
धर्मशाला: 28वां शोतोन (दही) महोत्सव 7 मई 2025 को तिब्बती प्रदर्शन कला संस्थान (TIPA) में प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वक्ता खेंपो सोनम तेनफेल उपस्थित रहे। उनके साथ कार्यवाहक सिक्योंग कालोन थरलाम डोलमा चांगरा, उपाध्यक्ष डोलमा त्सेरिंग तेइखांग, न्याय आयुक्त दावा फुंकी, न्याय आयुक्त फगपा त्सेरिंग, चुनाव आयुक्त लोबसंग येशी, लोक सेवा आयुक्त कर्मा येशी, महालेखापरीक्षक ताशी टोपग्याल, निर्वासित तिब्बती संसद की स्थायी समिति के सदस्य, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सचिव और वरिष्ठ अधिकारी भी महोत्सव की शोभा बढ़ाने पहुंचे।
अपने मुख्य भाषण में वक्ता ने धर्मशाला में 28वें शोतोन महोत्सव के आयोजन के निर्णय की सराहना की, जो परम पूज्य दलाई लामा के 90वें जन्मवर्ष के साथ मेल खाता है और ‘घोटोन उत्सव’ के अंतर्गत मनाया जा रहा है — यह दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस का एक भव्य स्मरण है।
वक्ता ने विभिन्न क्षेत्रों से आई 14 अलग-अलग ओपेरा मंडलियों की भागीदारी की सराहना की, जिन्होंने तिब्बत की अनोखी ओपेरा परंपरा ‘आछे ल्हामो’ को जीवित बनाए रखने के लिए समर्पणपूर्वक प्रयास किए हैं। लगभग 600 वर्ष पूर्व महान योगी थंगथोंग ग्यालपो द्वारा स्थापित ‘आछे ल्हामो’ तिब्बती सांस्कृतिक धरोहर में न केवल एक बहुमूल्य परंपरा है, बल्कि एक महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र भी बन चुकी है। योगी थंगथोंग ग्यालपो, जिन्हें उनकी आध्यात्मिक अनुभूति और परोपकारिता के लिए जाना जाता है, ने तिब्बत और आसपास के क्षेत्रों में लोहे के पुल बनाने के लिए धन एकत्रित करने हेतु इस ओपेरा परंपरा की स्थापना की थी। आज भी तिब्बत, भूटान और अन्य क्षेत्रों में उनके द्वारा बनाए गए कुछ पुल अस्तित्व में हैं।
आठ पारंपरिक नाटकों के अतिरिक्त, बुद्ध के जीवन पर आधारित कई नई प्रस्तुतियों ने ‘आछे ल्हामो’ की जीवंत परंपरा को और भी समृद्ध किया है। विश्व की अन्य ओपेरा और प्रदर्शन कलाओं से भिन्न, तिब्बती ओपेरा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से व्यक्ति को निर्वाण की ओर मार्गदर्शन करने की अनूठी क्षमता रखता है, और सांसारिक दृष्टिकोण से नैतिक शिक्षा भी प्रदान करता है।
तिब्बती ओपेरा की अनूठी परंपरा के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए वक्ता ने कहा कि तिब्बत में चीन की ‘सिनीकरण नीति’ के अंतर्गत ‘आछे ल्हामो’ जैसी परंपराएं खतरे में हैं, जिसका उद्देश्य तिब्बत की विशिष्ट संस्कृति और पहचान को नष्ट करना है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक प्रदर्शन कलाओं के व्यापक प्रसार के कारण यह परंपरा समुदाय में धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।
उन्होंने अपने भाषण का समापन इन शब्दों के साथ किया:
“इन 13 विभिन्न मंडलियों द्वारा दिल से प्रस्तुत किए गए पुण्य प्रदर्शन के फलस्वरूप, परम पूज्य 14वें दलाई लामा युगों-युगों तक जीवित रहें, उनके सभी संकल्प पूर्ण हों, और चीन-तिब्बत विवाद का शीघ्र समाधान हो।”
7 से 19 मई 2025 तक चलने वाले इस महोत्सव में 13 विभिन्न मंडलियों के 460 कलाकार पारंपरिक तिब्बती ओपेरा ‘आछे ल्हामो’ की प्रस्तुतियां देंगे।
– तिब्बती संसदीय सचिवालय द्वारा प्रेषित रिपोर्ट