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मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान और भारतीय प्रमाण का छात्र हूं : परम पावन दलाई लामा ने कहा

February 12, 2019

तिब्ब्त.नेट, 11 फरवरी, 2019

धर्मशाला। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित और तिब्बती संस्कृति, अलग-अलग विश्वासों के बीच संवाद और सार्वभौमिक नैतिकता के सबसे बड़े पैरोकार परमपावन दलाई लामा ने सोमवार को धर्मशाला में अमेरिकी-भारतीय लेखक दीपक चोपड़ा के नेतृत्व में आए एक प्रतिनिधिमंडल से बात की। पूरी बातचीत यहां प्रस्तुत है।

तिब्बती नेता ने खुद को प्राचीन भारतीय ज्ञान और भारतीय प्रमाण (अंग्रेजी: लॉजिक) के छात्र के रूप में पेश किया। उन्होंने मुख्य रूप से भावनात्मक संकट से निपटने और शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से खोई परंपरा को पुनर्जीवित करने की प्राचीन भारतीय परंपरा की प्रासंगिकता के बारे में बात की।

उन्होंने कहा ‘मन की शांति को प्राप्त करने की विधि को सीखना दुनिया में शांति को बढ़ावा देने का आधार है।‘ परम पावन ने सुझाव दिया कि आज जब विनाशकारी भावनाओं से निपटना बहुत ही जरूरी हो गया है, ऐसे में मन और भावनाओं का यह गहरा ज्ञान बहुत प्रासंगिक हो गया है।

उन्होंने कहा कि ‘भारत एक ऐसा देश है जिसके पास व्यापक दुनिया भर में लोक कल्याण के लिए आधुनिक शिक्षा के साथ अपने प्राचीन ज्ञान को संयोजित करने की क्षमता है।‘

साथ ही बातचीत में परम पावन ने दुनिया भर में परमाणु हथियारों के उन्मूलन पर ध्यान आकर्षित किया।

उन्होंने आग्रह किया कि परमाणु हथियारों के रहित दुनिया बनाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर ठोस और जोरदार प्रयास होने चाहिए। “हमें केवल संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा नहीं करना चाहिए, सार्वजनिक स्तर पर भी परमाणु हथियारों से मुक्ति के लिए आंदोलन शुरू होना चाहिए।

परम पावन ने कहा कि ‘भारत को विशेष रूप से इन प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने का भी काम करना चाहिए।‘ उन्होंने साथ ही यह भी कहा भारत को धार्मिक सद्भाव, अहिंसा और विसैन्यीनकरण के प्रचार में अधिक सक्रिय होना चाहिए।’

जब उनसे दुनिया के उन नेताओं के बारे में पूछा गया जिनकी वह सबसे अधिक प्रशंसा करते हैं, परमपावन दलाई लामा ने महात्मा गांधी, भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और पूर्व जर्मन चांसलर विली ब्रांट जैसे नेताओं का नाम लिया।

परम पावन ने अपने मित्रों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और बराक ओबामा को भी याद किया, जिनके साथ वह तुरंत दोस्तों के तौर पर जुड़े।

दिल्ली में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के साथ अपनी पिछली मुलाकात को याद करते हुए परम पावन ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा मेरे बाद आपको विश्व शांति और अहिंसा के प्रचार को आगे बढ़ाना होगा तो उन्होंने (ओबामा) तुरंत इसका वचन दे दिया।‘  परम पावन ने आगे कहा कि‍ इस वर्ष दिल्ली में भारतीय नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के साथ बैठक करनेवाले  हैं, जिसमें अंततः नोबेल पुरस्कार विजेताओं की बैठक की रूपरेखा तय की जाएगी। उन्होंने कहा  कि उस बैठक में ओबामा निश्चित रूप से आएंगे।

बातचीत के दौरान परम पावन के साथ बैठे दीपक चोपड़ा ने उनसे ध्यान, मन की प्रभावशीलता और गर्मजोशी की भावनाओं की प्रभावशीलता पर उनके विचार पूछे और बीमारी और टर्मिनल बीमारी के जोखिमों को कम करने के उपाय के बारे में पूछा।

परम पावन ने कहा, ‘वैज्ञानिक हमें इस बात का प्रमाण देते हैं कि मानव स्वभाव दयालु है। वे यह भी मानते हैं कि निरंतर क्रोध, भय और घृणा हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं और इसलिए हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। यही कारण है कि मन की शांति प्राप्त करने के लिए शारीरिक स्वच्छता के अलावा हमें भावनात्मक स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।‘

अगले मंगलवार 19 फरवरी को परमपावन दलाई लामा धर्मशाला के त्सुगलखांग में जातक कथाओं पर एक संक्षि‍प्त प्रवचन देंगे।


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