताकत के प्रतीक हैं।

परमपावन दलाई लामा को तिब्बत की मुक्ति के लिए अहिंसक संघर्ष जारी रखने हेतु वर्ष 1989 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने लगातार अहिंसा की नीति का समर्थन जारी रखा है, यहां तक कि अत्यधिक दमन की परिस्थिति में भी शांति, अहिंसा और हर सचेतन प्राणी की खुशी के लिए काम करना परमपावन दलाई लामा के जीवन का बुनियादी सिद्धांत है। वह वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं पर भी चिंता प्रकट करते रहते हैं। परमपावन दलाई लामा ने बावन से अधिक देशों की यात्रा की है और कई प्रमुख देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शासकों से मिले हैं। उन्होंने कई धर्म प्रमुखों और प्रमुख वैज्ञानिकों से भी मुलाकात की है। परमपावन दलाई लामा के शांति संदेश, अहिंसा, अंतरधार्मिक सद्भाव, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करूणा के विचारों को अब तक 60 मानद डॉक्टरेट, पुरस्कार, सम्मान आदि प्राप्त हुए हैं। उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं। वे अपने को एक साधारण बौध भिक्षु ही मानते हैं। दुनियाभर में अपनी यात्राओं और व्याख्यान के दौरान उनका साधारण व करूणामय स्वभाव उनसे मिलने वाले हर व्यक्ति को गहराई तक प्रभावित करता है। उनका संदेश है-प्यार, करूणा और क्षमाशीलता।

वह कहते हैं कि मानव अस्तित्व की वास्तविक कुंजी सार्वभौमिक उत्तरदायित्व ही है, यह विश्व शांति, प्राकृतिक संसाधनों के समवितरण और भविष्य की पीढ़ी के हितों के लिए पर्यावरण की उचित देखभाल का सबसे अच्छा आधार है। बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए वे कहते हैं कि मेरा धर्म साधारण है, मेरा धर्म दयालुता है, पर्यावरण धर्म नीतिशास्त्र या नैतिकता का मामला नहीं है, बल्कि यदि हम प्रकृति के विरुद्ध जाते हैं तो हम जिंदा नहीं रह सकते। उनका कहना है कि एक शरणार्थी के रूप में हम तिब्बती लोग भारत के लोगों के प्रति हमेशा कृतज्ञता महसूस करते हैं, न केवल इसलिए कि भारत ने तिब्बतियों की इस पीढ़ी को सहायता और शरण दी है, बल्कि इसलिए भी कि कई पीढ़ियों से तिब्बती लोगों ने इस देश से पथप्रकाश और बुद्धिमत्ता प्राप्त की है, इसलिए हम हमेशा भारत के प्रति आभारी रहते हैं। उनका कहना है कि यदि सांस्कृतिक नज़रिए से देखा जाए तो हम भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं, हम चीनी लोगों या चीनी नेताओं के विरुद्ध नहीं हैं, आखिर वे भी एक मनुष्य के रूप में हमारे भाई-बहन हैं, यदि उन्हें खुद निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती तो वे खुद को इस प्रकार की विनाशक गतिविधि में नहीं लगाते या ऐसा कोई काम नहीं करते, जिससे उनकी बदनामी होती हो। वे कहते हैं कि तथापि मुझमें चीनियों के लिए करूणा की भावना है।

Link of news article: http://www.swatantraawaz.com/headline/4673.htm


विशेष पोस्ट

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

9 May at 11:40 am

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

9 May at 10:26 am

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

8 May at 9:05 am

परम पावन दलाई लामा ने दीर्घायु प्रार्थना में भाग लिया

7 May at 9:10 am

संबंधित पोस्ट

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

1 week ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

2 weeks ago

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

2 weeks ago

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

2 weeks ago

परम पावन दलाई लामा ने दीर्घायु प्रार्थना में भाग लिया

2 weeks ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service