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लापता तिब्बती लेखक को चीन के किंघई प्रांत की जेल में होने की खबरें

May 24, 2022

चीन के किंघई प्रांत की जेल में बंद तिब्बती लेखक गेंदुन ल्हुंद्रुप

गेंदुन ल्हुंद्रुप एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जा रहे थे, जब उन्हें दिसंबर २०२० में गिरफ्तार किया गया।
rfa.org / सांग्याल कुंचोक : तिब्बतियों ने अपने जानकारों से मिली सूचना के आधार पर कहा है कि वर्ष २०२० में गिरफ्तार किए जाने के बाद से एक साल से अधिक समय तक अज्ञात स्थान में रखे गए तिब्बती लेखक और कवि गेंदुन ल्हुंद्रुप को सिलिंग (चीनी, शीनिंग में) की एक जेल में हिरासत में रखा गया है।

निर्वासन में रह रहे एक तिब्बती ने आरएफए को पहले बताया था कि मल्हो (हुआंगनान) तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के रेबगोंग (टोंगरेन) काउंटी स्थित रोंगवो मठ के ४७ वर्षीय पूर्व भिक्षु ल्हुंद्रुप को हिरासत में लेने से पहले उनकी राजनीतिक असंतोष भड़काने के मामले में अधिकारियों द्वारा निगरानी की गई थी। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, अधिकारियों ने ल्हुंद्रुप को ०२ दिसंबर, २०२० को पश्चिमी चीन के किंघई प्रांत में उस समय गिरफ्तार किया जब वह रेबगोंग में एक धार्मिक वाद-विवाद में भाग लेने के लिए जा रहे थे। उन्हें चीनी पुलिस द्वारा चलाई जा रही एक काली कार के पिछले हिस्से में बिठा लिया गया था।

तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में रहने वाले एक तिब्बती ने बताया, ‘हमें पता चला है कि गेंदुन ल्हुंद्रुप जिसका अब तक पता नहीं चला है, उसे सिलिंग के एक हिरासत केंद्र में रखा गया है। हालांकि, उनके परिवार के सदस्यों को अभी भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं है और न ही उसकी स्थिति के बारे में कोई जानकारी सामने आई है।’

सूत्र ने कहा कि ल्हुंद्रुप को कथित तौर पर राजनीतिक पुनर्शिक्षा कार्यक्रम में रखा गया है, जहां उसे तिब्बती बौद्ध लिपियों का मंदारिन चीनी में अनुवाद करना होगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है कि तिब्बती बौद्ध धर्म का अध्ययन विशेष रूप से चीनी भाषा कराया जाए।

निर्वासन में रह रहे एक दूसरे तिब्बती ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने सितंबर २०२१ में फोन पर ल्हुंद्रुप के परिवार को बताया था कि लेखक के मुकदमे में जल्द ही सुनवाई शुरू की जाएगी। लेकिन उसके बाद से इस बारे में कुछ भी नहीं सुना गया है।

सूत्र ने कहा, ‘ल्हुंद्रुप के एक करीबी सूत्र के अनुसार उसके मुकदमे के बारे में अभी भी कोई खबर नहीं है। लेकिन उसे एक विशेष हिरासत केंद्र में रखा जा रहा है, जहां उसकी जान को कोई खतरा नहीं है।’

२००८ में चीन के पश्चिमी प्रांतों में तिब्बत और तिब्बती क्षेत्रों में चीनी शासन के खिलाफ क्षेत्र-व्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद चीनी अधिकारियों ने तिब्बती राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले तिब्बती लेखकों और कलाकारों को अक्सर हिरासत में लिया है, जिनमें से कई को लंबी जेल की सजा सुनाई गई है।

सूत्रों का कहना है कि हाल के वर्षों में राष्ट्रीय पहचान का दावा करने के तिब्बती प्रयासों के रूप में भाषा अधिकार विशेष मुद्दा बन गया है। इसीलिए चीनी सरकार द्वारा अनौपचारिक रूप से संगठित भाषा पाठ्यक्रमों को आम तौर पर ‘अवैध संघ’ माना जाता है और शिक्षकों को हिरासत में ले लिया जाता है या उनकी गिरफ्तारी हो जाती है।

अधिकारियों ने बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों को तिब्बती के बजाय मंदारिन चीनी का उपयोग करने के आदेश भी जारी किए हैं।

सितंबर २०२१ में सरकारी अधिकारियों ने किंघई में एक धार्मिक सम्मेलन में निर्देश जारी कर तिब्बती बौद्ध मठों और अध्ययन केंद्रों को कक्षा के ग्रंथों का तिब्बती से चीन की ‘सामान्य भाषा’ मंदारिन चीनी में अनुवाद करने को कहा था। सूत्रों ने उस समय एक रिपोर्ट में आरएफए को बताया था।

भिक्षुओं और भिक्षुणियों से कहा गया था कि उन्हें अपनी मूल भाषा के बजाय चीनी भाषा में सीखना और बोलना चाहिए। यह नीति चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के देश भर में धर्म के चीनीकरण करने के आह्वान का हिस्सा है।


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